प्रसार भारती के चेयरमैन ए. सूर्यप्रकाश ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर सरकार को शो कॉज नोटिस जारी किया है. वजह है सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति की एक बैठक में वरिष्ठ अधिकारी की जगह कनिष्ठ अधिकारी को भेजना. प्रसार भारती के चेयरमैन द्वारा सीईओ को नोटिस दिए जाने के औचित्य पर सवाल उठ रहे हैं कि वे नोटिस दे सकते हैं या नहीं. सीईओ का पद संवैधानिक होता है.
इस नोटिस के नेपथ्य में कर्नाटक से सांसद डीके सुरेश की एक चिट्ठी बताई जाती है, जो उन्होंने केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली को लिखी. डीके सुरेश ने आरोप लगाया है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति की बैठक में प्रसार भारती के वरिष्ठ अधिकारी महेश जोशी (एडीजी, दक्षिण) की जगह जूनियर रैंक के एक अधिकारी को भेज दिया गया. वह अधिकारी उस दिन की बैठक में किसी सवाल का सटीक जवाब नहीं दे सका. डीके सुरेश का आरोप है कि दरअसल, प्रसार भारतीय के सीईओ ने उस बैठक को महत्व ही नहीं दिया. इसलिए जूनियर अधिकारी को भेजा गया. सांसद सुरेश के इसी पत्र के आधार पर जवाहर सरकार को कारण बताओ नोटिस दिया गया.
ज्ञात हो कि दूरदर्शन के धारावाहिकों की मंजूरी में घूसखोरी के आरोपों की जांच सीबीआई को सौंप कर जवाहर सरकार एक लॉबी के निशाने पर पहले से ही थे. प्रसार भारती में कई और मामलों को लेकर संघ की घनिष्ठ लॉबी के साथ जवाहर सरकार की टकराव की स्थिति है. प्रसार भारती चेयरमैन सूर्य प्रकाश वरिष्ठ पत्रकार रहे हैं और उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का घनिष्ठ माना जाता है. कहा जा रहा है कि जवाहर सरकार को शो-कॉज नोटिस से उठे विवाद के मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संज्ञान लिया है. उनके निर्देश पर मंत्री अरुण जेटली निजी तौर पर इस मामले को देख रहे हैं.