ये मीडिया को ‘विलेन बनाने’ का दौर है

Dilnawaz Pasha : ये मीडिया को ‘विलेन बनाने’ का दौर है. भारत में ‘प्रेस्टीट्यूट’ शब्द को स्वीकार कर लिया गया है और एक धड़ा जमकर इसका इस्तेमाल कर रहा है. सरकार ने मंत्रालयों में पत्रकारों की पहुंच कम कर दी है. यहां तक कि प्रधानमंत्री अपनी यात्राओं में पत्रकारों को साथ नहीं ले जा रहे हैं, जैसा कि पहले होता था.

सेल्फी प्रकरण पर जागरण के रिपोर्टर का सवाल सुनते ही आगबबूला हुई बुलंदशहर की डीएम, मां-बहन कह कह के जमकर हड़काया, सुनें यह टेप

बुलंदशहर में एक डीएम हैं. चंद्रकला नाम से. उनके साथ एक लड़के ने सेल्फी ली, बिना उनकी सहमति. इससे नाराज डीएम ने उस युवक को जेल भिजवा दिया. इस प्रकरण पर जब दैनिक जागरण के रिपोर्टर ने डीएम से पूरा घटनाक्रम जानना चाहा, डीएम का पक्ष जानना चाहा तो डीएम साहिबा इस कदर आग बबूला हुईं कि जागरण के रिपोर्टर को उसकी मां बहन का हवाला दे दे कर जमकर हड़काया.

सेल्फी कांड के बहाने : ”…भाई साब, पत्रकार हो तो ऐसा”!

Abhishek Srivastava :  कुछ महीने पहले इमरजेंसी में लखनऊ जाना हुआ। रास्‍ते में टोल पड़ा तो मैंने झट से रुपया निकाल कर दे दिया। टैक्‍सी ड्राइवर मुझ पर बिगड़ गया। बोला, आप प्रेस के आदमी हैं, कार्ड दिखा देते। मैंने पूछा अगर वो नहीं मानता, तो? वह मानने को तैयार ही नहीं हुआ कि ऐसा भी हो सकता है। आगे के हर टोल पर मैं पैसा देता गया और हर बार उसकी निगाह में गिरता गया। फिर एक दिन की बात है, ट्रेन में बैठा मैं खिड़की से बाहर की एक फोटो खींच रहा था।

सेल्फीमार पत्रकारों को आज के टेलीग्राफ अखबार का पहला पन्ना जरूर पढ़ना चाहिए

Sanjaya Kumar Singh : मेरा पसंदीदा अखबार। इसी को पढ़कर पत्रकारिता का चस्का लगा था और जब इसमें अपनी रिपोर्ट छप गई तो लगा अंग्रेजी में भी छप गया। उस समय सभी पत्रिकाओं में कम से कम एक रिपोर्ट छपवा लेने का रिकार्ड बना रहा था। बाद में प्रभाष जी को बताया कि टेलीग्राफ में भी छप चुका हूं तो उन्होंने कहा कि उसकी अंग्रेजी तो हिन्दी जैसी ही (आसान) है। तब समझ में आया था कि घर में स्टेट्समैन आने के बावजूद मुझे टेलीग्राफ क्यों अच्छा लगता था। पर अब भी अच्छा लग रहा है तो उसका कारण कुछ और है। इसके संस्थापक संपादक कांग्रेस से होते हुए भाजपा में पहुंच गए हैं पर अखबार के तेवर लगभग वैसे ही है। सेल्फी पत्रकारों के इस दौर में भी।

लो, लो, सेल्फी लो… लेते रहो, तुम्हें अब कोई प्रेस्टीट्यूट नहीं कहेगा! : ओम थानवी

Om Thanvi : इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक कुछ पत्रकारों ने प्रधानमंत्री के साथ अपनी स्व-छवि एकाधिक बार ली। एंगल जंचा नहीं तो घूम कर दुबारा आ गए। इस पर भीड़ घटाने की गरज से सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि जो एक बार सेल्फी ले चुके हों, कृपया दुबारा न लें। तब, अनुराग के अनुसार, मोदीजी ने उन्हें टोका – अरे, लेने दो। किसी को न रोको। दुबारा चाहते हैं, दुबारा लो। लो, लो, लो … लेते रहो। तुम्हें अब कोई प्रेस्टीट्यूट नहीं कहेगा!

पीएम के साथ सेल्फियाने वाले पत्रकारों को दाद मिलनी चाहिए। बेशरमी में परदा तो नहीं करते। उनसे बेहतर हैं जो साफ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं।

मोदी‬ को साधुवाद जिन्होंने सेल्फी के लिए धक्कमपेल करते पत्रकारों का ढोंग उजागर किया

Rajender Singh Brar :  ‎प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी‬ को साधुवाद जिन्होंने इन सेल्फीचोर पत्रकारों का ढोंग उजागर किया क्योंकि पिछले एक दशक से ये लोग उनको पानी पी पी कर ‘कोस’ रहे थे और आज उसी ‘महामानव’ के साथ सेल्फी के लिये धक्कमपेल करते दिखाई दिये। घिन आती है यह सोच कर कि यही वो पत्रकार बिरादरी है जिसके कंधों पर सच लिखने और दिखाने की ज़िम्मेदारी है पर भड़वागिरी में लिप्त हैं। मेरा भाजपा के नेतृत्व से भी सवाल है कि ऐसे आयोजनों से क्या साबित करना चाहते हैं? प्रजातान्त्रिक व्यवस्था के लिये तो यही अच्छा है कि प्रेस जनता के सवाल प्रधानमंत्री के सामने रखे और देश का प्रधानमंत्री उनके जबाव देकर उसे आश्वस्त करे। बड़े से बड़े देश का मुखिया भी मीडिया के सवालों के जबाव देने को बाध्य होता है। अपने देश में पता नहीं क्यों, देश का प्रधानमंत्री बनते ही ‘मौन’ हो जाता है। ऐसी चुप्पी से किसी का भला नहीं होने वाला, पब्लिक सब समझती है और उसे जबाव देना भी आता है, बस उपयुक्त समय की तलाश में रहती है।

मोदी संग अपनी सेल्फी फेसबुक पर अपलोड करने वाले पत्रकार को यशवंत ने अनफ्रेंड किया

Yashwant Singh : मेरे एफबी फ्रेंड लिस्ट में मौजूद पत्रकार निशांत राय ने पीएम के साथ सेल्फी की दो तस्वीरें अपने एफबी वॉल पर डाली हैं. मैंने उन्हें अनफ्रेंड किया और फिर ये कमेंट किया : ”मैं आपको अनफ्रेंड करता हूं. टीवी पर दिख रहा था कि सेल्फी के लिए लोग मरे जा रहे थे. शेम शेम. एक रचनात्मक दर्प व्यक्तित्व में नहीं हो तो फिर क्या कंटेंट और क्या मार्केटिंग. सब बराबर है. बाकी ये लिखा है आज के सेल्फीमार पत्रकारिता और प्रेस टी ट्यूट पत्रकारों पर. https://www.facebook.com/yashwantbhadas/posts/925675474184193

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ये तो फिल्म है पूरी की पूरी… ‘सेल्फी विद पीएम’… इस पर काम होना चाहिए

ये तो फिल्म है पूरी की पूरी। ‘सेल्फी विद पीएम।’ इस पर काम होना चाहिए। एक लाइट कॉमेडी फिल्म। पत्रकारों की आपस में तकरार। एडिटर और रिपोर्टर के बीच का फसाद। पहली सेल्फी किसकी? हो सके तो मारम मार। जमकर जूतम पैजार। एसपीजी और यहां तक कि एनएसए पर भी पत्रकारों के ‘सेल्फी जुनून’ का आतंक। एक रात पहले पीएमओ में आपात बैठक। मुद्दा ये कि पीएम को पत्रकारों से महफूज कैसे रखा जाए। पीएम इन डैंजर! इतनी सटकर सेल्फी ली जाएगी तो फिर तो ‘सिक्योरिटी ब्रीच’ हो गया न। आईबी और रॉ का भी इनपुट देना। फिर नार्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक में इसी ‘सेल्फी’ का जलवा।

ये कौन लोग हैं जो पीएम के साथ सेल्फी लेकर अपने जीवन पर फ़क्र महसूस कर रहे हैं?

भईया Yashwant, ये कौन लोग हैं जो पीएम के साथ सेल्फी लेकर अपने जीवन पर फ़क्र महसूस कर रहे हैं। और क्यों ले रहे हैं वो सेल्फी। क्या इसलिए कि ये कोई फोटो अपार्चुनिटी है? या इसलिए कि वो इसे सोशल मीडिया पर चमका सकें? वो अपने रीअल और वर्चुअल मित्रों को इस बात का अहसास दिला सकें कि वो कितने बड़े तीस मार खां हैं? वो उन्हें बता सकें कि उनकी पहुंच कितने ऊपर तक है? उन्हें अहसास दिला सकें कि वो कितने खास हैं?

फेसबुक अपनी तरफ से कर रहा मेरा प्रचार, मैंने एक पैसा खर्च नहीं किया : बरखा दत्त

बरखा दत्त के स्पांसर्ड फेसबुकी पेज के बारे में भड़ास4मीडिया पर छपी खबर को लेकर ट्विटर पर बरखा दत्त ने अपना बयान ट्वीट के माध्यम से जारी किया. उन्होंने लोगों के सवाल उठाने पर अलग-अलग ट्वीट्स के जरिए जवाब देकर बताया कि उनकी बिना जानकारी के फेसबुक उनके पेज को अपने तरीके से प्रमोट कर रहा है. उन्होंने बताया कि फेसबुक की तरफ से उनके पास फोन आया था जिसमें ट्विटर की तरह एफबी पर भी सक्रिय होने के लिए अनुरोध किया गया. तब मैंने उन्हें कहा कि कोशिश करूंगी. ऐसे में एक भी पैसा देने का सवाल ही नहीं उठता. बिलकुल निराधार खबर भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित हुई है. 

पैसे वाली पत्रकार हैं बरखा दत्त, फेसबुक लाइक तक खरीद लेती हैं!

Yashwant Singh : बरखा दत्त इन दिनों फेसबुक पर खूब सक्रिय हो गई हैं. उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर इस बाबत लिखा भी है. साथ ही कई कहानियां किस्से विचार शेयर करना शुरू कर दिया है. बरखा समेत ज्यादातर अंग्रेजी पत्रकारों की प्रिय जगह ट्विटर है. लेकिन सेलेब्रिटी या बड़ा आदमी होने का जो नशा होता है, वह फेसबुक पर भी ले आता है, यह जताने दिखाने बताने के लिए यहां भी मेरे कम प्रशंसक, फैन, फालोअर, लाइकर नहीं हैं. सो, इसी क्रम में अब ताजा ताजा बरखा दत्त फेसबुक पर अवतरित हुई हैं और अपने पेज पर लाइक बढ़ाने के लिए फेसबुक को बाकायदा पैसा दिया है. यही कारण है कि आजकल फेसबुक यूज करने वाले भारतीयों को बरखा दत्त का पेज बिना लाइक किए दिख रहा है. पेज पर Barkha Dutt नाम के ठीक नीचे Sponsored लिखा है.