भड़ास के एक पाठक अभिषेक सिंह जी ने एक मेल भेजा है। इसमें पत्रकार बंधु अभिषेक ने बहुत अच्छा सवाल उठाया है जिसके लिए उनको धन्यवाद। अभिषेक जी ने इस मेल में लिखा है- ”आज मजीठिया को हव्वा बनाया जा रहा है। आज जितने पत्रकार पेरोल पर हैं? उससे कहीं ज्यादा ऐसे पत्रकार हैं जो पक्के नहीं हैं यानि वो ठेका पर हैं। ऐसे पत्रकारों को मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ तो मिलेगा नहीं। भड़ास पढ़ने के बाद दिल में एक ठसक सी हो जाती है क़ि हम पत्रकार हैं की नहीं।”
अभिषेक जी ने भड़ास के प्रति अपनी नाराजगी भी जताई है और लिखा है आप लोग मजीठिया रिपोर्ट पर चर्चा करके पत्रकारों में अपनी घुसपैठ बनाना चाहते हैं। अगली ही लाइन में वे भड़ास की तारीफ़ भी करते हैं और लिखते हैं कि आप भड़ास पर कई अच्छी जानकारी भी देते हैं। साथ ही वे कहते हैं जिस रिपोर्ट को लागू होने के बाद भी मीडिया का एक बड़ा तबका उससे अछूता रह जाय उस पर चर्चा करने से क्या फायदा। अभिषेक ने लिखा है कि कुछ उन पत्रकारों के बारे में भी चर्चा कर ली जाए जो पैरोल पर नहीं है।
अभिषेक जी अंतिम लाइन में लिखते हैं, कुछ गलती हो तो उन्हें छोटा भाई समझ कर माफ़ कर दिया जाये।
अभिषेक जी ने कोई गलती नहीं की है बल्कि एक सटीक मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखी है। इसके लिए उनको धन्यवाद।
आज देश भर में अधिकाँश समाचार पत्रों में पत्रकार और कर्मचारी ठेका पर हैं। मजीठिया वेज बोर्ड का गठन करते समय भी इस बात का ध्यान रखा गया है। भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने मजीठिया वेज बोर्ड के मामले में 11 नवम्बर 2011 को आदेश दिया है। उस आदेश के हिंदी प्रति के पेज नंबर 66 क्रमांक ग में ठेका पर काम करने वाले समाचार पत्र कर्मियो के बारे में साफ़ लिखा है कि वेतन बोर्ड द्वारा सिफारिश की गयी परिवर्ती वेतन सभी कर्मचारियो के लिए मान्य न्यूनतम देय वेतन होगा। इसमे ठेका आधार पर कार्यरत सभी कर्मचारी शामिल होंगे और प्रबंधन इस बात के लिए स्वतन्त्र होगा कि वह समाचार प्रतिष्ठानों की लाभ प्रदत्ता तथा संवाहनियता के अनुसार किसी कर्मचारी को सिफारिश किये गए परिवर्तित वेतन से अधिक वेतन का भुगतान करे।
यानी साफ़ कहें तो मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ ठेका पर काम करने वाले सभी कर्मचारियों को भी मिलेगा। ऊपर बोर्ड की जगह कृपया बोर्डों पढ़े। किसी भी कंपनी को अपने स्थाई और अस्थाई दोनों कर्मचारियों की सूची श्रम आयुक्त कार्यालय को उपलब्ध कराना अनिवार्य रहता है।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट
मुंबई
9322411335
Comments on “हे भड़ास वालों, कभी ठेके पर काम कर रहे मीडियाकर्मियों के बारे में भी बात कर लो”
very good question raised by this brother
मजिठिया का लाभ ठेका पर या पार्ट टाइम काम करने वाले पत्रकार को भी मिलेगा, डब्लू जे एक्ट को पहले पढ़ ले सभी पत्रकार और उनकी लड़ाई लड़ने वाले वकील । यहां तक की वैसा प्रेस जहां अधिकतर अखबार ही छपता है,भले वह अखबार का अपना प्रेस न हो ,उनको भी मिलेगा, अखबार में कार्यरत ड्राइवर भी जो ठेके पर हैं उनको भी मिलेगा । यशवंत जी आप एक सेमिनार रखे, ताकि जो कुछ गलतफहमी है या अखबार मालिक जो बरगला रहे हैं श्रम मंत्रालय एंव उच्च न्यायालयों को उसके संबन्ध में विस्तृत रूप से समझाया जा सके ।