आज देश की सर्वोच्च अदालत ने ठीक वही कहा, जो हम शुरू से कहते आ रहे हैं. सहारा के मालिक सुब्रतो रॉय की सबसे बड़ी धूर्ततापूर्ण बात तो यही थी कि इतनी बड़ी कम्पनी का मालिक होते हुए भी अपने आप को सहारा परिवार का मुखिया कहता था और पूरे साम्राज्य का मनचाहा इस्तेमाल करता था.
वह जेल जाने से पहले तक दावा करता रहा कि निवेशक चिंता न करें, उनके पास दो लाख करोड़ से भी ज्यादा का कैश है, वे जब चाहेंगे, तब कोर्ट को पैसा दे देंगे. और अब सवा साल से ज्यादा जेल प्रवास, कोर्ट की सब तरह की डांट-डपट के बाद भी मात्र 10 हजार करोड़ रु. नहीं निकल पा रहे हैं. सहारा की तमाम कम्पनियों के कर्मचारी तनख्वाह को महीनों से तरस रहे हैं, सो अलग. संपत्तियां इस लायक नहीं हैं कि कोई उनके उचित दाम भी लगाए.
सरकारी दामाद की तरह कोर्ट ने सारी सुविधायें देकर जेल में उनकी जर्रानवाजी की लेकिन अब अदालत भी समझ गई है कि सुब्रतो रॉय केवल देश और अदालात को उल्लू बना रहे हैं, जैसा कि वे और उनके जैसे तमाम चिटफंडबाज दशकों से करते आ रहे हैं.
कोर्ट ने कहा है कि राय अपनी मर्जी से जेल में हैं क्योंकि उन्होंने माननीय न्यायधीशों के समक्ष ये घोषणा की थी कि उनके पास १.८५ लाख करोड़ रु. हैं और अब उनके वकील चिल्ला -चिल्ला कर ये कह रहे हैं कि सहारा कंगाल है और उसके पास १० हजार करोड़ रु. भी नहीं हैं.
यानि अगर सुब्रतो रॉय अदालत द्वारा जेल नहीं भेजे जाते तो आज भी देशवासी इसी भ्रम में रहते कि सहारा के साम्राज्य का कोई ओर-छोर नहीं है और वे सहारा द्वारा बनाए गए तिलिस्म में फंसे रहकर कई लाख करोड़ रु. और डुबो चुके होते.
धन्यवाद सुप्रीम कोर्ट, इसीलिए आप में देश की जनता का भरोसा बरकरार है. अब ज़रा उन कम्पनियों की ओर भी नजरेइनायत कर लीजिये, जो अब भी कानून को मजाक समझ कर सेबी और तमाम नीति नियामक संस्थाओं को धता बता रही हैं। वे भी सहारा के नक़्शे क़दम पर चलते हुए देश की जनता को लूट रही हैं.
हरिमोहन विश्वकर्मा से संपर्क : [email protected]