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उत्तर प्रदेश

आजमगढ़ में अखबार का कार्यालय किस साजिश के तहत ढहाया गया, जानिए पूरी कहानी

आजमगढ़ 31 मार्च 2021। रिहाई मंच ने आजमगढ़ में हिंदी-अंग्रेजी पायनियर अखबार के कार्यालय को ढहाए जाने के बाद मौका स्थल का दौरा किया। मंच ने कहा कि एसडीएम सदर आजमगढ़ द्वारा 12 मार्च को नोटिस जारी करने के बारह दिन बाद 23 मार्च को नोटिस तामील करवाकर 25 मार्च तक जवाब दाखिल करने का वक्त देने के बावजूद एक दिन पहले 24 मार्च को स्ट्रीट लाइट बंद करवाकर की गई कार्रवाई आपराधिक कृत्य है। मंच ने प्रथम दृष्टया पाया कि यह अखबार के कार्यालय के साथ वरिष्ठ पत्रकारों और आम जनता के संवाद केन्द्र के रुप में भी था जिससे प्रशासन अपने को चिढ़ा-चिढ़ा महसूस करता था। वहीं यह भी देखने को मिला कि प्रशासन अतिक्रमण के नाम पर पटरी के किनारे कार्यालयी सामानों को बेचने वालों पर कार्रवाई किया है। जबकि अगर यह कार्यालय सड़क में है तो वहां मौजूद बहुत से सरकारी निर्माण भी सड़क में पाए जाएंगे।

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि आजमगढ़ में एसडीएम ने अपनी ही नोटिस को धता बताकर अखबार के कार्यालय पर जेसीबी चलवाकर गैरकानूनी कृत्य किया है। इस घटना से साफ होता है कि जब मुख्य शहर में वो भी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया के कार्यालय को योगी सरकार में ढहा दिया जा रहा है तो सूदूर गावों में आम जनता की स्थिति क्या होगी। मंच महासचिव ने कहा कि अगर अखबार का कार्यालय अवैध था तो क्या उसके पक्ष को सुने बगैर कार्रवाई की इजाजत कौन सा कानून प्रशासन को देता है। जिस तरीके से पीड़ित पक्ष को तीन दिन में कार्यालय खाली करने की धमकी दी गई और पहले से जारी नोटिस को तीन दिन पहले तामील करवाकर 24 घंटे बाद कार्यालय पर जेसीबी चलवा दी गई यह खुलेआम गुंडागर्दी है।

रिहाई मंच से वरिष्ठ पत्रकार सुनील कुमार दत्ता बताते हैं कि मेरी पत्नी इंदू दत्ता ने 2000 में एक प्रार्थना पत्र नगर पालिका को दिया था उसी के आधार पर यह आवंटन हुआ था। जिसके तहत मुझे दुकान को खुद बनाना था और जिसका कोई खर्च पालिका नहीं उठाएगी। वहीं उसका स्वामित्व पालिका का रहेगा। जिसको सुनील कुमार दत्ता ने अपना फोटो जर्नलिज्म का कार्यालय बनाया था। विगत 12 वर्षों से वरिष्ठ पत्रकार राम अवध यादव उसमें पायनियर हिंदी और अंग्रेजी अखबार का कार्यालय संचालित कर रहे थे। दत्ता स्वयं पायनियर अखबार में मंडल संवादाता और छायाकार हैं। वे बताते हैं कि एक दिन एसडीएम अचानक आए और राम अवध यादव को धमकी भरे स्वर में कहा कि तीन दिन के भीतर यह कार्यालय खाली कर दो नहीं तो इसे जमींदोज कर दूंगा।

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सुनील दत्ता और राम अवध यादव दोनों जर्नलिस्ट क्लब में हैं। राम अवध यादव श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष भी हैं। दोनों ने जर्नलिस्ट क्लब को इस बात से अवगत कराया तो उन्होंने बैठक बुलाई। इसके बाद आवंटन के पूरे डाक्यूमेंट के साथ डीएम को ज्ञापन दिया। ज्ञापन के बाद क्या कार्रवाई हुई, इसकी कोई सूचना सुनील दत्ता को नहीं है। इसके बाद प्रशासन ने एक नोटिस जारी की जो उनको 23 मार्च 2021 को मिली। उस वक्त वो शहर के बाहर लखनऊ में भगत सिंह की शहादत दिवस पर शिया कालेज में आयोजित कार्यक्रम में वक्ता के रुप में मौजूद थे। बेटियों ने दत्ता को फोन पर बताया कि दो पुलिस वाले आए हैं और नोटिस दे रहे हैं और आपको खोज रहे हैं। उन्होंने बेटियों से कहा कि बात कराओ तो फोन पर ही उसमें से एक सिपाही अखिलेश कुमार ने उनसे बात की। उन्होंने उनसे कहा कि आप रिसीव करा लीजिए।

दत्ता बताते हैं कि इस नोटिस को भेजने में भी चालाकी की गई। नोटिस के पहले पन्ने पर रिसीविंग न कराकर पीछे के पन्ने पर कराई गई। जब लौटा तो देखा कि 25 मार्च तक एसडीएम सदर गौरव कुमार के कार्यालय में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने का समय दिया गया। और कहा गया कि आप अपना पक्ष प्रस्तुत नहीं करते हैं तो हम एक पक्षीय कार्रवाई करेंगे। वापस लौटते ही मैंने अपने वकील से मिलकर 24 मार्च को नोटिस का जवाब तैयार करवाया कि अगले दिन 25 मार्च को मैं अपना पक्ष एसडीएम महोदय को दे दूंगा। लेकिन अचानक 24 मार्च को अपनी दी हुई तारीख के पहले ही एसडीएम गौरव कुमार साजिशन शाम को 7 बजे स्ट्रीट लाइट आफ करवाते हैं और जेसीबी चलवा देते हैं। तत्काल हमारी बच्चियों को पता चलता है। वो मौके पर जाती हैं और कहती हैं कि इसमें मौका दिया गया है 25 तारीख तक आप हमारा जवाब सुन लेते उसके बाद आप उससे संतुष्ट होते या न होते उसके बाद जो भी होता आप करते। लेकिन वहां न एसडीएम मौजूद थे न सीओ सिटी मौजूद थे न कोई अधिशाषी अधिकारी ही मौजूद था। जबकि वो दुकान नगर पालिका द्वारा मुझे आवंटित है। वहां मैंने अवैध निर्माण नहीं करवाया न ही वो सड़क पर है। लेकिन एसडीएम महोदय का कथन जो नोटिस में है कि वो दुकान सड़क पर है। फिलहाल सुनियोजित साजिश के तहत मुझे कोई मौका नहीं दिया गया और उन्होंने ध्वस्त कर दिया।

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हाइपर टेंशन और सुगर से पीड़ित तीन बच्चियों के पिता सुनील कुमार दत्ता इस घटना से बहुत आहत हुए हैं। शहर के तमाम बुद्धिजीवी, पत्रकार, साहित्यकार उनके साथ इस घटना का विरोध कर रहे हैं।

द्वारा जारी-
राजीव यादव
महासचिव, रिहाई मंच
9452800752

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