Sheetal P Singh : BJP के हाथियों के दंगल में पैदल सेना की बड़ी दुर्गति है. बीजेपी की पैदल सेना मुख्यत:दरिद्र सवर्णो की रुग्णशाला से आती है। रुग्णशाला का मतलब यहाँ उन प्रतिभागियों से है जो आर्थिक शैक्षिक शारीरिक मोर्चों पर दोयम दर्जा रखते हैं पर मनु महाराज की अनुकम्पा से उन्हे अपने से बुरे हाल में सड़ रहे ग़रीब नसीब हैं, जिन्हें देखकर उन्हे ख़ुद के “बड़े” होने का एक झूठा अहसास तरावट देता रहता है. तो यह पैदल सेना अपनी दो हज़ार से बीस हज़ार के मध्य झूलती सामुदायिक विपन्नता के दौर में अरबों ख़रबों के वारे न्यारे करने वाले फ़ैसलों /विवादों के पैरवीकारों के रूप में अपने आप को पाकर समझ ही नहीं पाती कि बैटिंग किधर करनी है. इंतज़ार करती है कि कुछ ऊपर से ज्ञान छिड़का जाय तो वह भी लोकल बघारे.
मसलन आप सोशल मीडिया के गट्ठर के गट्ठर अकाउंट देख आइये. एक भी शायद ही मिले जिसने KG6 basin प्रसंग पर ख़ुद से कुछ लिखा हो? आयरन ओर के गोरखधंधे पर एक हर्फ़ दरज कराया हो? अडानी के बारे में कुछ गहरी जानकारी प्रकट की हो? अब यकायक उसे ललित मोदी/सुषमा स्वराज की मानवीय रिश्तेदारी पर डिफ़ेंस खड़ा करना है. काफ़ी मीमांसा के बाद मैंने पाया कि कम से कम सोशल मीडिया में मौजूद मोदी/बीजेपी समर्थकों का ९९% आज के क्रोनी कैपिटल के ऐतिहासिक साइज़ के प्रपंच से दयनीय स्तर तक अनभिज्ञ है. वह दरअसल मुसलमानों से लड़ रहा है, ईसाइयों से लड़ रहा है, औरतों को क़ाबू (उसकी समझ में मर्यादा) में रखने में लगा है, कश्मीर में तैनाती चाहता है, लाहौर पे क़ब्ज़ा, चीन को सबक़ और विश्व गुरू/हिन्दू /संस्कृत …
सब गड्ड मड्ड. वो बहस नहीं कर सकता. ख़ाली डब्बा है. सो गालियों में जीता है. इसी वजह से इसकी सारी सर्किल मर्दों की है. कुछ नकली महिला प्रोफ़ाइल्स छोड़कर. मैं दस साल बाद का दृश्य अपने हिसाब से जैसा देख पा रहा हूँ कि “खेती सेठों की हो चुकी होगी और बेरोज़गारों के झुंड तमाम तरह की लम्पट सेनायें बनाकर एक दूसरे से निबटने/निबटाने में लगे होंगे. सरकारी फौजफाटा/पुलिस अपनी लूटपाट अराजकता में. सांप्रदायिक बँटवारा नई चुनौतियों को पेश कर रहा होगा. बुज़ुर्ग औरतें बच्चे और बीमार सबसे ज़्यादा वलनरेबल होंगे. है तो बहुत बुरा सा स्वप्न पर…
शीतल पी सिंह के एफबी वॉल से