संजय कुमार सिंह
तीसरे चरण के मतदान के दौरान कल चुनाव प्रचार भी जारी था और सबसे लंबी चलने वाली इस बार की चुनाव प्रक्रिया में प्रधानमंत्री तथा सत्तारूढ़ भाजपा के प्रधान प्रचारक नरेन्द्र मोदी का पूर्वग्रह बेरोक-टोक जारी है। आज द टेलीग्राफ का शीर्षक यही है। फ्लैग शीर्षक है, “प्रधानमंत्री ने बाबरी मस्जिद में ताले का मामला उठाया, चुनाव आयोग शांत है“। खबर के अनुसार मध्य प्रदेश के धार में नरेन्द्र मोदी ने भीड़ से कहा कि उन्हें 400 सीटें चाहिये ताकि यह सुनिश्चित हो कि कांग्रेस अयोध्या के राम मंदिर में बाबरी ताला न लगा दे। हिन्दी से अंग्रेजी औऱ फिर अंग्रेजी से हिन्दी करने में किसी अंतर की संभावना से बचने के लिए मैंने आज तक की खबर देखी। इसके अनुसार, धार में प्रधानमंत्री ने कहा, “मोदी को 400 सीटें चाहिये ताकि कांग्रेस 370 वापस न लाये, राम मंदिर पर बाबरी ताला न लगा दे”।
इस खबर के अनुसार, “कांग्रेस के लोग एक नई अफवाह उड़ा रहे हैं कि मोदी को 400 सीटें मिल गईं, तो वो संविधान बदल देगा। ऐसा लगता है जैसे कांग्रेस वालों की बुद्धि पर वोट बैंक का ताला पड़ गया है। अरे, इनको पता होना चाहिए कि 2014 से 2019 और 2019 से 2024 मोदी के पास एनडीए और एनडीए+के रूप में 400 सीटों का समर्थन तो था ही।” यहां मैं आपको याद दिला दूं कि इसी समर्थन पर मोदी असंवैधानिक इलेक्टोरल बांड लाये थे जिससे उनकी पार्टी को अरबों रुपये की कमाई हुई है और इसमें वसूली भी है। नोटबंदी, जीएसटी और अनुच्छेद 370 तो है ही। इसका फायदा देश को नहीं पता चल है। 400 से कुछ कम सीटें सोनिया गांधी को भी आई थीं तब मोदी की पार्टी ने उन्हें प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया था पर यह सब मीडिया याद दिलाता होता तो वे बोलने में बेलगाम होते ही क्यों?
हिन्दुस्तान टाइम्स में आज पहले पन्ने पर प्रकाशित एपी (एसोसियेटेड प्रेस) की यह फोटो विश्वगुरू भारत की दुनिया भर में कितनी खूबसूरत तस्वीर बनाएगी। कैप्शन के अनुसार यह तीसरे चरण के मतदान की फोटो है और मंगलवार को आगरा में अधिकारी एक महिला का नाम मतदाता सूची में देख रहे हैं। देखने में यह तस्वीर किसी स्कूल की लग रही है और डबल इंजन वाले भारत की है जहां 70 साल कुछ नहीं हुआ था और 10 साल में धुंआधार विकास और नामुमकिन मुमकिन हुआ है। 6 मई को अमर उजाला में लीड का शीर्षक था, सपा और कांग्रेस परिवार के लिए लड़ रहीं, हम आपके बच्चों के लिए : मोदी। आज बच्चों के स्कूल की यह हालत दिखी है। तथ्य यह है कि आजादी के बाद बच्चों की स्कूली शिक्षा के लिए सबसे शानदार काम करने वालों में एक, मनीष सिसोदिया महीनों से जेल में हैं और डबल इंजन वाले स्वयंभू सर्वश्रेष्ठ के शासन में स्कूल का यह हाल है। वैसे विकास कुछ ज्यादा हो और यह कोई आधुनिक कला हो तो मैं कुछ कह नहीं सकता।
इन सबके बावजूद आज के अखबारों में राजनीतिक खबरों को महत्व दिया गया है और इसमें केजरीवाल की गिरफ्तारी और जमानत पर सुप्रीम कोर्ट की चर्चा भी है। संयोग से आज की प्रमुख खबरों में एक खबर आरक्षण का विवाद भी है। इसे जो प्रमुखता मिली है वह भी दिलचस्प है। टाइम्स ऑफ इंडिया में यह तीन कॉलम में है और अमर उजाला में लीड। अमर उजाला की खबर का इंट्रो (फ्लैग शीर्षक) है, “तीसरे चरण के मतदान के दौरान राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने मुस्लिमों को पूरा आरक्षण देने की वकालत कर सियासी तपिश बढ़ा दी। पीएम नरेन्द्र मोदी ने इसपर तीखा निशाना साधते हुए इसे एससी, एसटी और ओबीसी से आरक्षण छीनकर मुसलमानों को देने की विपक्ष की बड़ी साजिश करार दिया। जदयू ने भी निशाने पर लिया, हालांकि शाम तक बचाव की मुद्रा में आये लालू को सफाई देनी पड़ी। इस इंट्रो के साथ अमर उजाला में दो खबरें हैं। पहली का शीर्षक है, मुसलमानों को मिलना चाहिये पूरा आरक्षण। लालू यादव ने कहा, संविधान को खत्म करना चाहती है भाजपा। दूसरा शीर्षक है, “दलित और पिछड़ों के खिलाफ गहरी साजिश। पीएम मोदी ने विपक्षी गठबंधन पर फिर किया हमला।“
कुल मिलाकर, नरेन्द्र मोदी और उनकी पार्टी आग लगाने वालों को कपड़ों से पहचानती रही है। राहुल गांधी ने ‘जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी’ का मामला उठा दिया तो परेशानी साफ दिखने लगी। इससे परेशान नरेन्द्र मोदी को कांग्रेस के घोषणा पत्र में मुस्लिम लीग की छाप नजर आई और वे कांग्रेस को मुसलमानों का हितैषी तो बताने ही लगे। कांग्रेस के सत्ता में आने पर मंगलसूत्र छीनने और इनहेरीटेंस टैक्स लगाने तक का डर दिखाने लगे। छोटे प्रचारक से लेकर व्हाट्सऐप्प यूनिवर्सिटी में यही सब होने लगा और मीडिया अपने पक्षपात में लगा हुआ है। चुनाव आयोग सोया हुआ है। इसीलिए आज के अखबारों में जब चुनाव, मतदान, तीसरे चरण आदि की खबर होनी चाहिये थी तो हिन्दू मुसलमान हो रहा है वह भी जो मुद्दा नहीं होना चाहिये। आप जानते हैं कि संविधान में आरक्षण की व्यवस्था है, जब जिसे जरूरत समझा गया दिया गया। विरोध भी हुआ। अब उसके नफा-नुकसान और जरूरत पर बात की जा सकती है और किस अन्य वर्ग या समाज को जरूरत है तो दिया भी जाना चाहिये।
इसमें सत्तारूढ़ दल द्वारा डर दिखाना और अपने किये को सही ठहराना (और भूल जाना) निश्चित रूप से अनैतिक है। खासकर तब जब 10 साल में एक बार होने वाली जगणना तक नहीं कराई जा सकी है। लालू मोदी की यह भिड़ंत द हिन्दू में अंदर है और पहले पन्ने पर जो सूचना है वह सात लाइन की खबर में।
आज मेरे तीन अखबारों – इंडियन एक्सप्रेस, द हिन्दू और नवोदय टाइम्स की लीड मतदान की खबर है। अमर उजाला में आरक्षण विवाद और द टेलीग्राफ में वीर तुम बढ़े चलो की चर्चा कर चुका हूं। दो अखबारों टाइम्स ऑफ इंडिया और हिन्दुस्तान टाइम्स में अरविन्द केजरीवाल का मामला लीड है। इन खबरों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि केजरीवाल को जमानत मिल सकती है। इनके अलावा दो राजनीतिक खबरें भी है। एक खबर बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश को परिपक्व होने तक कोऑर्डिनेटर पद से हटा दिया है। इंडियन एक्सप्रेस में इस खबर का शीर्षक है, भाजपा पर उसके हमले के बाद मायावती ने भतीजे को उत्तराधिकारी भी नहीं रहने दिया है। इससे आप हटाने का कारण समझ सकते हैं लेकिन यह सभी अखबारों में खबर नहीं है। पुरानी खबर एबीपी लाइव की है। इसके अनुसार, बसपा ने कई सीट पर 2-3 बार प्रत्याशी बदले हैं और कुल 14 सीटों पर उम्मीदवार बदले गये हैं।
इस संबंध में एक खबर हिन्दुस्तान की है। इसका शीर्षक है, “जौनपुर के बाद बस्ती में बसपा ने बदला प्रत्याशी, भाजपा गदगद, सपा क्यों परेशान”। खबर में कहा गया है, “बस्ती से घोषित दयाशंकर मिश्रा की जगह लवकुश पटेल को टिकट दिया गया है। मायावती के फैसले से भाजपा ने दोनों जगह राहत की सांस ली है”। भले ही इस खबर से आप मायावती की राजनीति न समझ पायें लेकिन बसपा भाजपा की सेवा कर रही है या भाजपा बसपा से अपनी सेवा करवा रही है, इसमें कोई शक नहीं है। इन खबरों में भी यही कहा गया है। पर पूरी बात साफ शब्दों में कहने वाली खबर मुख्य धारा के मीडिया में ढूंढ़ने से ही मिलती है।