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भास्कर के बूढ़े एडिटर अपने इंतजाम में व्यस्त, रिपोर्टर मस्त, काम-काज ध्वस्त

दैनिक भास्कर के अजमेर संस्करण में पिछले कई महीनों से पत्रकारों की मौज हो रही है। इसका कारण बुजुर्ग संपादक रमेश अग्रवाल का दूसरे कामों में व्यस्त होना है। संपादक अग्रवाल ऐसे तो करीब दो साल पहले ही रिटायर हो चुके हैं, मगर वो अब एक्सटेंशन पर हैं। 

 

दैनिक भास्कर के अजमेर संस्करण में पिछले कई महीनों से पत्रकारों की मौज हो रही है। इसका कारण बुजुर्ग संपादक रमेश अग्रवाल का दूसरे कामों में व्यस्त होना है। संपादक अग्रवाल ऐसे तो करीब दो साल पहले ही रिटायर हो चुके हैं, मगर वो अब एक्सटेंशन पर हैं। 

 

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मूल रूप से अजमेर के ही निवासी अग्रवाल का ध्यान अब अपने संपादन के बजाय अपने दूसरे धंधों पर है। वो अपने रिटायर्डमेंट के बाद के जीवन को खुशहाल बनाने में लगे हैं। उन्होंने अजयमेरु प्रेस क्लब को वापस जिंदा किया है। वे स्वयं क्लब के अध्यक्ष बन गए हैं। वे रोजाना लगभग तीन घंटे का समय प्रेस क्लब को देते हैं और इस दौरान शहर के विभिन्न वर्गों के लोग वहां जुटते हैं। अग्रवाल ने सालों पहले अजमेर के पंचशील नगर इलाके में जमीन खरीदी थी। अब उस पर अपार्टमेंट बनाने का काम शुरू करवा दिया है। 

कुल मिलाकर उनका ध्यान अखबारी कामकाज पर बिल्कुल नहीं है। इसका फायदा चीफ रिपोर्टर सुरेश कासलीवाल और दूसरे रिपोर्टर जमकर उठा रहे हैं। कासलीवाल अजमेर दबंग भाजपा नेता भंवरसिंह पलाड़ा सहित कई असफरों के फेवर में जुटे हैं। आए दिन इनके स्तुतिगान छापते रहते हैं। पलाड़ा की सह पर उन्होंने अजमेर की दलित जिला प्रमुख के खिलाफ भी भास्कर में अभियान चला रखा है। खास बात यह है कि कासलीवाल की ये हरकतें कोई नई नहीं हैं। वे जब ब्यावर में भास्कर के ब्यूरो चीफ थे तो वहां तत्कालीन भाजपा विधायक देवीशंकर भूतड़ा के पक्षधर थे। उनके इशारे पर ही सारी खबरें लिखते थे। उनकी इन हरकतों की शिकायत तत्कालीन संपादक ने ब्यावर से हटा दिया था, मगर अब रमेश अग्रवाल के कार्यकाल में उनके अच्छे दिन वापस लौट आए हैं।  अग्रवाल के दूसरे कामों बिजी होने और अखबार पर ध्यान नहीं होने कासलीवाल और उनके चेलों को खुलकर खाने और खेलने का मौका मिल रहा है। बताते हैं कि कासलीवाल संपादक की अनदेखी का फायदा उठाते हुए डेस्क को भी अपने शिकंजें में ले लिया है।

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एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित

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0 Comments

  1. radheshyam dhamu

    July 6, 2015 at 7:04 am

    jai ho dainik bhasakr ki
    budhdhon ko extenson aur mere jaise ko ek nakara chaploos sampadak ki jhoothi report per 40+ hote hi hata diya gaya….halanki meri bhavishyavani bhi sahi saabit hui aur wo sampadak bhi 6 mah me chalta kar diya gaya…yahi nahi wo aaya bhi do-teen saal pahle hi tha jabki me raat-din ek kar 12 saal se indore bhaskar ko mahan bana raha tha!!!!!!!!!!!!???????/khair samay her dogle ka bhagya likhega, isme koi do mat nahi

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