सुधांशु त्रिवेदी का व्यापम घोटाले से क्या रिश्ता है? क्या टेलीविज़न पर अक्सर दिखने वाला बीजेपी का न भूलने वाला चेहरा सुधांशु त्रिवेदी, व्यापम घोटाले से किस प्रकार जुड़े है? क्या अभी सुधांशु त्रिवेदी व्यापम में बड़े पद पर नहीं थे?
इन सारे प्रकरण से मध्य-प्रदेश के मुख्यमंत्री अनभिज्ञ नहीं हैं। पार्टी की छवि और साख बचाने की नीयत से उन्होंने छुपी साध ली है, ऐसा दावा है इण्डिया संवाद का। मगर मौजूदा हालत और अंनगिनत मौतों के बाद प्रधानमंत्री ने जो रिपोर्ट तलब की है, उसमे सुधांशु त्रिवेदी, मास्टरमाइंड पंकज त्रिवेदी, पियूष त्रिवेदी और सुधीर शर्मा के सम्बन्धों की विस्तृत जानकारी मांगी गयी है।
यह कैसी विडंबना और मूर्खता है कि भाजपा व्यापम पर पार्टी का बचाव उसी आदमी से करवा रही है जो स्वयं व्यापम घोटाले से जुड़ा हुआ है। सूत्रों की मानें तो सुधांशु त्रिवेदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के काफी करीबी और और गृह मंत्री राजनाथ सिंह से आशीर्वाद प्राप्त हैं, जो मध्य प्रदेश के कभी सबसे बड़े घोटाले में शामिल कई प्रमुख खिलाड़ियों के साथ परिचित थे। त्रिवेदी अब अधिक व्यापक रूप में टीवी स्क्रीन पर पार्टी का बचाव करने के लिए अपनी सेवाएं दे रहे हैं, “भाजपा के एक पदाधिकारी ने कहा।”
सूत्र बताते हैं कि सुधांशु त्रिवेदी अपने रसूख का इस्तेमाल कर मध्य-प्रदेश भवन, नई-दिल्ली में बतौर सम्पर्क अधिकारी (व्यापम) कार्यरत थे और उसी दौरान उनका सम्पर्क पंकज त्रिवेदी से हुआ जो PEB में बतौर परीक्षा नियंत्रक के पद पर आसीन थे। पंकज त्रिवेदी के माध्यम से सुधांशु त्रिवेदी मध्य-प्रदेश के मंत्री लक्ष्मीकान्त शर्मा और रेत माफिया सुधीर शर्मा के सम्पर्क में आये जो सत्ता की दलाली करता था। अब टीम पूरी तरह से घोटाला करने और नौकरी से लालसा रखने वालों और मेडिकल कॉलेज में दाखिले की इच्छा रखने वाले लोगो के लिये काम करने को तैयार था। कहते हैं, व्यापम कुछ ही दिनों में उद्योग का रूप ले चुका था।
और आज जो कुछ हो रहा है, वह दुनिया के सामने है। सूत्रों का कहना है, मध्य प्रदेश में क्षेत्रीय अखबारों ने जब पूरे घोटाले को उजागर करना शुरू किया और ताबतोड़ गिरफ्तारी का सिलसिला शुरू हुआ तो पिछले साल पंकज त्रिवेदी की गिफ्तारी के उपरान्त सुधांशु त्रिवेदी पार्टी के प्रवक्ता बनकर चुपचाप व्यापम में अपने कार्यभार से इस्तीफा दे चले थे।
असद जफर के एफबी वाल से