अरनब गोस्वामी की नीचता की कहानी भी जान लीजिए.. Corona की दूसरी लहर जब देश में लाशों का अंबार लगा रहा था, गोस्वामी चैन की बांसुरी बजा रहा था..
इसी साल मई के आखिरी हफ्ते में इसने मुंबई से एचआर की टीम बुला ली.. जिनके पास 18 पन्नों का तालिबानी बॉन्ड और 10-12 पन्नों का indemnity बॉन्ड था… जो स्टाफ आफिस में था उनसे वही जबरदस्ती साइन ले लिए.. जो covid positive या फॅमिली मे कोई और positive था तो उनके घर यमदूत भेजे…
निर्देश साफ़ था.. साइन कीजिए नहीं तो इस्तीफा दीजिए..
इस निष्ठुर आदमी को अच्छे से पता था कि उसने अपने गुलामों को चक्रव्यूह में जकड़ लिया है… लोगों ने मजबूरी में साइन किए क्योंकि कोई भी करोड़पति तो था नहीं.. इससे अरनब के हौसले और बढ़ते चले गए..
हालांकि 2-3 महीने में जब मीडिया के हालात सुधरे तो लोगों ने अंजाम की परवाह ना करते हुए त्यागपत्र इनके मुंह पर मारना शुरू किया.. इसने सोचा पैसा है तो एक जाएगा.. दस आएगा…
लेकिन इसे गहरा सदमा तब लगा जब 20 लोगों को ऑफर लेटर भेजने के बाद एकाध बन्दे ने ज्वाइन किया.. क्योंकि अंदरखाने की टार्चर और गाली गलौज की हकीकत किसी से छिपी नहीं है…
बाकी इनका तालिबानी फरमान इनके भेजे गए नोटिस में है-


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