योगी राज में रामराज की बात कहने वालों के लिए ये एक टेस्ट केस है. तीन तीन जांच रिपोर्टों को लखनऊ और इलाहाबाद में बैठे बड़े अधिकारी दबाए हुए हैं. नवीनतम जांच रिपोर्ट गाजीपुर जिले के डीएम द्वारा प्रेषित है जिसकी एक प्रति भड़ास के हाथ में है. इस रिपोर्ट के आखिरी पैरा में जिस किस्म की सख्त टिप्पणी डीएम ने की है, उसके बाद तो मरदह में पदस्थ ब्लाक शिक्षा अधिकारी डाक्टर कल्पना को बर्खास्त करने की कार्रवाई शुरू कर देनी चाहिए. लेकिन जिसके सर पर मोटे भ्रष्टाचारियों का हाथ हो, उसका भला बाल बांका कौन कर सकता है.
डाक्टर कल्पना के ड्राइवर ने एक बच्ची से रेप किया. डाक्टर कल्पना ने अपने ड्राइवर को अपना ड्राइवर मानने से इनकार कर दिया. नतीजा हुआ कि दर्जन भर से ज्यादा शिक्षकों पर गाज गिर गई. जबकि हकीकत ये है कि डाक्टर कल्पना का ड्राइवर विशेष कृपा पात्र था और उसके लिए अलग से कमरे की व्यवस्था भी की गई थी.
यही नहीं, अपने खिलाफ आवाज उठाने वाले दो शिक्षकों पर डाक्टर कल्पना ने एससी एसटी एक्ट लगवा दिया. मतलब जिसने डाक्टर कल्पना के खिलाफ मुंह खोला, उसे तरह तरह से प्रताड़ित किया गया.
मजेदार ये है कि मरदह ब्लाक में भ्रष्टाचार का तूफान खड़ा करने वाली डाक्टर कल्पना की नौकरी अभी पक्की नहीं है. वे परिवीक्षाधीन हैं. बावजूद इसके उन्होंने करप्शन का खुला खेल जारी रखा हुआ है. उन्हें तनिक भी आशंका नहीं कि जमकर भ्रष्टाचार करने के बावजूद उनकी नौकरी पर कोई आंच आएगी.
नीचे डीएम गाजीपुर द्वारा विशेष सचिव (बेसिक शिक्षा) को भेजी गोपनीय जांच रिपोर्ट का शुरुआती व आखिरी हिस्सा प्रकाशित किया जा रहा है. आखिरी हिस्से को गौर से पढ़िए और सोचिए, एक ब्लाक स्तर की अधिकारी को हटाने में बड़े बड़ों को पसीने आ रहे हैं. लखनऊ और इलाहाबाद में बैठे बेसिक शिक्षा के अधिकारी मौन हैं. इनके मौन का कारण समझा जा सकता है. आखिर इन्हें भी तो चढ़ावा नीचे के अधिकारी ही चढ़ाते होंगे. सो, जो दोनों हाथों से लूटे और लूट के माल का एक हिस्सा उपर के आकाओं तक पहुंचा दे तो उसकी नौकरी पर भला आंच कैसे आ सकती है….
जारी….
पूरे प्रकरण को समझने के लिए इससे पहले प्रकाशित इन दो खबरों को पढ़ें-