यदि आपको पत्रकारिता में रहना हो तो ब्राह्मणों के इन गुणों को अपने आप में विकसित कीजिए…

Surendra Kishore : बहुत दिनों से मैं सोच रहा था कि आपको अपने बारे में एक खास बात बताऊं। यह भी कि वह खास बात किस तरह मेरे जीवन में बड़े काम की साबित हुई। मैंने 1977 में एक बजुर्ग पत्रकार की नेक सलाह मान कर अपने जीवन में एक खास दिशा तय की। उसका मुझे अपार लाभ मिला। मैंने फरवरी 1977 में अंशकालीन संवाददाता के रूप में दैनिक ‘आज’ का पटना आफिस ज्वाइन किया था। हमारे ब्यूरो चीफ थे पारस नाथ सिंह। उससे पहले वे ‘आज’ के कानपुर संस्करण के स्थानीय संपादक थे। वे ‘आज’ के नई दिल्ली ब्यूरो में भी वर्षों तक काम कर चुके थे। पटना जिले के तारण पुर गांव के प्रतिष्ठित राजपूत परिवार में उनका जन्म हुआ था। वे बाबूराव विष्णु पराड़कर की यशस्वी धारा के पत्रकार थे। विद्वता और शालीनता से भरपूर।

योगी के रूप में हिन्दू राज लौटने से कबीलाई नृत्य कर रहे सवर्णों, जरा ये भी सुनो

Ashwini Kumar Srivastava : हिन्दू राज की आड़ लेकर ऊंच-नीच, छुआ-छूत वाली वर्णव्यवस्था को लाकर भारत को तलवारों/तीरों और राजा-सामंतों के युग सरीखी मानसिकता में वापस ले जाने में लगे बुद्धिमानों… क्या तुम्हें यह भी पता है कि नासा के जरिये अमेरिका इन दिनों बहुत ही जोरों शोरों से इस संसार में सबसे तेज चलने वाले प्रकाश यानी लाइट से भी तेज गति से चलने वाले रॉकेट बनाने में जुटा हुआ है?

पत्रकार की जाति : राजदीप सरदेसाई और प्रभाष जोशी तक अपने ब्राह्मण नस्ल का महिमामंडन कर चुके हैं!

Mukesh Kumar : ये अच्छी बात है कि पत्रकारों ने अपने जातीय गर्व को सरे आम प्रकट करना शुरू कर दिया है और उसे उन्हीं की बिरादरी से चैलेंज भी किया जा रहा है। इससे मीडिया में जातिवाद की परतें खुलेंगी। लोगों को पता चलेगा कि पत्रकारों में जातीय अहंकार किस-किस रूप में मौजूद है और वह कंटेंट के निर्माण में किस तरह से काम करता होगा।  हम सब जानते हैं कि मीडिया भी इसी जातिवादी समाज का हिस्सा है, इसलिए उसी रूप में जातिवाद भी वहाँ मौजूद है, मगर उसे मानने से हम इंकार भी करते रहे हैं। मीडिया को ऐसी पवित्र गाय की तरह पेश करते रहे हैं कि मानो वह जाति, धर्म और दूसरे विभाजनों से ऊपर है और अगर समतावाद कहीं है तो मीडिया में ही।

सोशल मीडिया पर भारी पड़ेगी जाति-धर्म पर गलत टिप्पणी, रासुका लगेगा

लखनऊ : सोशल मीडिया पर धर्म, सम्प्रदाय व जाति विशेष पर भड़काऊ कमेंट करने वालों पर रासुका के तहत कार्रवाई होगी। इतना ही नहीं आपत्तिजनक पोस्ट पर कमेंट, लाइक व शेयर करने वालों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होगी। 

मोदी समर्थक क्रोनी कैपिटल के ऐतिहासिक साइज के प्रपंच से दयनीय स्तर तक अनभिज्ञ है

Sheetal P Singh : BJP के हाथियों के दंगल में पैदल सेना की बड़ी दुर्गति है. बीजेपी की पैदल सेना मुख्यत:दरिद्र सवर्णो की रुग्णशाला से आती है। रुग्णशाला का मतलब यहाँ उन प्रतिभागियों से है जो आर्थिक शैक्षिक शारीरिक मोर्चों पर दोयम दर्जा रखते हैं पर मनु महाराज की अनुकम्पा से उन्हे अपने से बुरे हाल में सड़ रहे ग़रीब नसीब हैं, जिन्हें देखकर उन्हे ख़ुद के “बड़े” होने का एक झूठा अहसास तरावट देता रहता है. तो यह पैदल सेना अपनी दो हज़ार से बीस हज़ार के मध्य झूलती सामुदायिक विपन्नता के दौर में अरबों ख़रबों के वारे न्यारे करने वाले फ़ैसलों /विवादों के पैरवीकारों के रूप में अपने आप को पाकर समझ ही नहीं पाती कि बैटिंग किधर करनी है. इंतज़ार करती है कि कुछ ऊपर से ज्ञान छिड़का जाय तो वह भी लोकल बघारे.

अब बताइए, कितने जूते मारेंगे आप समाज में जातिवाद का जहर घोलने वालो को !

मीडिया अब दलाली का दूसरा नाम है। यहाँ फर्जी खबरें भी बनायी जा रही हैं, दलितों और पिछड़ों पर झूठी एफआईआर करवाने की तो फर्जी न्यूज़ छप रही है, मेधा और मेरिट को लेकर!

पांडे, तिवारी और बोधिसत्व का बाभनावतार… तीनों एकसाथ गालियां बक रहे हैं : अनिल कुमार सिंह

Anil Kumar Singh : उदय प्रकाश जी को गरियाते -गरियाते खूंखार जातिवादी और सांप्रदायिक भेडियों का झुण्ड मुझ पर टूट पड़ा है. ये दुष्प्रचारक अपने झूठ की गटर में मुझे भी घसीट लेना चाहते हैं. दो कौड़ी के साम्प्रदायिकता और अन्धविश्वास फ़ैलाने वाले टी वी सीरियलों का घटिया लेखक मुझे गुंडा बता रहा है. ये परम दर्जे का झूठा है और अपने घटिया कारनामों के लिए शिवमूर्ति जैसे सरल और निश्छल लेखक को ढाल बनाता रहा है. इसे मेरी भाषा पर आपत्ति है. कोई बताओ कि ऐसे गिरे व्यक्ति के लिए किस भाषा का प्रयोग किया जाय. और, आमना -सामना होने पर इससे कैसा व्यवहार किया जाय.

अपनी जाति बताने के लिये शुक्रिया राजदीप सरदेसाई

Vineet Kumar : राजदीप की इस ट्वीट से पहले मुझे इनकी जाति पता नहीं थी..इनकी ही तरह उन दर्जनों प्रोग्रेसिव मीडियाकर्मी, लेखक और अकादमिक जगत के सूरमाओं की जाति को लेकर कोई आईडिया नहीं है..इनमे से कुछ वक्त-वेवक्त मुझसे जाति पूछकर अपनी जाति का परिचय दे जाते हैं..और तब हम उनकी जाति भी जान लेते हैं.