अंजर पाशा-
क्या Facebook और WhatsApp पर खबरें शेयर और फारवर्ड करना भी अब गुनाह हो गया! अगर यह गुनाह है तो क्या खबरें सच्ची हैं जो बुरा माना जा रहा है और अगर गुनाह नहीं है तो फिर जानलेवा हमला क्यों?
पिछले दिनों शेयर की गई कुछ खबरों से कुछ लोग इतने खफा हुए कि हम पर हमला हो बोल दिया खैर हम तो बाल बाल बच गए।
खबरें समाज का आईना होती हैं जो कुछ समाज में घटित होता है उसी को सामने लाया जाता है! अगर जनता अपना नुमाइंदा चुनती है और वह नुमाइंदा जनता की तस्फ से ही मुंह फेर ले फिर जनता क्या करे? क्या आईने में अपने आमालों का अक्स देखना नागवार गुजर रहा है?