बड़े भाई यशवंत सिंह जी!
सादर प्रणाम,
इसमें कुछ हैरान करने वाला नहीं है कि आपको किसी मीडिया संस्थान द्वारा एक बार फिर से लीगल नोटिस भेजा गया है। कई लीगल नोटिस भेजे गए हैं आपको और कई मामले भी। कुछ ऐसा ही एक संपादक और उनकी …… द्वारा भी किया गया था। जेल यात्रा भी करनी पड़ी थी और जान-ए-मन जेल भी लोगों ने जमकर पढ़ी।
लीगल नोटिस में वैसे तो ये प्रारूप होता है कि ‘इंस्ट्रक्शन’ जैसा शब्द लिखा जाए लेकिन लीगल नोटिस भेजनेवाले को शायद ये नहीं मालुम की ‘भड़ासी’ इंस्ट्रक्शन जैसे किसी भी शब्द को नहीं जानते। वो वही करते हैं जो उन्हें ठीक लगता है।
सुरेश चव्हाण साहब के लिए ‘दो शब्द’
अरे सुरेश चव्हाण साहब! आपके अधिवक्ता महोदय भड़ास4मीडिया के वेब पोर्टल पर भड़ास का पता ढूंढ रहे हैं। मशवरा देना पता नहीं मेरा ठीक रहेगा कि नहीं लेकिन आपको मशवरा दिए देता हूं। आप एक काम कीजिए आप अपने चैनल (सुदर्शन न्यूज) में काम करनेवाले सफाई कर्मचारी से लेकर खुद तक का मोबाइल में कांटैक्ट डिटेल्स चेक कर लीजिए। भड़ास और यशवंत सिंह का संपर्क सूत्र आपको मिल जाएगा। ये तो वही बात हो गई मंदिर में पहुंचकर पूछ रहे हो भगवान की मूर्ति कहां है?
अरे भाई यशवंत सिंह…. हां हां वही रंगदारी वसूलनेवाला… अपना भड़ासी छिपकर तो बैठा नहीं है….. छिपना तो उसे चाहिए जिसपर दाउद से ज्याजा आईपीसी की धाराएं लगी हो….. जो अपने यहां की कर्मचारी से लिंग पूजन करवाया हो…. यशवंत सिंह को कौन साला ऐसा बोल सकता है…. भाई बड़ा स्टिंग-विस्टिंग करने की क्षमता रखते हो दम हो तो यशवंत को एक्सपोज करो……
अब सवाल उठता है करोगे कैसे उसके लिए पता चाहिए….. एक काम कीजिए आप यशवंत सिंह को ससम्मान बुलाइए वो खुद पहुंच जाएंगे…. साथ में पूरी बारात भी रहेगी तो कुछ ऐसा-वैसा मत करना जिससे आपके ऊपर 10-20 और धाराएं लग जाए…..
अब आपका चैनल है, आपका घर है, आपकी गली है…. और अपनी गली में तो …..भी शेर होता है। तो महोदय, एक काम कीजिए थोड़ा सा पांवर का इस्तेमाल कीजिए और यशवंत भाई का फोन सर्विलाइंस पर लगवाइए… और उठा लीजिए…. लेकिन…. लेकिन…. लेकिन…. उठाने से पहले जरा भइया सोच-समझ लीजिए….. धमकी नहीं दी जा रही है मशवरा दिया जा रहा है…..
अब आप अपने अधिवक्ता साहब को बोलिए एकाद लीगल नोटिस मुझे भी भेज दें। कम से कम यशवंत भाई के साथ मैं भी जरा लीगल फाइट कर लूंगा….. और ये वकील साहब मुझे ज्यादा दमदार नहीं लग रहे हैं भैय्या…. इन्होंने 1860 IPC का जिक्र तो किया लेकिन धारा नहीं बताई…. मुझे तो ये IPC की कम IT Act की धारा ज्यादा लग रही है।
एक तरफ सुरेश साहब आप अपने आपको लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहते हो दूसरी तरफ ‘पांचवे स्तंभ’ यानी भड़ास से डर रहे हो… जय हो गुरू जी! लीगल नोटिस काहे को भेज रहे हो सीधा FIR ही दर्ज करा दो… लेकिन कराओगे क्या आप खुद ही एक्सपोज हुए पड़े हो…।
शैलेंद्र शुक्ला
shailendra1990shukla@gmail.com
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