Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

मोदी जी! कब सुनोगे ‘बेरोजगारों’ के मन की बात

बेरोजगारों को रोजगार का सपना दिखाकर भारी बहुमत से सत्ता में आये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अच्छे दिन के वादे शिक्षित बेरोजगारों के लिये शेखचिल्ली के ख्वाब साबित हुए हैं। चपरासी की 5 पास नौकरी के लिये जहां एमबीए, बीटेक, एमटेक, ग्रेजुएट युवा लाइनों में लगे हुए हैं वहीं दूसरी तरफ संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी रिपोर्ट में मोदी सरकार को तो कटघरे में खड़ा ही किया गया है बल्कि भारत में बढ़ती बेरोजगारों की संख्या ने भी भयावह कहानी बयां की है। जो आने वाले दिनों में बड़े विवादों का कारण बन सकती है।

<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-7095147807319647", enable_page_level_ads: true }); </script> <script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <!-- bhadasi style responsive ad unit --> <ins class="adsbygoogle" style="display:block" data-ad-client="ca-pub-7095147807319647" data-ad-slot="8609198217" data-ad-format="auto"></ins> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); </script><p>बेरोजगारों को रोजगार का सपना दिखाकर भारी बहुमत से सत्ता में आये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अच्छे दिन के वादे शिक्षित बेरोजगारों के लिये शेखचिल्ली के ख्वाब साबित हुए हैं। चपरासी की 5 पास नौकरी के लिये जहां एमबीए, बीटेक, एमटेक, ग्रेजुएट युवा लाइनों में लगे हुए हैं वहीं दूसरी तरफ संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी रिपोर्ट में मोदी सरकार को तो कटघरे में खड़ा ही किया गया है बल्कि भारत में बढ़ती बेरोजगारों की संख्या ने भी भयावह कहानी बयां की है। जो आने वाले दिनों में बड़े विवादों का कारण बन सकती है।</p>

बेरोजगारों को रोजगार का सपना दिखाकर भारी बहुमत से सत्ता में आये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अच्छे दिन के वादे शिक्षित बेरोजगारों के लिये शेखचिल्ली के ख्वाब साबित हुए हैं। चपरासी की 5 पास नौकरी के लिये जहां एमबीए, बीटेक, एमटेक, ग्रेजुएट युवा लाइनों में लगे हुए हैं वहीं दूसरी तरफ संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी रिपोर्ट में मोदी सरकार को तो कटघरे में खड़ा ही किया गया है बल्कि भारत में बढ़ती बेरोजगारों की संख्या ने भी भयावह कहानी बयां की है। जो आने वाले दिनों में बड़े विवादों का कारण बन सकती है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

पिछले दिनों मोदी की बीजेपी सरकार को आए तीन साल पूरे हो गए हैं, लेकिन मोदी के वादे अभी भी अधूरे पड़े हैं। मोदी ने सरकार बनने से पहले युवाओं से वादा किया था कि जैसे ही उनकी सरकार आती है, वे सबसे पहले देश के 1 करोड़ युवाओं को नौकरी देने का काम करेंगे, लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद अभी भी देश में करोड़ों की संख्या में युवा बेरोजगार बैठे है। बेरोजगारों का सपना था कि अगर मोदी जी की सरकार बनी तो उनके अच्छे दिन आ जायेंगे और उन्होंने मोदी जी की रैलियांे में तो जय-जयकार की ही बल्कि गांव की गलियों से लेकर महानगरों तक घूम-घूमकर मोदी के पक्ष में जमकर वोटिंग भी कराई। उस समय युवाओं में मोदी के प्रति जो जोश और जुनून था वह सरकार बनने के बाद ठण्डा होता नजर आ रहा है। बल्कि सरकार के प्रति आक्रोश की झलक भी दिखाई दे रही है, जो कभी भी लावा के रूप में उभर सकती है। आखिर हो भी क्यों ना, जब आज तीन साल बाद भी ना तो बेरोजगारों के चेहरों पर चमक दिखाई दे रही है और न ही उनके सपने साकार होते नजर आ रहे हैं।

कहने को तो आजादी के बाद ही रोजगार की गंभीर समस्या रही है लेकिन 1991 से 2013 के बीच भारत में करीब 30 करोड़ लोगों को नौकरी की जरूरत थी. इस दौरान केवल 14 करोड़ लोगों को रोजगार मिल सका। बेरोजगारों की बढ़ती संख्या और उनके आक्रोश को देखते हुए मोदी जी ने अच्छे दिनों का सपना दिखाकर उनका दिल तो जीता ही बल्कि प्रधानमंत्री की कुर्सी भी हासिल कर ली। मोदी सरकार ने युवाओं के सपनों को साकार करने के लिये स्किल इंडिया के तहत 2 अक्टूबर 2016 को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना एक और दो शुरू की। जिसके माध्यम से 2016 से लेकर 2020 तक यानी चार साल में 20 लाख लोगों को ट्रेनिंग दी जानी है, का पूरे देश में संचालन किया जा रहा है। लेकिन यह योजना जमीन पर कम कागजों पर ज्यादा दौड़ रही है। जिसमें एक तरफ सरकार ने हर साल 5 लाख युवाओं को ट्रेनिंग देने का दावा कर रही है वहीं पिछले दिनों आयी एक मीडिया रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि 29 जून 2017 तक प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना दो के तहत एक लाख 70,000 लोगों को ट्रेनिंग दी गई है। जबकि इस योजना के तहत हर साल पांच लाख लोगों को ट्रेनिंग दी जानी थी यानी इस साल यह योजना काफी पीछे चल रही है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

छः जून की प्रेस काॅन्फ्रेंस में कौशल विकास मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कहा था कि जुलाई 2015 में लॉन्च हुई प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना एक के तहत साढ़े छब्बीस लाख लोगों को ट्रेनिंग दी चुकी है, जबकि कौशल विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर लिखा है कि इस योजना के तहत करीब-करीब 20 लाख लोगों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। लेकिन इस रिपोर्ट में मंत्री और मंत्रालय के बयान में साढ़े छह लाख काअंतर साफ नजर आता है। कौशल विकास योजना से जुड़े प्रशिक्षिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता दीपक गोस्वामी कहते हैं कि भारत सरकार प्रशिक्षण के नाम पर एनजीओ को 16 हजार रुपये का भुगतान कर रही है। जिसमें सांसद द्वारा सर्टिफिकेट के माध्यम से बेरोजगारों को शिक्षित करने का दावा किया जा रहा है। जबकि जमीनी धरातल पर इस योजना में बड़े पैमाने पर घोटाला और भ्रष्टाचार हो रहा है। जिससे बेरोजगारों के लिए यह योजना मात्र छलावा साबित हो रही है और एनजीओ मालामाल हो रहे हैं। जबकि भारतीय मजदूर संघ के मुताबिक नोटबंदी की वजह से 20 लाख नौकरियां चली गईं।

एक ओर प्रधानमंत्री मोदी देश और युवाओं की तकदीर बदलने का दावा कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र श्रम संगठन की रिपोर्ट उनके दावांे और भाषणों को ही कटघरे में खड़ा कर रही है। उसकी रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2017 और 2018 के बीच भारत में बेरोजगारी में इजाफा होने के पूरे आसार हैं। नया रोजगार भी पैदा होने में कई अड़चनें आ सकती है। रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि पिछले साल के 1.77 करोड़ बेरोजगारों की तुलना में 2017 में भारत में बेरोजगारों की संख्या 1.78 करोड़ और उसके अगले साल 1.8 करोड़ हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक बेरोजगारी दर और स्तर अल्पकालिक तौर पर उच्च बने रह सकते हैं क्योंकि वैश्विक श्रम बल में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। विशेषकर वैश्विक बेरोजगारी दर में 2016 के 5.7 प्रतिशत की तुलना में 2017 में 5.8 प्रतिशत की मामूली बढ़त की संभावना है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

आईएलओ के महानिदेशक गाइ राइडर के मुताबिक इस वक्त हमलोग वैश्विक अर्थव्यवस्था के कारण उत्पन्न क्षति एवं सामाजिक संकट में सुधार लाने और हर साल श्रम बाजार में आने वाले लाखों नवआगंतुकों के लिए गुणवत्तापूर्ण नौकरियों के निर्माण की दोहरी चुनौती का सामना कर रहे हैं। आईएलओ के वरिष्ठ अर्थशास्त्री और रिपोर्ट के मुख्य लेखक स्टीवेन टॉबिन ने कहा कि उभरते देशों में हर दो कामगारों में से एक जबकि विकासशील देशों में हर पांच में से चार कामगारों को रोजगार की बेहतर स्थितियों की आवश्यकता है।
मोदी सरकार के तीन साल से अधिक के कार्यकाल में तमाम योजनाओं की घोषणाएं की गईं लेकिन जमीनी धरातल पर कोई भी एक योजना साकार रूप लेती नजर नहीं आ रही है। जिसमें उच्च शिक्षित बेरोजगार सफाई कर्मचारी, चपरासी, होमगार्ड, चैकीदार, सिपाही, कांस्टेबल जैसे पदों के लिये आवेदन कर बेरोजगारी का खौफनाक सच उजागर कर रहे हैं।

लेखक मफतलाल अग्रवाल मथुरा के वरिष्ठ पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता हैं। संपर्क : 08865808521 , [email protected]

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement