(आपरेशन थिएटर से बाहर लाए जाते यशवंत)
नई दिल्ली : भड़ास4मीडिया डाट काम के संस्थापक और संपादक यशवंत सिंह बीती रात बुरी तरह जख्मी हो गए. उनके माथे में गहरी चोटें आई हैं. वे बाथरूम में गिर पड़े थे जिसके कारण नल की टोंटी उनके माथे में घुस गई. उन्हें दर्जनों टांके लगे हैं. चोट की स्थिति देखकर डाक्टर्स ने किसी प्लास्टिक सर्जन डाक्टर से आपरेशन कराने की सलाह दी. इसे ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक सर्जरी के विशेषज्ञ डाक्टर से संपर्क साधा गया.
विशेषज्ञ डाक्टर ने अपनी पूरी टीम के साथ करीब घंटे भर तक चले आपरेशन में दर्जनों टांके लगाए. यशवंत को करीब 9 दिन तक बेड रेस्ट की सलाह दी गई है. इस हादसे के बारे में यशवंत ने खुद फेसबुक पर जो पोस्ट किया है, वह इस प्रकार है-
Yashwant Singh : मेरा दुश्मन मैं खुद। रात ‘ज्यादा’ हो गयी थी। गिर पड़ा बाथरूम में। दोनों आईब्रो के उपर गहरे जख्म आए हैं। नॉर्मल टांका लगने की स्थिति नहीं थी। प्लास्टिक सर्जन ने ऑपरेशन थिएटर में लगभग घण्टे भर सिलाई की। अब दारू छोड़ ही देता हूं।
Comments on “दुर्घटना में भड़ास संपादक यशवंत बुरी तरह घायल”
Ye khabar km… chutki jyada lga.. maaf kijiyega yaswant ji.. lekin mujhe hasi aa rhi h
किस कदर गंभीर रुप से घायल हैं और कैसे कैसे किसी की दुआओं से बचे हैं….देखने के लिए नीचे दिये वीडियो लिंक पर क्लिक करें
https://youtu.be/1CKud-3d6AU
2011 से तो मैं ही सुनता आ रहा हूं कि कल से दारी बंद…… अभी तक तो हुआ नहीं…. सुधरने का मुझे कोई चांस नजर नहीं आता फिर भी शराब छोड़ने के मुहिम में बड़े भाई यशवंत सिंह को ढेरो सारी अग्रिम शुभकामनाएं……
यशवंत भाई! शराब छोड़ोगें तो मैं मंदिर जाऊंगा… लेकिन आप दूसरी ‘मंदिर’ फिर से मत पहुंच जाना नहीं तो प्रसाद के पैसे भी आपसे ही निकलवाऊंगा… बड़े भाई यशवंत सिंह जी, सादर प्रणाम, आपके साथ हुए हादसे को लेकर मन दुखी है। जल्द ही आपसे मुलाकात करता हूं। अभी आपसे न मिल पाने का कारण यह है कि मुझे वाकई में आपका पता नहीं मालुम है। मेरे पास आपका मोबाइल नंबर जरूर है लेकिन आजकल कुछ ऐसे भी घूम रहे हैं जो आपसे आपकी कुशलता पूछने के बहाने आपका पता मांग लें और फिर लीगल नोटिस भेज दें। ऐसा शायद आपके साथ दो-एक बार करने की कोशिश भी की गई है या फिर हुआ हो।
मेरे कुछ भाई हैं जो मुझे आपतक पहुंचा सकते हैं। मैं कल ही आपसे मिलने आऊंगा। अब रही बात दारू की तो भैय्या आप ये कभी मत कहना, ‘मैं दारू छोड़ दूंगा’। बहुत समय पहले आपसे मुलाकात हुई थी उस समय भी आपने यही बात कही थी। हालांकि, ये बात आपने किसी और से कही थी और मैं भी उसके साथ था। आपने कहा था कि क्षत्रिय हूं इसलिए रोटी-बोटी मतलब मुर्गा आदि नहीं छोड़ सकता लेकिन दारू छोड़ दिया हैं।
आपने बड़ा बल देकर कहा था कि मैने दारू छोड़ने को सोचा और छोड़ दिया। आदमी चाहे तो कुछ भी कर सकता है। उसके करीब एक सप्ताह बाद ही मुझे फिर से किसी की फेसबुक वाल के माध्यम से यह जानकारी मिली कि यशवंत सिंह की दारू कमजोरी है और वह खुद ये स्वीकार करते हैं कि वो दारू के बिना नहीं रह सकते। तो भैय्या कहने का मतलब 2011 यानि आज के पांच साल पहले से मैं आपको दारू छोड़ने का संकल्प प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से लेते हुए कई बार देख/सुन चुका हूं लेकिन कुछ ही दिनों में फिर से वही ‘ढाख के तीन पात’।
बहरहाल, यदि आपने दारू छोड़ दी तो मैं वाकई में मंदिर में जाकर प्रसाद चढ़ाऊंगा। समस्या यहां पर तो यह है कि मैं उधर प्रसाद चढ़ाकर आऊं और इधर फिर पता लगा कि आप दूसरेवाले ‘मंदिर’ पहुंच गए हो या किसी चेले को भेज दिए हो। हर मामले में यशवंत सिंह का आंख मूंदकर भरोसा किया जा सकता है लेकिन इस मामलें में नहीं।
बड़ा भाई जल्दी ठीक हो इसके लिए भगवान से प्रार्थना करता हूं और अपने ‘भगवान’ से मिलने आज ही आता हूं।
shailendra shukla
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