बैतूल (मप्र)। ज़ी न्यूज़ पर समाचार देखने को मिला कि माचना नदी में बहा युवक बचा लिया गया। अब सवाल यह उठता है कि दनोरा में जो लाश मिली वह किसकी है और बचा लिया गया युवक कहां है। बैतूल जिले में आजकल टीवी पत्रकारिता ऐसे लोगो के हाथों में आ गई जिन्हे जिले का इतिहास तक नहीं मालूम लेकिन वे जिले का भूगोल ऐसे बताते हैं जैसे वो बैतूल जिले के गूगल हों। ऐसे गूगल बैतूल में कभी कुंजीलाल की मौत का लाइव टेलिकास्ट करते है तो कभी मदर इंडिया की तर्ज पर फादर इंडिया की फर्जी स्टोरी चलाते है।
कुछ साल पहले तक बैतूल में टीवी पत्रकारिता मर्यादा में रह कर की जाती थी। लेकिन प्रतियोगिता के दौर में सबसे पहले सनसनी खेज़ खबर देने के चलन के कारण बैतूल जिले में पूर्णा बांध के बहने की खबर की फोनो पीटीसी करने से भी पत्रकार बाज़ नहीं आते हैं। जबकि बैतूल जिले के शासकीय दस्तावेज बताते हैं कि पूर्णा जलाशय बना ही नहीं, फिर पूर्णा जलाशय कैसे बह कैसे गया?
बेक्रिंग न्यूज के चक्कर में पूरे देश में टीवी पत्रकारिता भांग पीकर होने लगी है। उसमें भी ज़ी टीवी मध्यप्रदेश की रिपोर्टिंग तो खास तौर से भांग नशे में टुन्न होकर ही की जाती है। ताजा घटना बैतूल जिले की है जहां पर ज़ी न्यूज़ संवाददाता आशुतोष गुप्ता बता रहे हैं कि बैतूल में माचना नदी में डूबे युवक को बचा लिया गया है। अगर वह युवक बच गया है तो दनोरा के पास लाश किसकी मिली……! सनसनी पैदा करने के लिए बात का बतंगड़ बनाना ज़ी न्यूज़ के लिए आम बात है। नीचे दिए लिंक पर क्लिक कर देखें और फैसला करें कि बड़े बैनर की टीवी पत्रकारिता किस स्तर की है।
आज जरूरत है कि कुंजीलाल या अनीता नर्रे की फर्जी स्टोरी बना कर लोगो को भ्रमित न किया जाए। चंद रूपयो का लालच देकर अनिता नर्रे को बिन्देश्वरी पाठक से लेकर मध्यप्रदेश सरकार अपने समग्र स्वच्छता अभियान का ब्रांण्ड एम्बेसेडर बना देती है। उसी समग्र अभियान की जमीनी हकीगत खुलने पर औज कई सरपंच, सचिव जेल जाने की स्थिति में है। आज भी अनिता नर्रे के गांव में महिलाये और पुरूष गांव से बाहर शौच करने जाते देखे जा सकते है। अब जरूरत आप और हम सबकी है कि ऐसी पत्रकारिता का पर्दाफाश करें जो सच्चाई की कसौटी पर खरी नहीं उतरती।
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बैतलू से पत्रकार रामकिशोर पंवार की रिपोर्ट।