अमिता मिश्रा-
लखनऊ : मैं कोई नेता नही हूँ, इस लिए बहुत घुमा-फिराकर बात करना मुझे नही आता है। मैं बस इतना जानती हॅू कि वर्तमान परिवेश में जो भी समस्याएं हम पत्रकार भाई-बहनों के सामने आ रही है वह दूर होनी चाहिए। हमारी जो मुख्य समस्याएं हैं,उन्हें दूर करना ही हमारा लक्ष्य है। हमें एक मंच पर साथ आकर संकल्प लेना होगा कि जब तक ये सारी समस्याएं दूर नही होगी तब तक हमें चुप नही बैठना है-हमारा लक्ष्य है-
हमारा पहला काम होगा -हमारे संगठन को पहचान दिलाना यानि कि संगठन को रजिस्टर्ड कराना। इससे हमारे संगठन की ताकत दुगनी हो जायेगी,और कोई भी अध्किारी या नेता यह कहने की हिम्मत नही करेगा कि संगठन फर्जी है या फिर जेबी है।
विधानभवन, एनेक्सी या फिर लोकभवन में संगठन के लिए एक कक्ष की अलग से व्यवस्था हो ।
पत्रकारों के लिए आवास की व्यवस्था कराना।
दूसरे राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में भी 60 वर्ष से अधिक आयु पूर्ण कर चुके वरिष्ठ पत्रकारों के लिए सम्मानजनक पेंशन की व्यवस्था।
पीजीआई की तरह ही राजधानी सहित प्रदेश के अन्य शहरों के सरकारी अस्पतालों में भी एल पी दवाओं सहित मुफ्त इलाज की व्यवस्था हो।
परिवार के आश्रितों के मुफ्त इलाज की व्यवस्था हो। साथ ही मेडिकल रिम्बर्समेंट की व्यवस्था की जार्ये।
परिवहन विभाग की तरह ही रेलवे में भी कोच आरक्षित हो,और सरकार द्वारा जारी मान्यता कार्ड से यात्रा हो ]और इस यात्रा में पति और पत्नी दोनों को भी लाभ मिले |
राजधानी का कोई एक सरकारी अस्पताल फ्री कोरोना वैक्सीन के लिए पत्रकारों हेतु आरक्षित कर दिया जाए जहां पर वह सुविधानुसार कोरोना जाकर स्वयं और अपने परिवार को कोरोना से सुरक्षित करने के लिए वैक्सीन लगवा सके |
संगठन द्वारा प्रत्येक 6 माह पर स्वास्थ्य मेले का आयोजन किया जाएगा जिसमे हमारे सभी भाई बहन चाहे मान्यता प्राप्त पत्रकार हो या ना हो सभी के स्वास्थय जांच निशुल्क होगी|
संगठन में करीब दो सौ वरिष्ठ अनुभवी सम्मानित साथी हैं जिन्होंने कई दशक तक अपनी लेखनी की ताकत की बदौलत न केवल अपनी मजबूत पहचान और धमक बनाई बल्कि पूरे पत्रकार समाज को परोक्ष अपरोक्ष रूप से सम्मान दिलाने में अहम् भूमिका निभाई है। आज वह सब वरिष्ठ साथी भी इस यूनियन का महत्वपूर्ण अंग है जो चाहते हैं कि खोया हुआ कल एक बार फिर वापस आये और जो यादगार समय उनके जीवन का गुजरा हुआ कल है वह आज में तब्दील हो।
ऐसी स्थिति में एक सामयिक और मजबूत विकल्प आप सबके सामने है। अध्यक्ष पद पर दावेदारी करने वाले हमेशा अग्रज पुरूष साथी ही रहे हैं। पहली बार आप सभी के बीच आपके परिवार की महिला ने पुरूष प्रधान समाज में प्रथम महिला प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का प्रयास किया है। मेरा न कोई अहम् है और न ही स्वहितऔर न ही महिला होने के नाते किसी गुटबाजी और सतही लड़ाई की पक्षधर हूँ । मकसद है तो सिर्फ एक कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया जगत को इस घुटन भरे माहौल से बाहर लाकर सम्मानित पत्रकार साथियों को सम्मान की पहली पंक्ति में शामिल कर उनके अधिकारों के प्रति संघर्ष का बिगुल बजाकर उन्हें न्याय दिलाना। क्योंकि हर घर की बहन/बेटी ही अपने अहम, ख्वाहिशों का त्याग कर परिवार के मान-सम्मान और स्वाभिमान को हर कीमत पर बचाती है | महिलायें आज हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है|
उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी से लेकर देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इतिहास रचा | देश की बेटी कल्पना चावला ने अन्तरिक्ष में देश का नाम रोशन किया तो वही देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल और वर्तमान में प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल श्रीमती आनन्दी बेन पटेल ने देश की महिलाओं का गौरव बढ़ाया है तो क्या कोई महिला मान्यता प्राप्त एसोसिएशन की अध्यक्ष नही बन सकती | पूरे देश में चल रहे नारी शक्ति सप्ताह के बीच इसी संकल्प के साथ मैंने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करने का साहस जुटाया है। मुझे उम्मीद है कि हमारा बुद्धिजीवी वर्ग अब मौन नही रहेगा | श्रद्वेय वरिष्ठों का आर्शीवाद अनुजों का प्यार और बहनों का सहयोग एक नया इतिहास रचेगा,और पत्रकारिता के स्वस्थ्य मापदण्ड़ों को ध्यान में रखते हुए बिना किसी भेदभाव और गुटबाजी के सभी सम्मानित साथी पहली बार किसी महिला को निर्विरोध अध्यक्ष बनाने की दिशा में अहम् भूमिका निभाकर एक नया आदर्श और इतिहास बनाने की पहल करेंगें। इसी उम्मीद के साथ सादर अभिवादन।
आपके स्नेहिल आर्शीवाद एवं सहयोग की आकांक्षी
अमिता मिश्रा
प्रत्याशी-अध्यक्ष पद
उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति 2021