‘रजत की बूंदें’ राष्ट्रीय जल पुरस्कार की हुई घोषणा… देश में जिस प्रकार से वर्ष प्रतिवर्ष जल संकट गहराता जा रहा है, सतही व भू-जल प्रदूषित हो रहा है तथा छोटी व बरसाती नदियां प्रदूषित का शिकार हो चुकी हैं तथा मरणासन्न हैं। यह भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है। इस विषय पर जहां चिंतन-मनन व गहन शोद्ध की आवश्यकता है वहीं समस्या के समाधान हेतु जमीनी स्तर पर प्रयास अति-आवश्यक हैं। जल को संरक्षित करने, प्राकृतिक जल संरचनाओं को संवारने, प्रदूषण की समस्या से निजात दिलाने तथा नदियों को पुनर्जीवित करने के अच्छे प्रयास देशभर में जगह-जगह सामाजिक संगठनों द्वारा किए जा रहे हैं, लेकिन इन प्रयासों को प्रोत्साहन व सहयोग उस दर्जे का नहीं है जोकि होना चाहिए। इस विकल्प को भरने के उद्देश्य से नीर फाउंडेशन द्वारा एक प्रयास प्रारम्भ किया गया है।
नीर फाउंडेशन स्वयं भी पिछले दो दशकों से पानी व नदियों के लिए सकारात्मक योगदान दे रहा है। इसमें अच्छे प्रयासों को वर्ष में एक बार राष्ट्रीय जल सम्मेलन का आयोजन करके उसमें गहन परिचर्चा किया जाना तथा कृछ बेहतरीन चुनिन्दा कार्यों को पुरस्कृत किया जाना शामिल है। पुरस्कार को ‘रजत की बूंदें’ नाम दिया गया है। रजत अर्थात चांदी। चांदी जैसे जल को संवारने के लिए प्रयासरत सभी सम्मान के पात्र हैं ऐसा नीर फाउंडेशन का मानना है। यह कार्य कई प्रकार से समाज में किया जा रहा है। कोई जमीन पर उतर कर लगा हुआ है, कोई पत्रकारिता के माध्यम से जागरूकता ला रहा है तो कोई साहित्य ऐसा रच रहा है जिससे जल संरक्षण के कार्य को प्रोत्साहन मिले। इसमें नदी, तालाब, कुएं व जल गांव भी शामिल हैं। इस पुरस्कार को सात श्रेणीयों में विभाजित किया गया है।
रजत की बूंदे राष्ट्रीय पुरस्कार (जल संरक्षण) – श्री हीरालाल (आई0 ए0 एस0), उत्तर प्रदेश
रजत की बूंदे राष्ट्रीय पुरस्कार (पत्रकारिता) – श्री अतुल पटेरिया (दैनिक जागरण, जल व पर्यावरण मामले), नई दिल्ली
रजत की बूंदे राष्ट्रीय पुरस्कार (साहित्य) – सुश्री नीलम दीक्षित, महाराष्ट्र
नदी संरक्षण पुरस्कार – संत बलबीर सिंह सींचेवाल (निर्मल कुटिया) पंजाब
कुआं संरक्षण – श्री शिव पूजन अवस्थी (ऋषिकुल आश्रम), मध्य प्रदेश
तालाब संरक्षण – श्री विनोद कुमार मेलाना (अपना संस्थान), राजस्थान
आदर्श जल गांव – श्री उमा शंकर पाण्डेय (जलग्राम जखनी), उत्तर प्रदेश
‘रजत की बूंदें’ राष्ट्रीय जल पुरस्कार की घोषणा करते हुए हमें खुशी हो रही है। जैसा कि आप सभी को ज्ञात है कि यह पुरस्कार गत 22 मार्च, 2020 को राष्ट्रीय जल सम्मेलन, नई दिल्ली में दिए जाने वाले थे लेकिन उससे पहले लोकडाउन के चलते ऐसा संभव नहीं हो पाया। अवार्ड के लिए कोई कार्यक्रम करना अभी भी संभव नहीं है इसीलिए यह राष्ट्रीय जल सम्मेलन आगामी 26 जुलाई, 2020 को वेबिनार के माध्यम से किया जाना तय हुआ है। अब राष्ट्रीय जल सम्मेलन आगामी 26 जुलाई, 2020 को वेबिनार द्वारा किया जाएगा। इसमें स्वामी चिदानन्द (संस्थापक, परमार्थ निकेतन), पदमभूषण डाॅक्टर अनिल जोशाी (संस्थापक, हैस्को), पदमश्री संत बलबीर सिंह सींचेवाल (निर्मल कुटिया), श्री राकेश जैन (सह-प्रभारी, पर्यावरण गतिविधि आर0एस0एस0), डा0 प्रभात कुमार (चैयरमेन, यू0पी0पी0एस0सी0), यू0 पी0 सिंह (सविच, जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार), नीतिश्वर कुमार (संयुक्त सविच, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार), राजीव रंजन मिश्रा (डी0 जी0, एन0एम0सी0जी0, जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार) व अनेक राज्यों से विषय विशेषज्ञ भी जुडेंगे। धन्यवाद
(रमन कान्त त्यागी)
संस्थापक