Yashwant Singh :नेटफ्लिक्स पर ओशो की वेब सीरीज (वाइल्ड वाइल्ड कंट्री) देखना जोरदार अनुभव है। ओशो मेरे पसंदीदा शख्सियतों में से हैं, बहुत लंबे समय से। इस धरती, प्रकृति, मनुष्यता, समाज, सत्ता, सरवाइवल, समय, बदलाव, चेतना और एवोल्यूशन को समझना हो तो आपको कइयों को समझना-पढ़ना होगा। शंकर से लेकर मार्क्स तक, भगत सिंह से लेकर ओशो तक, वेद से लेकर विज्ञान तक, धरती से लेकर पाताल तक, आसमान से लेकर ब्रम्हांड तक, ग्रेविटी से लेकर डार्क एनर्जी तक…. मतलब चीजों को कई डायमेंशन्स से समझेंगे तो एक रोज आपको ‘मैं कौन हूँ, मैं क्यों हूं’ जैसे नितांत निजी सवाल का जवाब मिल जाएगा, नितांत निजी सफर को मंज़िल नज़र आ जाएगी।
ओशो आपको बहुत कुछ समझाते बताते हैं पर खुद के बारे में कम जानकारी देते हैं। उनके निजी जीवन, खासकर अमेरिकी प्रवास के बारे में मेरी जानकारी भी कम थी। ओशो पर केंद्रित नेटफ्लिक्स सीरीज को देखकर आनन्द आ रहा है।
ओशो भी वही गलती कर बैठे जो बहुत सारे बड़े लोग कर गुजरते हैं। वो अपना पंथ कल्ट बनाने लगते हैं। हालांकि ओशो संग ही संग पंथ-कल्ट को खारिज किए जाने की वैचारिकता का भी बयान करते हैं। उनकी सेक्रटरी शीला ने मुझे ज्यादा प्रभावित किया। क्या ग़ज़ब दबंग, तेजस्वी और तार्किक लेडी है। आई लाइक हर। ओशो से उसके लव एंड हेट वाले दोनों रिश्ते की कहानियां जोरदार है। ओशो कई जगह भगवान तो छोड़िए, औसत मनुष्य से भी ज्यादा कमजोर आदमी नज़र आए।
ओशो का पिछले दिनों एक quote पढ़ रहा था, जिसका सार कुछ यूं है कि ”बुद्ध महावीर से मैं ज्यादा स्वतंत्र हूं क्योंकि बुद्ध नाचते नहीं थे, मैं नाच सकता हूं।”
यह पढ़ मेरे मुंह से अनायास निकला, ”ओशो डार्लिंग! नाचने की अवस्था के आगे की चीज होती है मुस्कुराती मस्ती के साथ मौन हो जाना!”
खैर! अब अपनी बात करते हैं। आज फेसबुक पर हमहूँ डिजिटल सत्संग न कर पाए, क्योंकि ओशो वेब सीरीज देखने में मगन रहा 🙂
कल दिल्ली से बाहर कहीं घूमने जाना है, जगह तय नहीं है। ये सूचना कन्फर्म है 🙂
मुझे आजकल भूख बहुत ज्यादा लग रही है। ये अलग किस्म का नशा है। दिन भर ये खाऊं वो खाऊं में जुटा रहा 🙂
आखिरी बात, अगर आप आंख नाक कान खुले रख कर दिल-दिमाग से सहज रह सकते हैं, थोड़े जाग्रत हैं, थोड़े enlighten mode में हैं तो आपको लगता होगा कि हर गुजरते वक़्त के साथ आप ज्यादा उदात्त, ज्यादा मस्त बनते जाते हैं। आप हर किसी से प्यार करने लगते हैं। जो कुछ घटित हो रहा, वो क्यों हो रहा, आगे क्या होगा, ये सब मन ही मन जानने बूझने लगते हैं! वो जो हत्यारे हैं, वो जो शासक है, वो जो हाय हाय किए पड़े हैं, उन्हें भी जान लेते हैं, उनसे भी प्यार करते हैं क्योंकि वो वैसा क्यूं हैं, ये भी आप जान चुके होते हैं। क्योंकि तब तक आप भय, मृत्यु और जीवन का राज जान चुके होते हैं।
गुड नाइट माई फेसबुक फ्रेंड्स! लव यू आल!!
जै जै 🙂
यशवंत
भड़ास के संपादक यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.
होकमदेव राजपूत
January 6, 2019 at 3:15 pm
ओशो वो शख्सियत है जिससे दिमाग से नही समझा जा सकता । अमरीका को हिलाने और सबसे ज़्यादा भय पैदा करने वाले सबसे पहले नाम ओशो का आता हैं। उसके बाद ओसामा बिन लादेन ,और जूलियन अंसाजे शामिल हैं। ओशो को जीना पड़ता हैं। दो तरह की बाते वो करते हैं। पर गहरे मन से सुना जाए तो सब कुछ समझ पड़ता हैं। कभी कभी विरोधाभासी उनके विचार नज़र आते हैं। पर वो ये भी कहते है कि आप भी स्वतंत्र हो सोचने समझने के लिए। मेरी हर बात मानना ज़रूरी नही।