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सुख-दुख

दस उन संपादकों की सूची जिन्होंने पत्रकारिता में नए मूल्य तय किए और जड़ता को तोड़ा

Shambhu Nath Shukla : मैं अपने दौर के दस उन संपादकों की सूची दे रहा हूं जिन्होंने पत्रकारिता में नए मूल्य तय किए और उसमें फैली जड़ता व यथास्थितिवाद को तोड़ा। ध्यान रखा जाए कि मेरी यह सूची कोई अंतिम या पूर्ण नहीं है। संपादक व पत्रकार और भी तमाम होंगे जो इस श्रेणी में आते होंगे। मैने तो उन लोगों को चुना है जिनको क्रमश: मैने जाना, उनके साथ काम किया और जिनके लिखे पर मनन किया।

<p><img class=" size-full wp-image-15527" src="http://www.bhadas4media.com/wp-content/uploads/2014/08/images_abc_news2_shambhunathshuklaji.jpg" alt="" width="829" height="259" /></p> <p>Shambhu Nath Shukla : मैं अपने दौर के दस उन संपादकों की सूची दे रहा हूं जिन्होंने पत्रकारिता में नए मूल्य तय किए और उसमें फैली जड़ता व यथास्थितिवाद को तोड़ा। ध्यान रखा जाए कि मेरी यह सूची कोई अंतिम या पूर्ण नहीं है। संपादक व पत्रकार और भी तमाम होंगे जो इस श्रेणी में आते होंगे। मैने तो उन लोगों को चुना है जिनको क्रमश: मैने जाना, उनके साथ काम किया और जिनके लिखे पर मनन किया।</p>

Shambhu Nath Shukla : मैं अपने दौर के दस उन संपादकों की सूची दे रहा हूं जिन्होंने पत्रकारिता में नए मूल्य तय किए और उसमें फैली जड़ता व यथास्थितिवाद को तोड़ा। ध्यान रखा जाए कि मेरी यह सूची कोई अंतिम या पूर्ण नहीं है। संपादक व पत्रकार और भी तमाम होंगे जो इस श्रेणी में आते होंगे। मैने तो उन लोगों को चुना है जिनको क्रमश: मैने जाना, उनके साथ काम किया और जिनके लिखे पर मनन किया।

मैंने अपने समय से पहले के संपादकों को नहीं रखा है वर्ना गणेश शंकर विद्यार्थी व उनके पूर्व के भी तमाम नाम मुझे जोडऩे पड़ते। दसवें स्थान पर मैने क्षेत्रीय पत्रकारिता से आए श्री मायाराम सुरजन का नाम रखा है जो मध्यप्रदेश के अखबार देशबंधु के मालिक भी थे पर उन्होंने अपने प्रसार क्षेत्र में पत्रकारिता के नए मापदंड स्थापित किए थे।

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1. रघुवीर सहाय (दिनमान को ‘दिनमान’ यानी कि सूर्य की भांति प्रखर बनाने के लिए)

2. धर्मवीर भारती (धर्मयुग सरीखी मैगजीन का प्रसार पांच लाख तक पहुंचाने के लिए)

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3. मनोहर श्याम जोशी (साप्ताहिक हिंदुस्तान को एक नई ऊँचाई देने के लिए)

4. सुरेंद्र प्रताप सिंह (रविवार के जरिए हिंदी पत्रकारिता में व्याप्त जड़ता को तोडऩे के लिए)

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5. अरुण शौरी (पत्रकारिता में इनवेस्टीगेशन जर्नलिज्म की शुरुआत करने के लिए)

6. राजेंद्र माथुर (नवभारत टाइम्स में नई चेतना लाने के लिए)

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7. प्रभाष जोशी (हिंदी पत्रकारिता को नई भाषा देने तथा आर्य समाजी जड़ता भंग करने के लिए)

8. विनोद मेहता (इंडिपेडेंट के जरिए पत्रकारिता को नई गरिमा प्रदान करने हेतु)

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9. रवीश कुमार (विजुअल मीडिया को स्थायित्व दिलाने तथा उसकी नकारात्मकता को खत्म कर उसे जन-जन तक निष्पक्ष भाव से पहुंचाने के लिए)

10. मायाराम सुरजन (क्षेत्रीय पत्रकारिता में नए मापदंड स्थापित करने के लिए)

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वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ शुक्ला के फेसबुक वॉल से.

शंभूनाथ शुक्ला का लिखा ये भी पढ़ सकते हैं….

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विजुअल मीडिया जिस तेजी से उभरी थी उसी तेजी से एक्सपोज भी हो गई

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जिले का नाम गाजीपुर क्यों पड़ा, गाजीउद्दीन हैदर के नाम पर या किसी मुगल गाजी के नाम पर…

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अंग्रेजी अखबार दी हिंदू ने रुक्मिणी श्रीनिवासन को बनाया है ‘नेशनल डाटा एडिटर’, क्या ये पद हिंदी अखबारों में है?

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0 Comments

  1. pawan

    September 15, 2014 at 6:18 am

    रवीश भाई, आज तो प्राइम टाइम में गेस्ट के तौर पर बुलाना बनता है।

  2. xxx

    September 16, 2014 at 8:23 am

    wah wah wah

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