Mayank Saxena : इस वीडियो में एक समाचार चैनल है, एक पत्रकार है; जिसको निष्पक्ष होना चाहिए…वह जाहिल एक राजनैतिक दल के जीतने पर कभी बेहद पवित्र और निष्पक्ष रही न्यूज रूम जैसी जगह पर मिठाई बांट रहा है…एक पत्रकार जिसका निष्पक्ष होने का दावा है; जिसको संघी गुंडों ने क्या-क्या न कहा, बेशर्मी से कैमरा पर मिठाई खा कर, अमित शाह को अपनी निष्ठा की दुहाई दे रहा है…10 और पत्रकार ताली बजा रहे हैं…और बजाय अपने न्यूज़रूम में मिठाई बांट रहे इस पत्रकार को नौकरी पर रखने के लिए शर्मिंदा होने के; चैनल इस वीडियो को गर्व से अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित कर रहा है।
ये पत्रकारिता का ऐतिहासिक युग है, अभी आप एक राजनैतिक दल के प्रति दंडवत हो जाने के लिए; पत्रकारों को सर पर बिठाये हैं। एक विशेष दल के समर्थक पत्रकारों को ही देशभक्त मान रहे हैं। बाद में आप इस युग को याद करेंगे, रोते हुए…कि वो जो इस दौर में भी सर उठाये और रीढ़ सीधी करे खड़े थे…आपने उनको गाली दी और धीरे-धीरे परिदृश्य से ही बाहर कर दिया। न सदन में विपक्ष बचा और न ही पत्रकारिता में…ये ऐतेहासिक युग के तौर पर याद किया जाएगा, क्योंकि तब आपको बचाने वाला कोई नहीं होगा। सिर्फ ये मिठाई बांटने वाले पत्रकार होंगे…दरअसल तब मिठाई खाने वाले पत्रकार भी नहीं बचेंगे…जो बचेंगे, उनको ज़बरन मिठाई खानी पड़ेगी!!
रामराज्य मुबारक़ हो, पत्रकारिता का भस्मासुर युग मुबारक़ हो!!!
वीडियो देखने के लिए नीचे क्लिक करें :
https://www.youtube.com/watch?v=rH__gndxcFA
युवा पत्रकार और सोशल एक्टिविस्ट मयंक सक्सेना की एफबी वॉल से… उपरोक्त स्टेटस पर आए कुछ प्रमुख कमेंट्स इस प्रकार हैं….
Shahid Khan : I did not find anything wrong in this video particularly Rajdeep conduct. Please note Rajdeep is just an employee any by accepting laddo he has shown he has big heart. Anjana om kashyap conduct is questionable.
Pashupati Jha : खुशियां मानते हुए आधुनिक पॉलीटिक्स की आधुनिक परिभाषा भी बता रहे हैं। Politics is about messaging…..it’s about road shows…it’s about social media…it’s about sending out simple messages.
Kashyap Kishor Mishra : एक पत्रकार को निष्पक्ष होना चाहिए पर निष्पक्षता की सान भी तो निरपेक्ष हो, यदि दक्षिणपंथी राजनितिक रूझान का प्रदर्शन जाहिल हरकत है तो एक पत्रकार का अपना वामपंथी रूझान प्रदर्शित करना भी उतनी ही जाहिल हरकत है
Mayank Saxena : न्यूज़रूम में या ऑन ड्यूटी कैसा भी रुझान प्रकट करना ग़लत है। लेकिन आप अगर पत्रकार के तौर पर साम्प्रदायिकता के विरोध की बात कर रहे हैं या बिना वजह इसमें वाम को घसीटने की प्रवृत्ति के कारण ये लिख रहे हैं, तो आप भी जानते हैं कि आप क्या कर रहे हैं। ज़रा दिखाइए कि कब किस वामपंथी पत्रकार ने ऐसे लड्डू बांटे हैं, टीवी पर खड़े हो कर वाम का समर्थन किया है?
Shakti Singh Bhabor : राजदीप सरदेसाई पक्का जाति समर्थक है। प्रभु, पर्रिकर, गडकरी, जावडेकर के मंत्री बनने पर इन्होंने ट्वीट कर कहा था कि अब सरकार सही हाथो में है।