
गुलफ्शा के पास 15102 रुपए पहुंच गए हैं। 12वीं तक की पढ़ाई का पूरा खर्च उसे मिल चुका है। जरूरत पंद्रह हजार रुपये की ही थी। टारगेट हम लोगों ने बीस हजार रुपए का रखा था। आगे गुलफ्शा को जब भी जरूरत होगी, हम लोग साथ रहेंगे।
आज 31 अगस्त को एडमिशन का आखिरी दिन था। इसके लिए चार हजार रुपये की जरूरत थी जो बीते शनिवार को ही उनके एकाउंट में चला गया था।
त्वरित मदद पहुंचाने के लिए आप सभी का दिल से आभार!
ऑस्ट्रेलिया वासी भाई Sandeep ने पांच हजार रुपए, Om Thanvi सर् ने 2100 रुपए, Reshu Tyagi ने 2100 रुपए दिए।
अशोक अरोड़ा, अनुराग श्रीवास्तव, नीतेश कुमार ने हजार-हजार रुपए दिए।
बहुत सारे साथियों ने पांच सौ, दो सौ, सौ रुपए दिए।
सबका नाम नहीं लिख पा रहा। कुछ साथियों ने चुपचाप पैसे भेज दिए।
कई साथियों ने आगे भी मदद करने की इच्छा जताई है। उन्हें भी सलाम।
बात राशि की नहीं कि आप कितने रुपये देते हैं। बात सरोकार, संवेदना और मदद की भावना का है। जिनुइन नीडी लोगों की पहचान कर उनकी मदद का कार्य जारी रहे।
गुलफ्शा अब पढ़ लेगी। पैसे के अभाव में उसके सपने टूटेंगे नहीं। गुलफ्शा से सम्बंधित जो कुछ भी नया अपडेट होगा, उसे देते रहेंगे।

भड़ास एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.
पूरे प्रकरण को समझने-जानने कि लिए नीचे दिए शीर्षक पर क्लिक कर पढ़ें-
Comments on “भड़ास की अपील पर पहुंच गए गुलफ्शा के पास पैसे, वह अब पढ़ लेगी!”
रेशू त्यागी सच में एक ऐसी इंसान हैं जो कभी किसी को मुसीबत में नहीं देख सकती हैं। वे सूरत और सीरत दोनों से बहुत अच्छी है। मेरा खुद का अनुभव है ये, कि उन्हे जब भी कोई मदद के लिए पुकारता है वह दौड़ी चली जाती है। उन्होने कई बार मेरी भी मदद की हैं और उनका मैं एहसान कभी नहीं भूल सकती हूं जो उन्होने मेरे लिए किया है। रेशू त्यागी पत्रकारिता जगत का जाना पहचाना नाम है। वे ऐसी होनहार शख्सियत हैं जिनमे लेश मात्र भी घमंड़ नहीं है। सफलता की ऊंचाईयां छूने के बाद भी वह बेहद विनम्र और व्यवहारिक हैं। रेशू आपके लिए मैं यही कहूंगी कि आप बेहद नेक दिल हैं जो सबकी मदद करती हैं लेकिन कभी जताती नहीं…. आप जैसे इंसान आज की दुनिया में बहुत कम हैं…..
रेशू त्यागी सबकी सहायता करती है
और सहायता के लिए हर टाइम आगे रहती है इन्होंने बहुत से लोगो की सहायता की है
You are great Reshu tyagi mam
मैं उनको पिछले 2 वर्षों से जानता हूं और जब भी मेरी उनसे बातचीत हुई तो एक बहुत ही दयालु इंसान के रूप में मैंने उनको पाया है। मई के महीने में जब लोक डाउन चल रहा था उस समय भी वह मेरे पास यही विमर्श करने आई थी कि किस प्रकार से वह अपना योगदान गरीब मजदूरों को मदद पहुंचाने में कर सकती हैं। और मैं यह कह सकता हूं कि उनके सहयोग से कई ऐसे व्यक्तियों को मदद मिली है जिनको उस समय मदद की बहुत आवश्यकता थी। उनका यह कदम वास्तव में प्रेरणादायक एवं सराहनीय है।