सेवा में ,
श्रीमान संपादक मोहदय / ब्यूरो चीफ महोदय
विषय : झूठे इल्जाम में फ़साने के विषय में।
29 january 2019 की रात को नोएडा पुलिस के कुछ बड़े अधिकारियों ने एक महिला के माध्यम स्व हमें फंसाने के लिए जाल बुना जिसका नाम सोनी है जिसने फ़ोन करके मुझसे रमन ठाकुर का नंबर मांगा और यह बताया कि मुझे कुछ लोग परेशान कर ररहे हैं, और मेरे पास फोन करके अवैध उघाई के लिए लगातार परेशान कर रहा है।
और उस महिला ने मुझसे रो-रो कर मदद मांगी, जो कि पुलिस के कुछ अधिकारियों द्वारा हमे फंसाने के लिए उन अधिकारियों के इशारे पर काम कर रही थी । और कहा की भैया मेरी मदद करो। जिसकी मदद करने के लिए मैं अपने साथी पत्रकार रमन ठाकुर, सुशील पंडित को अवगत करवा, थाना सेक्टर 20 पहुंचा जिसकी जानकारी मेरे द्वारा एसएसपी को दी गई और एसएचओ मनोज पंत को अवगत भी कराया, तभी थोड़ी देर के बाद ही एसएसपी वैभव कृष्ण, एसपी देहात विनीत जयसवाल व एएसपी/सीओ फर्स्ट नोएडा कौस्तुभ सेक्टर-20 थाने पहुंच गए और हमें फर्जी मामले में फंसा दिया।
जबकि पुष्पेंद्र चौहान जिससे पुलिस ने 24 जनवरी से इंस्पेक्टर व उसके कई सहयोगी द्वारा पैसा मांगना बताया गया उस पुष्पेंद्र चौहान से आज तक मैंने और ना ही मेरे साथियों ने कोई कॉल की और ना ही कभी कोई बात की।
- जब हमने आज तक पुष्पेंद्र चौहान से कभी कोई बात नहीं की तो हमने उससे रंगदारी कैसे मांगी?
- अगर पुलिस के पास 27 जनवरी को शिकायत आ गई और पुलिस के फर्द के मुताबिक ही एसपी सिटी से जांच कराई गई जिसमें एसपी सिटी ने प्रथम आरोप सही मानते हुए उचित कार्रवाई करने के आदेश दिए तो पुलिस ने 27 जनवरी को मुकदमा क्यों दर्ज नहीं किया?
- अगर पुष्पेंद्र चौहान की तरफ से 27 जनवरी को शिकायत आई थी तो पुलिस ने एंटी करप्शन टीम को सूचना क्यों नहीं दी ? क्योंकि हम पत्रकारों और sho मनोज पंत से व्यक्तिगत द्वेष मानने वाले अधिकारी अपनी मनमानी नहीं चला पाते।
- अगर हमारे पास पुलिस ने हम सब के पास से 2-2 लाख रूपये दिखाएं और हमारे पास से रूपये बरामद हुए हैं तो पुलिस ने मौके पर वीडियो गग्राफी क्यों नहीं कराई जबकि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार मौके पर वीडियोग्राफी होनी चाहिए। अगर ट्रैप टीम ने कुछ गलत नहीं किया था तो थाने की cctv footeage क्यों डिलीट की गई , जिसके हमारे पास साक्ष्य हैं।
- पुष्पेंद्र चौहान जिस पर दो मुकदमे दर्ज हैं और माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के नाम पर देश विदेश कॉल सेंटर के माध्यम से ठगी करता है, उसके पास 8 लाख रूपये कहां से आए इसका पुलिस के पास कोई जवाब क्यों नहीं है, जबकि उसके सारे बैंक अकाउंट सीज थे?
- दिनांक 30 january 2019 को पुलिस ने 12:05 बजे पर गिरफ्तारी दिखाई और फ़ोन सीज कर दिया गया तो जबकि मेरे द्वारा एसएसपी को 12:23 बजे पर कॉल किया गया है ? जिसके से प्रमाण न्यायालय में प्रस्तुत किये जा चुके हैं।
अतः हम पर लगाए गए इल्जाम झूठे हैं। हमे साजिश करके फंसाया गया है। आपस के अधिकारियों की लड़ाई के चलते हमे बलि का बकरा बनाया गया।
कोई पत्रकार नोएडा पुलिस के खिलफ खबरें न लिख पाए और पत्रकारों में डर वयाप्त हो और नोएडा पुलिस के अधिकारी फर्जी काल सेंटरों को संरक्षण दे सके और पुलिस मीडिया में संदेश जाए कि जो काल सेंटरों के खिलाफ कार्यवाही या खबरें करेंगे उनको ऐसे ही फर्जी फंसाया जायगा ।
इसके अलावा हमारे पास और भी बहुत साक्ष्य हैं जिन्हें न्यायालय में प्रस्तुत कर सच से अवगत कराया जायेगा। साथ ही नोएडा पुलिस के अधिकारी व्यक्तिगत द्वेष के कारण हम लोगों पर फर्जी मुकदमे करा सकते हैं, जान से मरवा सकते हैं या एक्सीडेंट में हत्या करवा सकते हैं। लेकिन हम लोग डरने वाले नहीं है, हमें न्यायालय पर पूरा भरोसा है, और अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ेंगे, ताकि हमे झूठा फंसाने वाले लोगों को सजा मिल सके ।
उदित गोयल
पत्रकार
ग्रेटर नोएडा
मोबाइल न. – 9811579200
प्रेस विज्ञप्ति