देश की सर्वोच्च अदालत ने गोरखपुर के खोजी और बेबाक पत्रकार सत्येन्द्र को पुलिसिया उत्पीड़न से तो बाहर निकाल दिया है लेकिन गोरखपुर का महा भ्रष्ट बिजली विभाग आज भी पूरी तरह बेशर्मी पर उतारू है। आज लगभग डेढ़ महीने से पत्रकार सत्येन्द्र के घर की बिजली कटी हुई है मतलब बिजली पानी सब बन्द और भ्रष्ट बिजली विभाग सौदेबाजी पर उतारू है लेकिन अपने जिद और जुनून के लिए विख्यात पत्रकार सत्येन्द्र किसी तरह की सौदेबाजी के लिए तैयार नही हैं।
अब तक कई भ्रष्टाचारियों को निपटा चुके तथा उन्हें कोर्ट में नंगा कर चुके पत्रकार सत्येन्द्र अब गोरखपुर के महाभ्रष्ट बिजली विभाग का इलाज शुरू कर चुके हैं। होना भी चाहिए क्योंकि यूपी में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति जो चल रही है भाई!
हुआ यूँ कि सात फरवरी 2022 को बिजली विभाग का इंजीनियर अजय सिंह अपने वसूली कारखास लाइनमैन संतोष साहनी तथा अन्य के साथ पत्रकार सत्येन्द्र के घर पहुँचे। बिजली चेक की और बताया कि आपका केबल कई जगह से क्रैक है बदलना पड़ेगा।
क़ानूनची बन चुके पत्रकार ने इस बात को लिखित तौर पर देने को कहा तो इंजीनयर साहब ने उसे लिखवाते हुए अपने वसूली कारखास लाइनमैन सन्तोष साहनी के हस्ताक्षर करवा कर दे दिया। केबल बदला गया और लाइनमैन ने इंजीनयर के कहने पर पाँच हजार की रिश्वत मांगी साथ ही अपना मेहनताना सत्येन्द्र से तीन सौ रुपये ले लिए। बस यही पर गुनाह कर बैठा महाभ्रष्ट बिजली विभाग!
तमाम तलाशियाँ देने के बाद भी जिस पत्रकार ने जेल के अंदर तक वीडियो बना कर तमाम भ्रष्टाचारियों को निपटाते हुए सनसनी मचा दी थी… जिस पत्रकार सत्येन्द्र के विषय मे यह चर्चा चहुंओर हो कि इस शख्श की आंखों में भी कैमरा लगा रहता है उस शख्श से पाँच हजार की रिश्वत माँगना और तीन सौ रुपये रिश्वत के लेना तो ठीक वैसा ही हुआ जैसे सांढ़ के सामने लाल चड्ढी पहनकर कोई अपना पिछवाड़ा हिलाए!
उस दिन भी भगवान जाने कैसे वीडियो बन गया लेकिन पांच हजार की रिश्वत देने का इनकार इंजीनियर अजय सिंह साहब को इतना नागवार गुजरा कि उसी दिन शाम को उन्होंने चुपचाप बिजली चोरी का मुकदमा लिखवा दिया। इस मुक़दमे की कोई भी खबर उपभोक्ता को नहीं दी गयी और अट्ठारह महीने बाद वर्तमान अधिशासी अभियंता संदीप मौर्या सत्येन्द्र के घर विजिलेंस के साथ पहुँचे और लगभग 6 लाख के पेनाल्टी की मांग रख दी।
जानकारी होने पर पत्रकार सत्येन्द्र ने जब मामले से संबंधित नियम कानून और सबूत दिखाना समझाना शुरू किया तो महाभ्रष्ट बिजली विभाग बैकफुट पर आया और 6 लाख की पेनाल्टी एक लाख नब्बे हजार पर आकर गिर गयी। अब दस हजार जमा करने को कहा गया और बोला गया कि दस हजार जमा कर बिजली चोरी का अपराध स्वीकार कर ले बाकी किश्तों में जमा करिए। मतलब महाभ्रष्ट बिजली विभाग खुद ही वादी बन गया, खुद ही गवाह, खुद ही वकील और खुद ही जज!
फोन पर 22 दिसंबर 2023 को पत्रकार के इनकार करने पर बिजली विभाग बिजली काट चलता बना। सब जानते हुए भी कि सत्येन्द्र की बीमार पत्नी डॉक्टर की देखरेख में घर के अंदर ऑक्सिजन पर है बिजली विभाग ने अपनी मनमानी कर दी और मरीज पर सांसों का संकट आ पड़ा। रात में वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी और बमुश्किल जान बचाई जा सकी।
इस दौरान सत्येन्द्र तो सुप्रीम कोर्ट में सिस्टम से लड़ने में मशरूफ थे। सत्येन्द्र की बेटी की करुण पुकार पर रिश्तेदार और परिचितों ने मरीज की जान बचाने में अहम भूमिका अदा की। बिजली विभाग के पास इस बात का कोई जवाब नही है कि जब 7 फरवरी 2022 को आपने बिजली चोरी पकड़ी तो उपभोक्ता को यह लिखकर क्यों दिया कि सिर्फ केबल ब्रेक के कारण केबल बदला गया है? आपके नाम पर आपके कारखास लाइनमैन संतोष द्वारा उसी दिन पांच हजार की रिश्वत मांगने तथा तीन सौ रुपये लेने की वीडियो का क्या जवाब है विभाग के पास? अगर उस दिन बिजली चोरी पकड़ी गई तो नियमतः उसी दिन शाम को मुकदमा लिखाते ही बिजली काटकर उपभोक्ता से संयोजन राशि जमा करानी चाहिए थी और उसके बाद ही बिजली जोड़नी चाहिए थी या नहीं, तो इस नियम को फॉलो क्यों नही किया गया?
इसलिए नही किया गया कि महाभ्रष्ट बिजली विभाग को जनता का उत्पीड़न कर वसूली की छूट दे दी गयी है लेकिन बदकिस्मती से गोरखपुर के महाभ्रष्ट बिजली विभाग का पाला इस बार गलत जगह पड़ गया है।
महाभ्रष्ट बिजली विभाग के अलावा पत्रकार की विद्युत सप्लाई बाधित करने में कुछ ऐसे लोगों की वीडियो और तस्वीरें भी सामने आई हैं जो पत्रकार सत्येन्द्र के ईसाई बाहुल्य मोहल्ले में जबरन धर्म परिवर्तन कराने का खेल खेलते हैं और न मानने वालों की किसी न किसी बहाने बिजली पानी नाली बाधित कर अपना खुन्नस निकालते हैं।
देखें विभाग द्वारा मुकदमे के दिन जांच के समय लिखकर दिया गया पत्र..