दमण : दीव पुलिस द्वारा मान्यता प्राप्त पत्रकार सतीश शर्मा को एक झूठे मामले में गिरफ्तार कर उन्हें हथकड़ी पहनाने के मामले की न्यायिक जांच में पुष्टि होने के बाद भारतीय प्रेस परिषद, नई दिल्ली ने मुख्य सचिव सहित पूर्व प्रशासक सत्य गोपाल, तत्कालीन पुलिस अधीक्षक दीपक पुरोहित, सी.ओ.पी. आरपी मीणा, वर्तमान आईजी सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारियों से चार सप्ताह में जवाब तलब किया है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009 में तत्कालीन प्रशासक सत्य गोपाल व अन्य पुलिस अधिकाारियों की भ्रष्ट कार्यशैली के विरुद्ध प्रकाशित खबरों का बदला लेने के बहाने दीव पुलिस थाने में दर्ज एक झूठी एफ.आई.आर. नंबर 31/2009 में दीव पुलिस ने मान्यता प्राप्त पत्रकार सतीश शर्मा को गिरफ्तार कर उन्हें न्यायालय में पेश किया था। पुलिस ने गलत दस्तावेज व जानकारी प्रस्तुत कर 7 दिनों के लिए उन्हें पुलिस रिमांड पर ले लिया था। इस दौरान पुलिस उनको दमण ले आई, जहां उन्हें सत्य गोपाल व पुलिस अधीक्षक दीपक पुरोहित की शह पर जांच अधिकारी गोविंद राजा ने हथकड़ी पहनाकर शहर में पैदल घुमाया था। इस घटना के पीछे शीर्ष अधिकारियों का सिर्फ और सिर्फ यह मकसद था कि उनके विरुद्ध समाचार प्रकाशित करने का हश्र क्या होता है, उन्हें बताया जा सके। पुलिस द्वारा सुप्रीम कोर्ट तथा मानवाधिकार आयोग की अवहेलना वाली इस घटना के बारे में विभिन्न समाचार पत्रों में अगले दिन समाचार भी प्रकाशित हुए थे।
पुलिस की इस घिनौनी हरकत से परेशान सतीश शर्मा ने भारतीय प्रेस परिषद के समक्ष वाद दायर कर दोषी पुलिस अधिकारियों व प्रशासक सत्य गोपाल के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने की मांग की थी। इस पर सुनवाई करते हुए भारतीय प्रेस परिषद के निर्वतमान अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू ने मामले की न्यायिक जांच करवाने के आदेश दिये थे। इसके बाद मुंबई उच्च न्यायालय ने दमण-दीव एवं दादरा नगर हवेली के जिला एवं सत्र न्यायाधीश भोजराज पाटिल को जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया। पाटिल द्वारा मामले की शुरू की गई जांच पूरी हो, इससे पूर्व ही उनका तबादला हो गया। उसके बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश आर.आर. देशमुख ने इस जांच को पूरा कर भारतीय प्रेस परिषद को रिपोर्ट सौंप दी।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश आर.आर. देशमुख द्वारा सौंपी गई इस रिपोर्ट में 15 गवाहों के बयान, विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों को जांचने तथा शिकायतकर्ता व पीड़ित पत्रकार द्वारा जांच अधिकारी को पेश किये गए सबूतों के आधार पर उन्होंने अपने फैसले में लिखा कि गोविंद राजा, कांस्टेबल भरत देवजी बामणिया व केपी सोलंकी द्वारा सतीश शर्मा को हथकड़ी पहनाए जाने की घटना सही साबित होती है।
भारतीय प्रेस परिषद के समक्ष आई इस न्यायिक जांच रिपोर्ट ने पत्रकारों के साथ हो रहे उत्पीड़नों की पोल खोल दी। वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा बदले की भावना से की गई इस कार्रवाई को प्रेस परिषद ने गंभीरता से लेते हुए सत्यगोपाल, जो कि वर्तमान में अरुणाचल प्रदेश में सचिव (श्रम विभाग), दिल्ली में कार्यरत दीपक पुरोहित (आई.पी.एस.), आर.पी. मीणा सहित संघप्रदेश दमण-दीव एवं दानह के मुख्य सचिव, गृह सचिव, आई.जी., पुलिस अधीक्षक तथा संबंधित पुलिस थानों के प्रभारियों से 4 सप्ताह के अंदर जवाब-तलब किया है। अब पुलिस अपने बचाव में इधर-उधर हाथ मारती नजर आ रही है।
sharma
April 12, 2015 at 6:12 pm
सच परेशांन हो सकता ही पराजीत नही इसलिए शर्मा जी को इंसाफ मिल गया है