Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

मानवाधिकारों का हनन कर रहा दैनिक जागरण, अहंकार त्यागने को तैयार नहीं मालिकान

नई दिल्ली/ नोएडा। मानवाधिकारों का हनन और कर्मचारियों का शोषण करने में नंबर एक संस्थान है दैनिक जागरण। ये अखबार खुद को विश्व में सबसे अधिक पढ़े जाने का दावा करता है। लेकिन इसे इस मुकाम तक पहुँचाने वाले कर्मचारियों का शोषण करने में इसने कभी कोई कसर नहीं छोड़ी। आप अखबार उठाकर देखिये पूरा अखबार सदाचार, संस्कार और नैतिकता के बारे में भाषणों से भरा हुआ मिलेगा।

<p>नई दिल्ली/ नोएडा। मानवाधिकारों का हनन और कर्मचारियों का शोषण करने में नंबर एक संस्थान है दैनिक जागरण। ये अखबार खुद को विश्व में सबसे अधिक पढ़े जाने का दावा करता है। लेकिन इसे इस मुकाम तक पहुँचाने वाले कर्मचारियों का शोषण करने में इसने कभी कोई कसर नहीं छोड़ी। आप अखबार उठाकर देखिये पूरा अखबार सदाचार, संस्कार और नैतिकता के बारे में भाषणों से भरा हुआ मिलेगा।</p>

नई दिल्ली/ नोएडा। मानवाधिकारों का हनन और कर्मचारियों का शोषण करने में नंबर एक संस्थान है दैनिक जागरण। ये अखबार खुद को विश्व में सबसे अधिक पढ़े जाने का दावा करता है। लेकिन इसे इस मुकाम तक पहुँचाने वाले कर्मचारियों का शोषण करने में इसने कभी कोई कसर नहीं छोड़ी। आप अखबार उठाकर देखिये पूरा अखबार सदाचार, संस्कार और नैतिकता के बारे में भाषणों से भरा हुआ मिलेगा।

अखबार में लोकतंत्र की रक्षा की बड़ी-बड़ी बातें लिखी होंगी। लेकिन माननीय उच्चतम न्यायालय का आदेश मानने से इसके मालिकानों ने साफ़ इनकार कर दिया। जब कर्मचारियों ने ऐसा करने का अनुरोध किया तो उनकी 20-25 साल की सेवा को इसके मालिकानों ने एक झटके में भुला दिया। इस अत्याचारी अखबार के मालिकों ने अपना हक़ मांगने पर 350 से अधिक कर्मचारियों को संस्थान से निकाल दिया है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इन कर्मचारियों का कसूर बस इतना था कि इन्होंने माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने का अनुरोध जागरण के मालिकों से किया था। गौरतलब है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2014 में अखबार संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों को मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार वेतन औए एरियर देने का अनुरोध किया था। लेकिन कर्मचारियों के चार माह तक सड़क पर उतरकर आंदोलन करने के बावजूद इसके मालिकान अहंकार त्यागने को तैयार नहीं हैं।

जागरण प्रबंधन बेवजह की गुंडागर्दी करते हुए कर्मचारियों को न तो संस्थान के अंदर काम करने दे रहा है और न ही मामले को सुलझाने का प्रयास कर रहा है। ऐसे में अखबार जबरदस्त नुकसान में है और इससे उसे उबरने में लंबा समय लगेगा। लेकिन इस सबके बाद भी पहाड़ सरीखे अहंकार के चलते जागरण प्रबंधन कर्मचारियों को उनका वाजिब हक़ देने को तैयार नहीं है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

पस्त हुआ जागरण प्रबंधन, कर्मचारियों के हौसले बुलंद

Advertisement. Scroll to continue reading.

मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करने की मांग को लेकर पिछले दो वर्ष से संघर्ष कर रहे दैनिक जागरण के कर्मचारियों का संघर्ष अब रंग लाने लगा है। जागरण प्रबंधन से जुड़े विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि अखबार मालिकानों के सारे दांव विफल साबित हो गए हैं और उनके साथ साथ प्रबंधन से जुड़े अन्य लोगों में बेहद हताशा का माहौल है। विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि माननीय सुप्रीम कोर्ट में पिछले महीने हुई सुनवाई में माननीय अदालत का रुख स्पष्ट रूप से कर्मचारियों के पक्ष में होने के बाद जागरण के मालिकान पूरी तरह बैकफुट पर हैं।

इसके अलावा कर्मचारियों द्वारा संयुक्त रूप से लगभग 100 करोड़ की रिकवरी भी डाली जा चुकी है। कर्मचारियों ने इससे पूर्व में अपने अधिवक्ता के माध्यम से मालिकानों को नोटिस भी भिजवा दिया था। बताया जा रहा है कि कर्मचारियों के बुलंद हौसलों के कारण ही अखबार मालिकान और प्रबंधन अब कर्मचारियों के साथ समझौता करने को विवश हो गए हैं। अब यह पूरी तरह स्पष्ट है कि अखबार मालिकानों के पास कर्मचारियों से समझौते के अलावा कोई रास्ता नहीं है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस संबंध में जागरण एम्प्लाइज यूनियन के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रदीप कुमार सिंह कहते हैं कि अखबार मालिकानों ने पिछले दो साल में कर्मचारियों पर अत्याचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अखबार मालिकानों के अत्याचार के कारण ही कर्मचारियों को सड़क पर उतरना पड़ा। आंदोलित कर्मचारियों का स्पष्ट कहना है कि वे अखबार मालिकानों के झांसे में नहीं आएंगे और मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के अनुसार वेतन और एरियर से कम पर बिलकुल समझौता नहीं करेंगे।

एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement