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जी टीवी का पहला ‘सबोटाज’!

रजत अमरनाथ-

हवा तो यह उड़ी थी कि सुधीर चौधरी जी न्यूज़ छोड़कर अपने इंस्टा फेसबुक और ट्विटर के फॉलोअर्स के दम पर अपना कोई नया “वेंचर”लाएंगे। इसके लिए उन्होंने जी न्यूज़ के मालिक सुभाष चंद्रा की भी नहीं मानी और उनके मान मनोव्वल को भी दरकिनार कर दिया और जी न्यूज़ छोड़ दिया।

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उसके बाद यह भी हवा उड़ी के सुधीर चौधरी अडानी के पैसों के दम पर अपना कोई डिजिटल प्लेटफॉर्म लेकर आ रहे हैं। एक हवा यह भी उड़ी कि सुधीर चौधरी अडानी के मीडिया वेंचर में ही संजय पुगलिया का साथ देंगे। लेकिन आज पता चला कि सुधीर चौधरी ने वही किया जो बाकी बड़े-बड़े करते हैं। यानी दूसरे चैनल पर जाकर “कंसलटिंग एडिटर”का चोला पहन लिया।

चैनल है “आज तक” और अब से वह रिपोर्ट करेंगे अपने ही समकक्ष रहने वाले “सुप्रिय प्रसाद” को। सुप्रिय प्रसाद की पोजीशन आज तक में वैसी ही है जैसी सुधीर चौधरी की ज़ी न्यूज़ में हुआ करती थी। तो सुधीर चौधरी को आज तक के लिए बधाई।

ज़ी टीवी का पहला “सबोटाज”

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जब कोई भी व्यक्ति खुद को संस्था से बड़ा समझने लगता है तब वहीं संस्था जो उसे पलकों पर रखती है वह उसके पर काटना शुरु कर देती है और कुछ समय बाद उसको ठिकाने लगा दिया जाता है। लेकिन जब संस्था से बड़े बन चुके व्यक्ति को लगता है कि अपना संपूर्ण देने के बाद भी उसकी कोई कदर नहीं है फिर वह उसी संस्था को अपनी ताकत दिखाता है और कोशिश करता है कि उसे वो ठिकाने लगा दे। ऐसा ही कुछ हुआ डीएनए वाले सुधीर चौधरी के साथ और ज़ी न्यूज़ में यह कोई पहली बार नहीं हुआ है।

इससे पहले ज़ी टीवी ने जब पहली बार 1995 में न्यूज़ की शुरुआत की थी तब आज के टाइम के इंडिया टीवी के मालिक “रजत शर्मा” सुभाष चंद्रा से भी बड़े बन चुके थे। मुझे याद है तब रजत शर्मा ने अपने आप की अदालत के 50 एपिसोड पूरे होने पर ताज होटल में पार्टी रखी थी और उस समय पार्टी में देश के नामी-गिरामी लोग आए थे जिनमें नेता भी थे और अभिनेता भी और खिलाड़ी भी।

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उसी पार्टी में जी के मालिकान भी थे लेकिन सब मालिकों से ज्यादा रजत शर्मा को पूछ रहे थे। 1996 के दिसंबर में की गई इस पार्टी के बाद से ही रजत शर्मा और सुभाष चंद्रा में दूरियां पैदा हो गई थी। नतीजा यह निकला की 15-20 दिन में ही रजत शर्मा 32 लोगों की टीम के साथ इस्तीफा देकर निकल गए। 3 जनवरी 1997 को सुभाष चंद्रा लक्ष्मी गोयल और जवाहर गोयल ने ज़ी टीवी की साख बचाने के लिए खुद खड़े होकर उस रात 10:00 बजे का बुलेटिन निकलवाया।

इतना ही नहीं उस प्रकरण के बाद उस समय अटल बिहारी वाजपेई खुद रजत शर्मा के घर उनसे मिलने गए। ज़ी टीवी के सुभाष चंद्र ने उस रात बुलेटिन निकालकर तो अपनी साख बचा ली लेकिन रजत शर्मा ने भी संस्था को अपनी औकात दिखा दी।

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उस समय भी सुधीर चौधरी रजत शर्मा की ही टीम का अहम हिस्सा थे और इस प्रकरण के बारे में इंटरव्यू प्रिंट मीडिया को सुधीर चौधरी ही देते थे। यह था सुभाष चंद्रा के ऊपर पहला “सबोटाज”।

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