भईया Yashwant, ये कौन लोग हैं जो पीएम के साथ सेल्फी लेकर अपने जीवन पर फ़क्र महसूस कर रहे हैं। और क्यों ले रहे हैं वो सेल्फी। क्या इसलिए कि ये कोई फोटो अपार्चुनिटी है? या इसलिए कि वो इसे सोशल मीडिया पर चमका सकें? वो अपने रीअल और वर्चुअल मित्रों को इस बात का अहसास दिला सकें कि वो कितने बड़े तीस मार खां हैं? वो उन्हें बता सकें कि उनकी पहुंच कितने ऊपर तक है? उन्हें अहसास दिला सकें कि वो कितने खास हैं?
या फिर इसलिए कि अपने पड़ोसियों पर धाक जमा सकें? या फिर इसलिए कि अपने मां-बाप को अपने पड़ोसियों पर, सिस्टम पर और समाज पर धाक जमाने की एक वजह दे सकें? या फिर इसलिए कि वो लोगों को समझा सकें कि वो डेढ़ सौ करोड़ की आम जनता के बीच रहते जरूर हैं पर वो कितने खास हैं? या फिर इसलिए कि वो इस सेल्फी का इस्तेमाल कई सालों तक अपने आसपास के लोगों, पुलिसवालों, सरकारी अफसरों, बाबूओं या प्रतिष्ठित लोगों को प्रभावित करने, दबाव बनाने, धमकी देने, ब्लैकमेल करने या फिर गलत तरीके से अपना काम करवाने में कर सकें। या फिर इसलिए कि वो अपने से जुड़े तमाम लोगों को अहसास दिला सकें कि वो अपने जाननेवालों, रिश्तेदारों, मित्रों से मिलकर, बातचीत कर, उनके प्रयोजनों में सम्मिलित होकर उन पर कितना बड़ा अहसान करते हैं? या फिर इसलिए कि वो उन तमाम लोगों पर एक किस्म का धौंस जमा सकें जो उन्हें कल तक भाव नहीं देते थे, मुंह नहीं लगाते थे या वरिष्ठ और गरिष्ट पत्रकार के तौर पर रिक्ग्नाइज नहीं करते थे।
या इसलिए कि उनका अपने ही आर्गनाइजेशन में रौब बढ़ जाए, कई दिनों तक हर आदमी की जुबान पर उनका ही जिक्र रहे? या फिर इसलिए कि बड़ी बीट, बड़े अपरेज़ल, बड़े ओहदे, बड़े फॉरेन टूर या फिर बॉस के बड़े चापलूस के लिए स्वाभाविक दावेदारी सिर्फ उनकी हो? बहरहाल, वजह इनमें से जो भी, एक बात तो तय समझो गुरू, तुम्हारी इनमें से कोई भी तमन्ना पूरी नहीं होने वाली क्योंकि तुम्हारे हल्के व्यक्तित्व की ओछी हरकतें हर आदमी ने आज टीवी पर लाइव देखी हैं। वो जानते हैं किस तरह तुम एक हड्डी गिरते ही दुम हिलाते हुए सत्ता से नज़दीकी दिखाने के लिए अपनी शर्म -हया और अपने पेशे की गरिमा सरेआम नीलाम करके आए हो। काश तुम समझ पाते कि तुम ऐसा करते हुए कितने लिजलिजे नज़र आ रहे थे।
शर्म आई तुम्हें देखकर कि प्रधानमंत्री से मिलने की खुशी में तुम इस कदर लहालोट हो रहे थे जैसे तुम किसी अमीर आदमी के यहां रामलाल की भूमिका में हो। मुझे तुम्हारी सेल्फी विद पीएम से कोई दिक्कत नहीं बशर्ते तुम ये ऐलान करो कि अब तुम्हें जर्नलिस्ट बने रहने का कोई शौक नहीं रहा। और हां, अगली बार जब कोई तुम्हें प्रेस्टीट्यूट कहे ना तो प्लीज़ बुरा लगने का ड्रामा मत करना क्योंकि तुम्हें तो मालूम ही है कि तुम खुद अपनी नज़रों में क्या हो! खैर, बधाई कि आज तुम्हारा मनुष्य योनि में पैदा होना सार्थक हो गया। जो महान पत्रकार धक्कामुक्की, रगड़ा-रगड़ी और तमाम बल-बुद्धि का पूरा दुरूपयोग करके भी एक अदद सेल्फी लेने से चूक गए उनसे गहरी सहानुभूति और एक जानकारी, दुनिया में एक चीज़ मौजूद है जो आपकी तकलीफ कम कर सकती है, लोग उसे फोटोशॉप कहते हैं। बेस्ट ऑफ लक!
कई न्यूज चैनलों में वरिष्ठ पदों पर कार्य कर चुके और इन दिनों खुद का वेंचर संचालित कर रहे प्रतिभावान पत्रकार विवेक सत्य मित्रम के फेसबुक वॉल से.
राजेश कुमार
November 29, 2015 at 2:23 pm
बढ़िया लिखा भाई