Connect with us

Hi, what are you looking for?

उत्तर प्रदेश

यादव प्रकरण : सीबीआई जांच से हड़कंप, सरकार और नौकरशाहों में शह-मात का खेल

उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में एक बार फिर इतिहास दोहराया जा रहा है। खनन माफिया से मोर्चा लेने के लिये अखिलेश सरकार से भिड़ने वाली आईएएस अधिकारी दुर्गा नागपाल की तर्ज पर ही पीसीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर और आईएएस अफसर सूर्य प्रताप सिंह ने भी मोर्चा खोल दिया है। दोनों नौकरशाह तो अखिलेश सरकार का कुछ खास नहीं बिगाड़ पाये हैं लेकिन सरकार ने दोनों के लिये ही मुसीबत खड़ी करते हुए दोनों के निलंबन का तानाबाना बुन दिया। सरकार की तरफ से आरोप लगाया जा रहा है कि उक्त अधिकारियों ने सरकार के खिलाफ जाकर सेवा नियमावली की अवहेलना की है, जबकि नौकरशाह कुछ और ही दलील दे रहे हैं। इन अधिकारियों को लगता है कि उन्होंने जनता से जुड़े मुद्दों पर आवाज उठा कर कुछ गलत नहीं किया। 

<p>उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में एक बार फिर इतिहास दोहराया जा रहा है। खनन माफिया से मोर्चा लेने के लिये अखिलेश सरकार से भिड़ने वाली आईएएस अधिकारी दुर्गा नागपाल की तर्ज पर ही पीसीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर और आईएएस अफसर सूर्य प्रताप सिंह ने भी मोर्चा खोल दिया है। दोनों नौकरशाह तो अखिलेश सरकार का कुछ खास नहीं बिगाड़ पाये हैं लेकिन सरकार ने दोनों के लिये ही मुसीबत खड़ी करते हुए दोनों के निलंबन का तानाबाना बुन दिया। सरकार की तरफ से आरोप लगाया जा रहा है कि उक्त अधिकारियों ने सरकार के खिलाफ जाकर सेवा नियमावली की अवहेलना की है, जबकि नौकरशाह कुछ और ही दलील दे रहे हैं। इन अधिकारियों को लगता है कि उन्होंने जनता से जुड़े मुद्दों पर आवाज उठा कर कुछ गलत नहीं किया। </p>

उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में एक बार फिर इतिहास दोहराया जा रहा है। खनन माफिया से मोर्चा लेने के लिये अखिलेश सरकार से भिड़ने वाली आईएएस अधिकारी दुर्गा नागपाल की तर्ज पर ही पीसीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर और आईएएस अफसर सूर्य प्रताप सिंह ने भी मोर्चा खोल दिया है। दोनों नौकरशाह तो अखिलेश सरकार का कुछ खास नहीं बिगाड़ पाये हैं लेकिन सरकार ने दोनों के लिये ही मुसीबत खड़ी करते हुए दोनों के निलंबन का तानाबाना बुन दिया। सरकार की तरफ से आरोप लगाया जा रहा है कि उक्त अधिकारियों ने सरकार के खिलाफ जाकर सेवा नियमावली की अवहेलना की है, जबकि नौकरशाह कुछ और ही दलील दे रहे हैं। इन अधिकारियों को लगता है कि उन्होंने जनता से जुड़े मुद्दों पर आवाज उठा कर कुछ गलत नहीं किया। 

यह सोचने का अलग-अलग नजरिया है। सरकार को लगता है कि आईएएस/पीसीएस सरकार के सेवक हैं। सरकार के अच्छे-बुरे सभी कामों में उनको भागीदार होना चाहिए जबकि अधिकारियों का मानना है कि वह सरकार नहीं जनता के सेवक हैं, जनता के हित में आवाज उठाना किसी भी तरह से सरकारी सेवा नियमावली के खिलाफ नहीं हो सकता है। सरकार और दोनों अधिकारियों के बीच चूहे-बिल्ली का खेल चल रहा है। कभी किसी का तो कभी किसी का पलड़ा भारी लगता है। हां, इस बीच राज्य सरकार को नोयडा अथार्रिटी के मुख्य अभियंता यादव सिंह प्रकरण में जरूर हाईकोर्ट से झटका लगा है। हाईकोर्ट ने यादव सिंह प्रकरण की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया है। यादव सिंह पर अरबों रूपये के घोटाले का आरोप है। ऐसा लग रहा है कि सरकार और नौकरशाहों के बीच शतरंत की बिसात बिछी हो और शह-मात का खेल चल रहा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

उक्त सभी मामलों बस फर्क इतना था, नोयडा अथार्रिटी के मुख्य अभियंता यादव सिंह के प्रति अखिलेश सरकार का रवैया नरम रहा, परंतु अदालत का रूख सख्त रहा। बात सरकार से भिड़ने वाले नौकरशाहों की है तो उनकी तकदीर कुछ खास नहीं रही। पूर्व में आईएएस दुर्गा शक्ति नागपाल जब खनन माफिया के खिलाफ मोर्चा खोलकर अखिलेश सरकार के निशाने पर आई थीं तो आईएएस एसोसियेशन ही नहीं, तब की यूपीए की केन्द्र सरकार ने भी उनका पूरा साथ दिया दिया था, लेकिन आज स्थिति यह है कि आईएएस सूर्य प्रताप सिंह और आईपीएस अमिताभ ठाकुर दोनों को अपनी लड़ाई अकेले लड़नी पड़ रही है। दोनों नौकरशाहों को भी कहीं से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिल रहा है। सिवाय इसके कि सोशल नेटवर्किंग पर उनके समर्थन में कुछ लोग आये आये हैं।

सबसे पहले बात आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर की, जिनकी सबसे अधिक चर्चा हो रही है। हमेशा  सुर्खियों में रहने वाले पुलिस अधिकारी अमिताभ ठाकुर 92 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। 47 वर्षीय अमिताभ का जन्म उस वक्त बिहार के बोकारो में हुआ था। शुरूआती पढ़ाई बोकारो के केंद्रीय विद्यालय से पूरी करने के बाद आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग किया। इसके बाद वह आईपीएस की परीक्षा में बैठे और उनका सेलेक्शन भी हो गया। आईपीएस बनने के बाद उन्हे यूपी के सात जिलों बस्ती, देवरिया,  बलिया, महाराजगंज, गोंडा ,ललितपुर और फीरोजाबाद में उन्हें एसपी के तौर पर तैनाती मिली। साल 2006 में फीरोजाबाद के एसपी रहे। इसी दौरान मुलयम सिंह यादव की नाराजगी के चलते इनका तबादला कर दिया गया। कभी किसी बड़े जिले में इन्हे कप्तान के तौर पर तैनाती नहीं मिली। साल 2006 में अमिताभ ठाकुर को डीआईजी और  2010 में आईजी के पद पर प्रमोशन मिलना था, लेकिन गोंडा में कप्तान रहते शस्त्र लाइसेंस में धांधली के मामले में विभागीय जांच इनके खिलाफ के चलते पिछले मायावती राज में इनको पांच साल तक कोई प्रमोशन नहीं दिया गया। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसके बाद अमिताभ मामले को साल 2011 में  कैट  में ले गए। एक लम्बी लड़ाई लड़ी और आखिरकार अखिलेश सरकार ने साल 2013 में इनका डाइरेक्ट प्रमोशन एसपी से आईजी के पद पर कर दिया। प्रमोशन के बाद ठाकुर को आईजी रूल्स मैन्युअल बनाया गया, जिसके बाद अमिताभ का तबादला आईजी सिविल डिफेंस के पद पर कर दिया गया। नौकरी के दौरान कई गैर विभागीय कामों में शामिल होने के आरोप ठाकुर पर बराबर ही लगते रहे। इन्होंने कई आरटीआई  सरकारी कार्यों के लिए दाखिल की, कई पीआईएल किये, जिनमें कुछ में कोर्ट की फटकार भी सुनने को मिली। अमिताभ ठाकुर पर आरोप लगता रहा है कि कई मामले जो इनके विभाग से जुड़े नहीं थे, उनमें खुद जांच करने चले जाते थे। कई विरोध प्रदर्शनों में भी इन्होंने जमकर हिस्सा लिया।

बात यहीं तक सीमित नहीं थी। अमिताभ ने सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर भी कई शिकायतें की, अवैध खनन के मामले को लेकर इन्होंने यूपी सरकार के मंत्री गायत्री प्रजापति की शिकायत लोकायुक्त से की और बाद में कोर्ट के जरिये उनके खिलाफ मामला भी दर्ज करा दिया। परिवार में पत्नी नूतन ठाकुर, एक बेटा और बेटी हैं। नूतन खुद वकील, आरटीआई कार्यकर्ता और सामाजिक कार्य से भी जुड़ी रहती हैं। ठाकुर के बच्चे भी कई मामलों को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटा चुके हैं। अमिताभ ठाकुर और अखिलेश सरकार के बीच लम्बे समय से रिश्तों में खटास पड़ी थी। यह खटास तब चरम पर पहुंच गई, जब अमिताभ ठाकुर ने सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का एक टेप ही जारी कर दिया, जिसमें मुलायम सिंह आईपीएस अमिताभ ठाकुर से सख्त लहजे में बात कर रहे थे। इस टेप के सामने आने के बाद ही अमिताभ ठाकुर के बुरे दिन शुरू हो गये। अमिताभ के विरूद्ध चल रहे एक पुराने रेप केस, जिसकी फाइल बंद कर दी गई थी, उसे दोबारा खोल दिया गया। वहीं सेवा नियमावली की अवहेलना करने के कारण उन्हें चार्ज शीट भी सौंप दी गई है। उम्मीद की जा रही है कि आईपीएस अमिताभ ठाकुर को अपनी लड़ाई लम्बे समय तक लड़नी पड़ सकती है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

आईएएस अफसर सूर्य प्रताप सिंह के खिलाफ भी अखिलेश सरकार ने शिकंजा कस दिया है। सूर्य प्रताप सिंह पर नौकरी के नियम तोड़ने का आरोप लगाते हुए राज्य सरकार ने उन्हें चार्जशीट थमा दी है। पिछले कुछ वक्त से आईएएस अफसर सूर्य प्रताप सिंह सामाजिक मुद्दों को लेकर सक्रिय हैं और कई बार सरकारी कामों को लेकर भी आवाज भी उठा चुके हैं। फिलहाल सूर्य प्रताप सिंह प्रमुख सचिव के पद पर हैं। पहले यूपी में नकल को लेकर भी इन्होंने आंदोलन चलाया था ताकि प्रदेश में नकल माफिया पर लगाम लगाकर यूपी में नकल रोकी जा सके। इसको लेकर कई बार सूर्य प्रताप ने यूपी के मंत्री, अधिकारियों को भी  कटघरे में खड़ा किया था। ये माना जा रहा है जिस प्रकार अमिताभ ठाकुर के खिलाफ कार्रवाई हुई है। ठीक वैसी ही कार्रवाई आईएएस सूर्य प्रताप सिहं के खिलाफ भी होगी।

उधर, यूपी कैडर के आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने  16 जुलाई 2015  को एक फेसबुक पोस्ट से सीधा सरकार पर हमला बोला। उन्होंने फेसबुक में अपनी वॉल पर लिखा, सुनो सर जी, मार डालो पर….. डराओ मत, सर जी….।सूर्य प्रताप ने साथ ही ये भी लिखा कि पूर्वाग्रह ग्रस्त प्रचार से उनका मानसिक उत्पीड़न हो रहा है और ये कलंकित करने की कोशिश है। उन्होंने इसे गंभीर दर्द भरा और पीड़ादायक भी करार दिया। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

बहरहाल, एक तरफ दो नौकरशाह अपनी कार्यशैली के चलते सरकार के निशाने पर हैं तो दूसरी तरफ जनता के लिये अच्छी खबर इलाहाबाद हाईकोर्ट से आई है, जिसने यादव सिंह प्रकरण की जांच सीबीआई से कराये जाने का आदेश दिया है। यादव सिंह प्रकरण की सीबीआइ जांच से नेता-नौकरशाहों के बीच बने नापाक रिश्तों का पर्दाफाश हो सकता है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 16 जुलाई 2015  को यादव सिंह प्रकरण में सीबीआइ जांच का आदेश दिया है। नोयडा अथार्रिटी के पूर्व मुख्य अभियंता यादव सिंह पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी पदों पर रहते हुए छद्म नामों और कंपनियों को महंगे भूखंडों का सस्ते में आवंटन किया। बाद में भूखंड सहित कंपनियां बेचकर रकम बनाई। करीब तीन सौ भूखंडों की हेराफेरी की गई और 40 से अधिक फर्जी कंपनियां बनाई गईं। आयकर जांच में भी उनके पास आय से अधिक संपत्ति मिली है। सीबीआइ जांच को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यादव सिंह के सिर पर कई सफेदपोश लोगों का हाथ था। 

वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार से संपर्क : [email protected]

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement