मजीठिया वेज बोर्ड पर सुप्रीम कोर्ट में कल सुनवाई के बाद जब अदालत ने पूरे मामले पर सुनवाई खत्म होने के ऐलान करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया तो मानों मीडिया मालिकों के वकीलों को सांप सूंघ गया. अखबार प्रबंधन के वकील सिर्फ एक रणनीति पर लंबे समय से काम कर रहे थे. किसी भी तरह अदालत का वक्त जाया करो और पूरे प्रकरण को गलत दिशा में घुमाओ ताकि कनफ्यूजन बना रहे और डेट पर डेट मिलती रहे.
लेकिन पिछली कुछ सुनवाई के दौरान अदालत ने सब कुछ भांप लिया और मसले को ज्यादा लटकाने की जगह फैसलाकुन दौर में ले जाने को सोच लिया. इसी के तहत पिछले दो सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के वकीलों की बातों दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने और फैसला सुरक्षित रखने का ऐलान किया. कोर्ट रूम से बाहर निकल रहे मीडिया मालिकों के एक वकील ने सुनवाई पूरी होने और फैसला सुरक्षित रखे जाने के घटनाक्रम पर भुनभुनाते हुए टिप्पणी की- ‘आज तो सब गुड़-गोबर हो गया.’
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दैनिक जागरण के दर्जनों संघर्षरत मीडियाकर्मियों की तरफ से पवन उप्रेती भी कोर्ट रूम में मौजूद थे. उन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड के लिए लड़ रहे मीडियाकर्मियों के ह्वाट्सएप ग्रुप ‘मजीठिया क्रांतिकारी’ में अपने आब्जवरशेन को शेयर किया है, जो इस प्रकार है-
मैं अदालत कक्ष में मौजूद था। माननीय न्यायाधीश ने वर्कर्स और प्रबंधन के सभी वकीलों को बहुत ध्यान से सुना और दोनों न्यायाधीशों ने सुनवाई के दौरान आपस में काफी समय तक चर्चा भी की। हमारे एडवोकेट्स ने मुद्दों को बेहद सधे हुए ढंग से उठाया। शुरू से ही ऐसा लग रहा था कि जस्टिस गोगोई साहब मन बनाकर बैठे हैं कि उन्हें आज इस चैप्टर को क्लोज करना है। उन्होंने इस बारे में कहा भी था। कुल मिलाकर अखबार मालिकानों की इस मामले को लंबा खींचने की सारी कोशिशें नाकाम हो गई क्योंकि आज वे किसी भी कीमत पर डेट लेना चाहते थे। ये कह सकता हूँ कि अदालत से हमारे पक्ष में अवश्य अच्छा फैसला आएगा। एक निवेदन हम सभी साथियों से यह है कि माननीय अदालत का फैसला आने से पहले इस सम्बन्ध में टीका टिप्पणी ना की जाए। एक बार फैसला आने पर अखबार मालिकान पैसा ना देकर अवमानना कर चुके हैं, अब दोबारा ऐसा करने की उनकी हिम्मत होगी, मैं नहीं मानता। 20 जे ख़ारिज होते ही हम पैसा लेने के हकदार होंगे और पैसा दिलवाने के लिए माननीय न्यायालय कैसा मैकेनिज्म बनाता है, यह भी फैसला आने पर ही पता चलेगा। याद रखिये, 10 दिन पहले हम, उसमें भी सबसे पहले मैं सोच रहा था कि आखिर तारीख क्यों नहीं लग रही है, मन आशंकाओं से घिरा हुआ था। केवल 10 दिनों में भी तारीख भी लगी और सुनवाई भी पूरी हुई। हम अपने हक़ के लिए और ताकत के साथ लड़ेंगे और पैसा लेंगे वो भी ब्याज सहित।
Kashinath Matale
May 5, 2017 at 11:37 am
‘आज तो सब गुड़-गोबर हो गया.’
Good for Employees
गोबर for employers those who contempt the SC order of 7-2-2014.
SATYA MEV JAYATE !!!