सुप्रीम कोर्ट सोशल मीडिया पर नियंत्रण के लिए नया कानून चाहता है. अंग्रेजी दैनिक टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार मकसद अपमानजनक संदेशों के ऑनलाइन प्रसार के कारण सोशल मीडिया का दुरुपयोग रोकना है.
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सोशल मीडिया में भी जातिवाद का जहर
शुक्र है कि सोशल मीडिया का सरकारीकरण नहीं हुआ है। इस कारण वहां आरक्षण भी नहीं है और जातिवाद भी लगभग नहीं के बराबर है। अगर सोशल मीडिया सरकारी होता तो कुछ नेता अवश्य मांग करते कि फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डइन आदि में आरक्षण किया जाए। ऐसी व्यवस्था हो कि निश्चित प्रतिशत लाइक आरक्षित कोटे के हो ही। यह भी होता कि अकाउंट शुरू करने के पहले किसी राजपत्रित अधिकारी से प्रमाणित प्रमाण-पत्र की प्रतिलिपि नत्थी करनी पड़ती कि आप किस जाति के हो।
सोशल मीडिया पर टिप्पणी से अजमेर में पुलिस पर पथराव
अजमेर (राजस्थान) : जिले के रामगंज थाना इलाके में सोशल मीडिया पर आपत्तीजनक टिप्पणी के बाद दो सम्प्रदायों के बीच टकराव को रोकने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पडा.
कोर मीडिया और सोशल मीडिया में बेहतर तालमेल पर जोर
रायपुर (छत्तीसगढ़) : न्यू सर्किट हाउस में समन्वय संस्था की कार्यशाला में कोर मीडिया और सोशल मीडिया के बीच बेहतर तालमेल और दोनों में गुणात्मक सुधार पर चर्चा की गई। वक्ताओं ने कहा कि प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के समानांतर एक और मीडिया शैली का विकास पिछले कुछ वर्षों के दौरान हुआ है। आम लोगों द्वारा संचालित इस नई मीडिया शैली को सोशल मीडिया कहा जाता है। बहुत से सोशल मीडिया एक्टिविस्ट और पत्रकारों की राय है कि इन दोनों माध्यमों में यदि बेहतर समन्वय हो तो मीडिया और मजबूती के साथ समाज के लिए काम कर सकेगा।
गिद्धों से घिरे वक्त में अब आ रही सोशल मीडिया के मोरचे पर डटे पत्रकारों की परीक्षा की घड़ी
हर आरोप जो केजरीवाल पर सुबह टी वी और सोशल मीडिया पर चेपा जाता है शाम होते होते दम तोड़ देता है या बैताल की तरह पुन: उलटकर बीजेपी कांग्रेस पर चिपक जाता है । कल सुबह सुर्ख़ियों में था कि केजरीवाल के मुख्यमंत्री आवास का दो महीने का बिल एक लाख से कुछ ज़्यादा आया है, मामला चटपटा था और प्रथम दृष्टिया “आपियन्स” को बेचैन करने वाला था ।
सोशल मीडिया पर भारी पड़ेगी जाति-धर्म पर गलत टिप्पणी, रासुका लगेगा
लखनऊ : सोशल मीडिया पर धर्म, सम्प्रदाय व जाति विशेष पर भड़काऊ कमेंट करने वालों पर रासुका के तहत कार्रवाई होगी। इतना ही नहीं आपत्तिजनक पोस्ट पर कमेंट, लाइक व शेयर करने वालों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होगी।
भारत में 14 करोड़ से अधिक हुए सोशल मीडिया वाले लोग, गांवों में ढाई करोड़
भारत में सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या 14.3 करोड़ तक पहुंच चुकी है। इसमें से ग्रामीण क्षेत्रों के उपभोक्ताओं की संख्या पिछले एक साल में 100 प्रतिशत तक बढ़कर ढाई करोड़ पहुंच गई है।
मोदी समर्थक क्रोनी कैपिटल के ऐतिहासिक साइज के प्रपंच से दयनीय स्तर तक अनभिज्ञ है
Sheetal P Singh : BJP के हाथियों के दंगल में पैदल सेना की बड़ी दुर्गति है. बीजेपी की पैदल सेना मुख्यत:दरिद्र सवर्णो की रुग्णशाला से आती है। रुग्णशाला का मतलब यहाँ उन प्रतिभागियों से है जो आर्थिक शैक्षिक शारीरिक मोर्चों पर दोयम दर्जा रखते हैं पर मनु महाराज की अनुकम्पा से उन्हे अपने से बुरे हाल में सड़ रहे ग़रीब नसीब हैं, जिन्हें देखकर उन्हे ख़ुद के “बड़े” होने का एक झूठा अहसास तरावट देता रहता है. तो यह पैदल सेना अपनी दो हज़ार से बीस हज़ार के मध्य झूलती सामुदायिक विपन्नता के दौर में अरबों ख़रबों के वारे न्यारे करने वाले फ़ैसलों /विवादों के पैरवीकारों के रूप में अपने आप को पाकर समझ ही नहीं पाती कि बैटिंग किधर करनी है. इंतज़ार करती है कि कुछ ऊपर से ज्ञान छिड़का जाय तो वह भी लोकल बघारे.
सोशल मीडिया और एजुकेशन पर पचमढ़ी में वर्कशॉप
पचमढ़ी (मध्यप्रदेश) : यूनिसेफ द्वारा सोशल मीडिया एंड एजुकेशन पर पचमढ़ी में वर्कशॉप का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत यूनिसेफ एमपी के चीफ ट्रेवर क्लार्क ने करते हुए कहा है कि सोशल मीडिया अब ट्रेडिशनल मीडिया की तरह लिया जा रहा है और इस मीडिया का उपयोग शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए बेहतरीन तरीके से किया जा सकता है।
सोशल मीडिया में आशुतोष के आंसुओं की किरकिरी
अजित अंजुम और राना यशवंत, दोनों ने आशुतोष के आंसुओं पर यक़ीन करते हुए, फेसबुक पर हम सबको भी यक़ीन दिलाने की कोशिश की, कि आशुतोष वाकई भावुक थे…गम्भीर थे…और ये आंसू असली थे…