अमित चतुर्वेदी-
किसी की भी मौत अपने आप में दुख का विषय होती है, फिर वो मौत अगर असामयिक हो, किसी युवा की हो तो ये और भी ज़्यादा दुखद हो जाती है। जो व्यक्ति चला गया उसका तो कुछ हो ही नहीं सकता लेकिन उससे जुड़े उसके परिवार के लिए जीवन भर का दुख हो जाता है।
अभी दो तीन दिन पहले दिल्ली के न्यूज़ चैनल में काम करने वाले मीडिया कर्मी आकाशदीप शुक्ला ने आत्महत्या कर ली, उसके बाद से सोशल मीडिया में बहुत तरह की खबरें चल रही हैं। देश के सबसे प्रतिष्ठित अख़बार “The Indian Express” ने अपनी ख़बर में लिखा है कि मृतक अपने पीछे अपनी पत्नी और 2 बच्चे छोड़ गया है। इत्तिफ़ाक़ से उस व्यक्ति को जानने वाले मेरे कुछ मित्र जो उसे व्यक्तिगत रूप से भी जानते थे, वो ख़ुद इस बात से अनभिज्ञ हैं कि मृतक की शादी भी हो चुकी थी या उसके कोई बच्चे भी थे। उसे व्यक्तिगत जानने वाले लोग इस बात को दावे से कह रहे हैं कि उसके कोई बच्चे नहीं थे।
यानि इस देश के सबसे प्रतिष्ठित अख़बार “The Indian Express” जिसका काम ही है खबर की सच्चाई की तस्दीक़ करना और उसे जनता के सामने लाना वो अख़बार भी बिना सच जाने ऐसी बातें लिख रहा है जिसकी सच्चाई उसे ख़ुद नहीं पता ऐसे में हम सभी लोग बिना सच को जाने किसी के प्रति कोई प्रतिक्रिया देने के पहले या किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने के पहले मन में ये विचार करें कि सार्वजनिक मंच पर लिखी किसी बात, किए गए किसी आक्षेप से किसी आम आदमी की ज़िंदगी किस तरह प्रभावित हो सकती है।
अगर मृतक की पत्नी है, तो बिना उसका पक्ष जाने सार्वजनिक रूप से उसके बारे में कोई अभद्र कमेंट करने से, या बिना किसी का पक्ष जाने किसी को भी उसकी आत्महत्या का ज़िम्मेदार ठहराने से कहीं ऐसा न हो कि किसी और की ज़िंदगी में ऐसे झंझावात पैदा जो जाएँ जो उनका जीवन तबाह कर दें।
मृतक अकाशदीप शुक्ला के सभी मित्रों और हितचिंतकों से मुझे इतना ही कहना है कि बिना दोनों पक्षों का सच जाने किसी के पक्ष में या किसी के ख़िलाफ़ कोई निर्णय न सुनाएँ और न ही कोई टिप्पणी करें जिसके चलते बाद में ख़ुद उन्हें ही दुख हो…
अकाशदीप शुक्ला के परिजनों के प्रति हार्दिक संवेदनाएँ रखते हुए मैं ईश्वर से मृतक की आत्मा की शान्ति की प्रार्थना करता हूँ।