आज 11 अक्टूबर को विश्व मोटापा दिवस (world obesity day) है.
११ अक्टूबर का दिन दुनिया भर में लोगों को ‘स्वस्थ वजन’ बनाए रखने के प्रति जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। इसकी शुरुआत सन २०१५ से हुई थी।
व्यस्त जीवनशैली तनाव और खानपान को लेकर लापरवाही मोटापे का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। आसान शब्दों में मोटापा शरीर पर आवश्यकता से अधिक भार का नाम है।
बेडौल शरीर न सिर्फ महिला पुरुष की सुन्दरता को खत्म करता है बल्कि कई बीमारियों की जड़ है।
मोटापे में अप्रत्याशित वृद्धि से गर्भधारण में दिक्कतों के अतिरिक्त प्रसव में भी जोखिम होता है। महिलाओं में मोटापा प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है।
दुनिया भर में मोटापा 1975 से लगभग तीन गुना हो गया है। 2016 में 1.9 अरब से अधिक वयस्क (18 वर्ष और उससे ज्यादा उम्र के) अधिक वजन वाले थे।
18 वर्ष और अधिक आयु के 39% वयस्क 2016 में अधिक वजन वाले थे, और 13% लोग मोटापे से ग्रसित थे।
5 साल से कम उम्र के 38 मिलियन बच्चे 2019 में अधिक वजन वाले या मोटापे से ग्रसित थे।
5-19 आयु वर्ग के 340 मिलियन से अधिक बच्चे और किशोर 2016 में अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त थे।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, कैंसर के चार निरोध्य कारणों में से मोटापा एक है। यह स्वास्थ्य से जुड़ा एक गंभीर विषय है।
मोटापा है या नहीं, यह जानने के लिए अपनी लंबाई में से सौ सेमी घटा देने से जो बचे उतना किलो वज़न सामान्य कहा जा सकता है।
बी एम आइ वजन और लम्बाई का एक अनुपात है और भारतीयों के लिए यह १८.५ से २३ तक सामान्य माना गया है।
मोटापे के प्रमुख कारणों में उचित पोषक आहार न लेना, अधिक तैलीय पदार्थ या फास्ट फूड्स का सेवन करना, व्यायाम की कमी प्रमुख है। तनाव से भी मोटापा बढ़ता है। कई मामलों में मोटापा के पीछे अनुवांशिकता भी कारण है।
मोटापा बढने से मधुमेह, अनिद्रा, ब्लडप्रेशर, हार्ट अटैक, थायरॉइड, ब्रेन स्ट्रोक, कैंसर, अनिद्रा, जोड़ों और घुटनों की बीमारियां शुरू हो जाती हैं।
मोटापा कम करने के लिए हमें अपने रोज के आहार विहार को ध्यान में रखना चाहिए। भोजन समय समय पर संतुलित तथा उचित मात्रा में लेना चाहिए।
डॉ संध्या
सीनियर रेजिडेंट
प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग चिकित्सा विज्ञान संस्थान
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय