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उत्तर प्रदेश

गुस्से में किसान : 20 को देशव्यापी विरोध, पांच मई को संसद पर प्रदर्शन, 14 मई को रेल-सड़क रोकेंगे, जेलें भरेंगे

उत्तर प्रदेश किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष कामरेड इम्तेयाज बेग ने कहा कि पूरे देश में ख़ास तौर से उत्तरी भारत में असामायिक वर्षा, ओले, आंधी और बाढ़ के चलते हजारो किसानों के मरने के साथ ही लगभग 20 से 30 हजार करोड़ की रवि की फसलो की बर्बादी के बाद भी केंद्र व प्रदेश सरकारों के अगुवा कुम्भकर्णी नीद में पड़े हैं। किसानो की कोई चिंता नहीं। आईएएस लॉबी किसानों की मौत को स्वाभाविक बता रही है। बीमा कम्पनियां और बैंक किसानों से पैसा लेकर फसल बीमा नहीं करते हैं। केंद्र और प्रदेश सरकारें किसानो की बर्बादी पर राहत के नाम पर मुआवजा पहले नौ हजार रुपये प्रति हेक्टेयर, अब बढ़ाकर साढ़े तेरह हजार रुपये प्रति हेक्टेयर कर दिया है। यह किसानों के साथ सरकारों का क्रूर मजाक है, क्योकि एक बिस्से की पूरी फसल बर्बाद होने पर 142 रूपये या पचास फीसदी बर्बाद होने पर 71 रूपये का चेक मिल रहा है, क्या यह किसानों के साथ खिलवाड़ नहीं है, सरकार बताये ?

उत्तर प्रदेश किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष कामरेड इम्तेयाज बेग ने कहा कि पूरे देश में ख़ास तौर से उत्तरी भारत में असामायिक वर्षा, ओले, आंधी और बाढ़ के चलते हजारो किसानों के मरने के साथ ही लगभग 20 से 30 हजार करोड़ की रवि की फसलो की बर्बादी के बाद भी केंद्र व प्रदेश सरकारों के अगुवा कुम्भकर्णी नीद में पड़े हैं। किसानो की कोई चिंता नहीं। आईएएस लॉबी किसानों की मौत को स्वाभाविक बता रही है। बीमा कम्पनियां और बैंक किसानों से पैसा लेकर फसल बीमा नहीं करते हैं। केंद्र और प्रदेश सरकारें किसानो की बर्बादी पर राहत के नाम पर मुआवजा पहले नौ हजार रुपये प्रति हेक्टेयर, अब बढ़ाकर साढ़े तेरह हजार रुपये प्रति हेक्टेयर कर दिया है। यह किसानों के साथ सरकारों का क्रूर मजाक है, क्योकि एक बिस्से की पूरी फसल बर्बाद होने पर 142 रूपये या पचास फीसदी बर्बाद होने पर 71 रूपये का चेक मिल रहा है, क्या यह किसानों के साथ खिलवाड़ नहीं है, सरकार बताये ?

प्रदेश और देश की दोनों सरकारे साम्राज्यवाद के दबाव में काम कर रही हैं और वह चाहती हैं कि किसानों को इतना जलील और परेशान कर दिया जाए कि वह अपनी खेती व अपनी मातृभूमि को कौड़ी के दाम बेचकर निराश्रित मजदूर बन जाएं क्योंकि सरकारों की मंशा यही है कि वो पूंजीपतियों और कारपोरेट सेक्टर को सस्ता और कुशल मजदूर मुहैया करा सकें। इसके पीछे की हकीकत यह है की इन कारपोरेट सेक्टरों में इन बड़े नताओ का भरपूर पैसा लगा हुआ है और इन पैसो की देखभाल करने वाले इनके नाते रिश्तेदार हैं। 

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अगर आप वर्तमान परिदृश्य को देखें तो पायेंगे की सत्ता शासन में बैठे मंत्री संतरी व ब्यूरोक्रेट्स आम – आवाम के हक़ हुकूक के हिस्से काटकर बड़े कारपोरेट घरानों को दे रहे हैं। अगर सरकारें समय रहते खेती और किसानी पर विशेष ध्यान नहीं देतीं तो देश के अन्दर ”मरता क्या न करता ” वाली कहावत चरितार्थ होती नजर आएगी। देश में गृह युद्ध जैसे आसार दिखाई दे रहे हैं। जिस किसान की खेती जबरदस्ती विवश करके उससे हथियायी जाएगी, वो मजबूर होकर हथियार उठाने को विवश होगा। यह स्थितियां बड़े पैमाने पर उत्तर प्रदेश से लेकर पूर्वोत्तर उड़ीसा, पंजाब तक बनायी जा रही हैं। 

उत्तर प्रदेश किसान सभा प्रदेश और देश की सरकार से मांग कर रही है कि किसानों की बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा प्रति एकड़ 15 हजार रुपये दिया जाए। किसानों के सभी कर्जे सहकारी व सरकारी बैंकों के माफ़ किये जाएं। उनके बिजली के बिल माफ़ किए जाएं। खरीफ की फसल के लिए खाद और बीज मुफ्त दिए जाएं। अगर ऐसा सरकार नहीं करती है तो बीस अप्रैल को पूरे देश के जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन कर जिलाधिकारी के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को मांगपत्र दिया जाएगा पांच मई को अखिल भारतीय किसान सभा संसद पर प्रदर्शन करेगी। उस पर भी अगर किसानों की मांग नहीं मानी गयी तो 14 मई को 2015 को पूरे देश में रेल रोको, सड़क रोको, जेल भरो आन्दोलन चलाया जाएगा |

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कबीर के फेसबुक वॉल से

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