Rakesh Tripathi : नीचे दो फोटो संलग्न है। पहली फोटो स्वयंभू वरिष्ठ पत्रकार और फिल्मकार अविनाश दास के किए गए ट्वीट का स्क्रीनशॉट है और दूसरी फोटो दैनिक भास्कर अखबार की वेबसाइट पर प्रकाशित खबर का स्क्रीनशॉट है। दोनों स्क्रीनशॉट्स की फोटो ध्यान से देखिए और समझिए कि किस प्रकार से एजेंडा चलाकर चरित्र हनन किया जाता है।
यह महाशय अविनाश दास इसी दैनिक भास्कर अखबार में एक समय में भोपाल में संपादक के तौर पर कार्यरत थे। उस दौर में मैं माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल का विद्यार्थी था। जानबूझकर छापे गए घटिया झूठे समाचार को ट्वीट कर अशोभनीय अमर्यादित शब्दों का प्रयोग भी किया। आप सब बताएं ऐसे घटिया निम्न मानसिकता के व्यक्तियों की क्या दवाई की जाए?
Nitin Thakur : अविनाश दास पर योगी जी के खिलाफ फेक न्यूज़ फैलाने का मुकदमा दायर हुआ है। इस पर फैसला अब कोर्ट में होगा। दूसरा मुकदमा अब सरकार तुरंत बीजेपी आईटी सेल हेड के खिलाफ करे जिसने बहन को गले लगाते नेहरू को बदनाम करने की कोशिश की थी। फेकन्यूज़ की गाज़ गिरे तो अपनों पर भी गिरे योगी जी, विरोधी विचार वालों पर ही क्यों और अगर सीएम के सम्मान को ठेस पहुंची है तो मालवीय ने तो पीएम के सम्मान को आहत किया था। आगे बढ़िए हम आपके साथ हैं।
Avinish Kumar : योगी ने अगर नफ़रत फैलाया है तो इसका मतलब ये नहीं कि आप भी नफ़रत फैलाने लगो। कोई एक रेपिस्ट अगर रेप के बाद किसी कारण से बच जाता है तो ये नहीं कि सारे देश वाले रेप करने लगेंगे, कि हम भी तो बच ही जाएंगे। अविनाश दास कितना बड़ा पत्रकार रहे हैं? मुझे नहीं मालूम, लेकिन उन्होंने जो ट्विट किया था वो गलत था। एक सीनियर पत्रकार नहीं बल्कि ट्रोलर कि भाषा थी। आलोचना होनी चाहिए मगर भाषा की मर्यादा में। बाकी यूपी पुलिस न पहले बदली थी और न अब बदली है। पहले भैंस के पीछे भागती थी और अब गाय के पीछे !
सौजन्य : फेसबुक