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कायदे से यही होना चाहिए जो अभी एनडीटीवी इंडिया पर हो रहा है

Vineet Kumar : कायदे से यही होना चाहिए जो अभी एनडीटीवी इंडिया पर हो रहा है. एबीवीपी और आइसा के छात्र नेता के बीच आमने-सामने बातचीत. (आज साकेत बहुगुणा, एबीवीपी और सहला रशीद, आइसा) कुछ नहीं, बाकी के चैनल एक सप्ताह यही काम करें, किसी राजनीतिक दल के प्रवक्ता, बुद्धिजीवी, पत्रकार के बजाय इन छात्र नेताओं को शो में शामिल करें, काफी कुछ बदल जाएगा. हम दर्शकों को काफी कुछ नया देखने को मिलेगा वो तो है ही.

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Vineet Kumar : कायदे से यही होना चाहिए जो अभी एनडीटीवी इंडिया पर हो रहा है. एबीवीपी और आइसा के छात्र नेता के बीच आमने-सामने बातचीत. (आज साकेत बहुगुणा, एबीवीपी और सहला रशीद, आइसा) कुछ नहीं, बाकी के चैनल एक सप्ताह यही काम करें, किसी राजनीतिक दल के प्रवक्ता, बुद्धिजीवी, पत्रकार के बजाय इन छात्र नेताओं को शो में शामिल करें, काफी कुछ बदल जाएगा. हम दर्शकों को काफी कुछ नया देखने को मिलेगा वो तो है ही.

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न्यूज चैनलों के एंकर जो पार्टी प्रवक्ता का अवतार रूप लेकर टीवी स्क्रीन पर मौजूद होते हैं, उनके बदले सीधे छात्रों को अपनी बात रखने का मौका दें तो ज्यादा बेहतर और स्वस्थ लोकतंत्र की उम्मीद की जा सकती है. आप इन छात्र नेताओं से संभव है, सहमत न हों लेकिन अपना पक्ष रखने के लिए वो कहीं ज्यादा पढ़-लिखकर मौजूद होते हैं. हम दर्शकों को कहीं ज्यादा सुविधा होती है..हम खालिस छात्र नेता को देख पाते हैं, एंकर की शक्ल में पार्टी प्रवक्ता की पायरेसी तो नहीं ही..

युवा मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार के फेसबुक वॉल से.

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