वाराणसी : चौबेपुर क्षेत्र के भंदहा कला (कैथी) गाँव स्थित टेलीफ़ोन एक्सचेंज के पास एक बगीचे में एक माह पूर्व एक मोरनी की चोंच के पास घाव हो गया था। मोरनी को स्थानीय निवासियों ने इलाज कराने के बाद छोड़ दिया। घाव के कारण उसकी एक आँख जाती रही , एक तरफ से न दिखाई देने के कारण कुछ दिन बाद मोरनी सड़क पार करते समय किसी वाहन की चपेट में आ गयी।
घायल मोरनी का इलाज कराते स्थानी पक्षीप्रेमी
इस दुर्घटना में बुरी तरफ घायल मोरनी का एक तरफ का पंख टूट गया। प्रकृति प्रेमियों ने हार नहीं मानी और उसका इलाज और सेवा करते रहे। घाव की दवा-पट्टी और सिरिंज से दूध दवा पिला कर मोरनी को इस स्थिति में ला दिया कि वह चलने फिरने और दाना चुगने में सक्षम हो गयी। अब दिक्कत उसे स्वतन्त्र छोड़ने में थी क्यूँकि एक आँख और एक तरफ का पंख न होने से वह जंगली जनवरों, कुत्तों आदि से सुरक्षित नहीं थी। फिर इन लोगों ने प्रभागीय वनाधिकारी, वाराणसी, उप खंड अधिकारी वाराणसी और सारनाथ पक्षी विहार के वन क्षेत्राधिकारी से मोरनी को सुरक्षित आश्रय देने के लिए सम्पर्क किया।
वन विभाग के अधिकारियों की सहमति मिलने पर अंततः २६ जुलाई को मोरनी को सारनाथ स्थित पक्षी विहार में स्थान मिल गया। पक्षी विहार के प्रभारी आर एन चौरसिया ने राष्ट्रीय पक्षी की जीवन रक्षा के लिए सभी को बधाई देते हुए कहा कि यह अत्यंत अनुकरणीय कार्य है। किसी भी प्रकार के घायल पक्षी को सारनाथ पक्षी विहार में कभी भी लाया जा सकता है। पक्षी विहार में पक्षियों की देख रख के लिए नियुक्त बब्बन यादव और उप वन क्षेत्र अधिकारी ने कहा कि धीरे धीरे उक्त घायल मोरनी सामान्य तरीके से जीवन जीने लगेगी।
मोरनी को पुनर्जीवन दिलाने के इस प्रयास में नर नाहर पाण्डेय, दीन दयाल सिंह, रसेश चान्द्रायण, स्निग्धा, अनुष्का, शौर्य, विनोद, कैप्टन राजीव पाण्डेय और वल्लभाचार्य पाण्डेय का विशेष योगदान रहा।