दोस्तों, मजीठिया वेज बोर्ड के मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की अगली तिथि 23 अगस्त तय की है। इस दिन माननीय सुप्रीम कोर्ट में उत्तरप्रदेश सहित पांच राज्यों के श्रम आयुक्तों को तलब किया गया है। उसके बाद दूसरे राज्यों के श्रमायुक्त सुप्रीम कोर्ट में तलब होंगे। हमारे पास एक महीने से ज्यादा समय है। सभी साथी श्रम आयुक्त कार्यालय में एक आरटीआई लगायें और उसमें निवेदन करें कि इस कार्यालय द्वारा माननीय सुप्रीमकोर्ट में भेजी गयी मजीठिया वेजबोर्ड से जुडी स्टेटस रिपोर्ट की पूरी प्रमाणित प्रति दें। इसके साथ ही आप अपनी कंपनी द्वारा जमा कराये गए कर्मचारियों की पूरी सूची, अन्य दस्तावेज भी मंगाएं।
साथ ही कंपनी का पूरा नाम डालते हुए ये जरूर पूछें कि क्या इस कंपनी ने ट्रांसफर और टर्मिनेशन के आदेश के नियम को आपके विभाग से प्रमाणित कराया है। अगर हाँ तो कितने तारीख को प्रमाड़ित कराया है। याद रखिये, अगर इन कम्पनियों ने अपने आदेश प्रमाणित नहीं कराये हैं तो आपका ट्रांसफर या टर्मिनेशन ये कंपनियां नहीं कर सकती हैं। वरिष्ठ एडवोकेट ब्रिज बिहारी जी ने ट्रांसफर और टर्मिनेशन से जुडी ये जानकारी दी है।
Industrial Employment (standing orders) act 1946. इस कानून के तहत सभी संस्थानों जिसमें न्यूज समाचार पत्र भी शामिल हैं ये नियम बनाकर उस प्रान्त के लेबर कमिश्नर से प्रमाणित कराने होते हैं। इन स्टेन्डिग आर्डर्स में नियुक्ति के नियम, जांच करने के नियम, कम व अधिक दण्ड देने के नियम होते हैं। निलम्बित काल में कितना भत्ता मिलेगा, यह भी नियम होते हैं। प्रत्येक संस्थान जहां 100 से अधिक कर्मचारी या वर्कर काम करते हैं ये नियम बनाने आवश्यक होते हैं। इन्हें न बनाने वालों के विरुद्ध राज्य सरकार प्रोसीक्यूशन कर सकती है।
अब आइये स्टेटस रिपोर्ट पर बात करें। स्टेटस रिपोर्ट की या कोई भी आरटीआई की प्रमाणित प्रति आपको दो रुपये प्रति पेज के हिसाब से मिलेगी। यानी अगर इसके 50 पेज हैं तो आपको सौ रपये देना पड़ेगा श्रम विभाग में और उसकी रसीद मिलेगी। इस स्टेटस रिपोर्ट से आपको ये पता चल जाएगा कि आपके समाचार पत्र के बारे में क्या रिपोर्ट भेजी गयी है और कितने कर्मचारी इस समाचार पत्र में हैं। आप द्वारा मांगी गयी सूचना से आपको ये भी पता चल जाएगा कि कंपनी ने आपका नाम भेजा है या नहीं। अगर भेजा है तो आपको किस पोस्ट पर डाला गया है और कंपनी ने 2007 से 10 तक का क्या टर्नओवर दिखाया है। इससे आपको आगे की रणनीति बनाने में मदद मिलेगी।
साथ ही श्रम आयुक्त के पास एक निवेदन भरा पत्र भी दीजिये की कंपनी उन्हें सहयोग नहीं कर रही है इसलिए श्रम आयुक्त इस कंपनी का और उसकी सभी सहयोगी कम्पनियों का साल 2007-08, 2008-09, 2009-10 का टर्नओवर आयकर विभाग से मंगाकर दे। अगर कोई अच्छा आयकर अधिकारी हुआ तो आपको मंगाकर दे सकता है। इस पत्र पर कंपनी का पूरा नाम और पता व कंपनी का पैन नंबर भी हो सके तो दें। इससे आपको बहुत मदद मिलेगी।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई कार्यकर्ता
मुंबई
9322411335
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अरुण श्रीवास्तव
July 24, 2016 at 6:41 pm
प्रिय अनुज शशि भाई लिखने और बेधडक लिखने के लिए बधाई। अफसोस है कि लोग अपनी प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त करते। वे पढते हैं या नहीं पढते इसमें भी संदेह है।