कोरोना संकट के बीच जहां विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों को लॉकडाउन में घर रहने की हिदायत दी गई है, वहीं प्रिंट व इलैक्ट्रोनिक मीडिया के पत्रकारों को अब भी जान जोखिम में डालकर ड्यूटी करनी पड़ रही है।
हालांकि कई मीडिया समूह ने लॉकडाउन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए एक हफ्ते की ड्यूटी और एक हफ्ते की छुट्टी का प्लान किया है, तो किसी ने एक दिन ड्यूटी एक दिन छुट्टी का प्लान बनाकर काम करने का तरीका निकाला है।
लेकिन देशभक्ति और कोरोना के खिलाफ जंग में सरकार के साथ खड़े होने की बात करने वाले जी मीडिया ग्रुप अपने रिजनल चैनल्स के स्टाफ के साथ कोरोना संकट के समय दुखद व्यवहार कर रहा है।
जी के क्लस्टर थ्री के संपादक जिन्हें दबंग और मानसिक तौर पर स्टाफ का शोषण करने वाला भी कहा जाता है, उन्होंने पहले तो कुछ स्टाफ को वर्क फ्रॉम होम का ऑप्शन दिया..फिर वर्क फ्रॉम होम को बंद कर सभी को ऑफिस बुला लिया..
अब पूरा स्टाफ ऑफिस आकर काम करता है.. किसी को भी अलग से छुट्टी देकर कम स्टाफ से काम कराने के प्लान पर विचार नहीं हो रहा है..
ऐसे में रीजनल चैनल्स में काम कर रहे पत्रकार घबराए हुए हैं..
उन्हें डर है कि एक संपादक की लापरवाही और तानाशाही से अगर किसी पत्रकार को कोरोना हो गया तो फिर जिम्मेदारी कौन लेगा..
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.