Balendu Swami : अहिंसा का धर्म कहे जाने वाले जैन धर्म ने कक्षा 8 में पढ़ने वाली हैदराबाद के ज्वैलर्स की 13 वर्षीय बेटी आराधना की हत्या कर दी! आराधना को 68 दिन तक उपवास करने पर “बाल तपस्विनी” की उपाधि दी गई, उसकी अंतिम यात्रा को शोभा यात्रा कहा गया और 600 लोग उसके अंतिम संस्कार के जलसे में शामिल हुए! इस मासूम बच्ची से घरवालों ने स्कूल छुड़वा कर तपस्या करवाई! भक्तों ने उसके साथ सेल्फियाँ लीं, मंत्री और जनप्रतिनिधियों ने उसके साथ फोटो खिंचवाई और हर तरह से उसका महिमामंडन कर उसे गिफ्ट दिए!
कृपया ये न कहें कि अन्धविश्वास ने इस बच्ची की जान ले ली, ये तो धार्मिक परम्पराएँ हैं जिन्हें कि हजारों सालों से हमारे ऋषि मुनि करते चले आ रहे हैं और धर्म ग्रंथों में इनका वर्णन है! इस बिटिया के जीवन की बलि ले लेने के बाद अब इसे देवी बनाकर प्रस्तुत और कैश किया जाएगा और धर्म का धंधा चलता रहेगा! कभी कोई शिव भक्त जहर पिलाकर चमत्कार की आशा में खुद की और अपने मासूम बच्चों समेत पूरे परिवार की जान ले लेता है तो कभी मासूम बच्चों की देवी को बलि चढ़ा दी जाती है, डायन बताकर महिलाओं की हत्या कर दी जाती है तो कभी इस तरह से मासूम बच्ची के सपनों को जवान होने के पहले ही धर्म की भेंट चढ़ा दिया जाता है!
वृंदावन के स्वामी बालेंदु की एफबी वॉल से.
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Peasant singh
October 9, 2016 at 8:35 am
JAIN dharm mai Kisi ko force nahi kiya jata fast Karne ko. Na hee koi itne time tak forcefully Kar Sakta hai. It was the will power of the girl which made her to do fast for these many days. She died after 2days of finishing fast. It is very insulting that people like you are saying, Jain dharm Ne Kar di. Wah. Aap hee wahi log hai Jo terrorist ko bhi Islam se jodte hai. Jain dharm never force you to do something. People do it by their choice because they feel its right as you must be doing a lot of things which you think are right but for others they are not. Your comments show narrow mindedness and rancour for a religion or all religions.
loon karan chhajer
October 13, 2016 at 1:29 pm
हैदराबाद के ज्वैलर्स की 13 वर्षीय बेटी आराधना की 68 दिनों की तपस्या की सम्पनता के बाद उसकी मृत्यु हो गयी जिसको लेकर बवाल मचाया हुआ है की आराधना की ह्त्या कर दी गयी. आराधना को तपस्या किसी ने जबरदस्ती नहीं करवाई। उच्च आत्मबल के कारण ही इतनी लम्बी तपस्या हुयी। आराधना ने इससे पहले भी लम्बी लम्बी तपस्यां की थी. यह तो मृत्यु का दिन तय था और संयोग बन गया की तपस्या के बाद उसकी मृत्यु हो गयी। जबरदस्ती तपस्या कोई नही कर सकता है व न ही करवाई जा सकती है . लाखों लोग तपस्या करतें हैं और लम्बी लम्बी तपस्या कर रहें है वर्षों से कर रहें है कभी किसी की तपस्या के कारन मृत्यु नहीं हुयी। यह धार्मिक मान्यता व परम्परा है जिसको विधिपुर्वक किया जाता है .तपस्या की परम्परा भगवन ऋषभनाथ के समय से चली आ रही है अर्थात सृष्टि के निर्माण के समय से तपस्या हर धर्म मे होती आये है । इस घटना को लेकर मीडिया जो हत्या की घटना बनाकर जो मिथ्या प्रचार कर रहा उससे मीडिया को बचना चाहिए। यह कोई अंध विश्वास नहीं है। इसकी न तो बलि ली गयी है और नहीं उसने बलि दी है। जबकि यह नेचुरल मृत्यु है जिसको ह्त्या कहकर व महिमामंडन करने की रतन लगाकर मीडिया स्वयं कटघरे में खड़ा हो रहा है. घटना की जानकारी जनता तक पहुँचाना उसके तथ्यपूरक प्रसतुति होनी चाहिए परन्तु अपनी TRP बढ़ने के चक्र में मिर्च मशाला लगाकर तड़के वाली खबर बनाना भी पिट पत्रकारिता की ही श्रेणी मई आएगा। आराधना का तप अनुमोदनीय है. अनावश्यक मिथ्या प्रचार करके जैन मतावलम्बियों को उकसाने का प्रयास नहीं करें।
-लूण करण छाजेड़
Ravinder Jain
November 6, 2016 at 5:49 am
तप का विरोध करने वाले जैन धरम का अपमान है िजसको जैन समाज सहन नही करेगा मोदी सरकार कयो हमे अपमानित कर रही है गलती की मुआफी मागे