शीतल पी सिंह-
विशाखापट्टनम स्टील प्लांट में 35 हजार कर्मचारी हैं, और उसकी परिसंपत्ति 3 लाख करोड़ रुपए की बताई जाती है, उसे मोदीजी की सरकार केवल 1300 करोड़ में बेचना चाहती है!
मोदीजी की सरकार ने कोई सार्वजनिक संपत्ति इस देश में विकसित नहीं की और दावे किए कि पिछले सत्तर बरसों में देश में कुछ न हुआ । जब कुछ नहीं हुआ तो आख़िर वे किसकी पैदा की हुई संपत्ति बेच रहे हैं?
संपत्ति हस्तांतरण के बाद कहाँ पहुँच रही हैं?
कृष्णा गोदावरी में देश का सबसे बड़ा नेचुरल गैस का भंडार अटल जी के समय नीति बदलकर प्रायवेट किया गया और अंबानी के हाथ गया । आज इसमें एक बड़ा हिस्सा एक ब्रिटिश पेट्रोलियम कंपनी का है ।
गौतम अड़ानी को नेचुरल गैस डिस्ट्रीब्यूशन का देश में सबसे बड़ा बाज़ार प्रायवेट करके सौंपा गया, आज अडानी गैस “टोटल” नामक फ़्रांसीसी कंपनी को बिक चुकी है ।
मुकेश अंबानी ने अपनी कंपनी को डेब्ट फ़्री करने के लिये तमाम ग्रुप कंपनियों के हिस्से विदेशी कंपनियों को बेच डाले हैं ।
एस्सार ने अपनी रिफ़ाइनरी (देश की दो प्रायवेट रिफ़ाइनरियों में से एक)समेत पेट्रोलियम का रिटेल बिज़नेस कई साल पहले रूसियों को बेच दिया है ।
बैंक और बीमा हमने खुले बाज़ार में लुटने के लिए छोड़ दिये हैं । पहले सरकारी बैंक बीमा को बीमार बनाया गया और फिर सुधार के नाम पर नीलामघर में पहुँचा दिया गया है । अब सरकार कह रही है कि गर बैंक डूबे(छोटे मोटे डूबना शुरू कर चुके हैं) तो पाँच लाख तक वापस कराने की ज़िम्मेवारी उसकी ! यानि पाँच लाख से ऊपर की जमा हर रक़म ख़तरे के निशान के ऊपर !
होगा यही कि देश का सारा आधारभूत ढाँचा देसी पूँजीपतियों के रास्ते धीमे धीमे उन्हीं विदेशियों के हाथ बिक जाएगा जिनसे देश और उसके संसाधनों को मुक्त कराने की लड़ाई हमारे बुजुर्गों ने सदी भर लड़ी और द्वितीय विश्वयुद्ध में कमजोर हुई साम्राज्यवादी सामर्थ्य के चलते आज़ादी पाने में कामयाबी हासिल की ।
लेकिन अब इसी को देशभक्ति बतलाया जा रहा है और वह भी “जुम्मन” को क़ाबू में रखने के नाम पर !
ख़ैर आपको इस सबसे क्या ? अग़ल बग़ल देखते रहिए नहीं तो मुल्ले लव जेहाद न करके निकल जांय !
dilip Gopal BHATI
August 2, 2021 at 10:59 am
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