एमजे अकबर का पाप ज्यादा है या कम यह कैसे तय होगा… या इस्तीफा देना ही हो तो कौन किसे दे? आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा भुज में काम कर रहे थे। उन्होंने 2004 में आर्किटेक्ट मानसी सोनी से एक गार्डन की लैंडस्केपिंग कराई। इस गार्डन का उद्घाटन नरेंद्र मोदी ने किया। इस समारोह के दौरान …
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मोदी ने फिर एक झूठ बोला, सोशल मीडिया पर लोग ले रहे चटखारे
Sanjaya Kumar Singh : सिक्किम हवाई अड्डे के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री का भाषण सुनते हुए मैं भी चौंका था कि चार साल में 35 हवाई अड्डे बने तो उद्घाटन पहली बार क्यों कर रहे हैं और 34 एयरपोर्ट क्या बिना उद्घाटन के चल रहे हैं? यही नहीं, प्रधान सेवक ने बड़ी स्टाइल में …
पत्रकार करन थापर ने सुनाई मोदी जी के पानी मांगने वाली पूरी कहानी
मशहूर एंकर और लेखक करन थापर ने एक बार नरेंद्र मोदी का इतना तगड़ा इंटरव्यू लिया कि मोदी जी पानी मांगने लगे थे। उस वाले किस्से के बारे में करन थापर ने बीबीसी से विस्तार से चर्चा की। नरेंद्र मोदी तब गुजरात के मुख्मंत्री हुआ करते थे. बात वर्ष 2007 की है। करन थापर ने …
तो राहुल गांधी ने ये तय कर लिया है कि अंबानियों की और उनके मीडिया की परवाह नहीं करनी है!
Prashant Tandon : बढ़िया धुलाई के बाद प्रेस भी – पूरा काम किया आज राहुल गांधी ने… राहुल गांधी ने मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर बेहतरीन भाषण दिया. राहुल ने आज वही बोला जो लोग सुनना चाहते थे. देश की तमाम समस्याओं, घटनाओं और सरकार की विफलताओं पर सरकार को जवाबदेह …
राहुल गांधी मोदी के गले मिले या गले पड़े! देखें तस्वीरें
शंभूनाथ शुक्ल : राहुल ने मोदी को गले लगाया अथवा धोबीघाट दाँव का इस्तेमाल किया। पप्पू ने बता दिया कि साठ साल का अनुभव सिखा गया है कि बीजेपी चाहे जितनी फुला जाए, पर रहेगी नीचे ही। राजनीति ऐसे की जाती है प्रधानमंत्री जी! सरकार आपकी, संसद आपकी और स्पीकर भी आपकी पार्टी की ही। …
राहुल गांधी ने सच में भूकंप ला दिया, मोदी के लिए कहा- ये चौकीदार नहीं, भागीदार
Sanjaya Kumar Singh : चौकीदार नहीं, भागीदार… राहुल गांधी ने संसद में प्रधानमंत्री पर सीधा हमला बोला। नोटबंदी और जीएसटी से लेकर बिना एजंडा के चीन जाने और उसे चीन का एजंडा बताने से लेकर रक्षा मंत्री पर भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि फ्रांस के साथ राफेल विमान की कीमत नहीं बताने संबंधी कोई …
चंदा कोचर के घोटाले से तीन ‘नीरव मोदी’ तैयार हो रहे हैं
दीपक कोचर, चंदा कोचर और वेणुगोपाल धूत चल दिए नीरव मोदी की राह पर उन्मेष गुजराथी, दबंग दुनिया मुंबई। आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ चंदा कोचर के घोटाले से तीन ‘नीरव मोदी’ तैयार हो रहे हैं। चंदा कोचर पर आरोप है कि उन्होंने बैंकों के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अपने पति के दोस्त वीडियोकॉन के …
नाकामी छुपाने के लिए 2019 चुनाव में राम मंदिर कार्ड खेलेगी भाजपा
राम मंदिर मुद्दे पर मोदी की गंभीरता को समझने में भारी भूल कर रहा मीडिया! 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद से मीडिया में राम मंदिर पर चर्चा होती रही है। यूपी में बीजेपी की भारी जीत के बाद ये चर्चा आम हो गई है। अक्सर टीवी स्टूडियो में बैठे एंकर, पत्रकार, मुस्लिम धर्मगुरू, बुद्धिजीवी जब खुले तौर पर मंदिर कब बनेगा या निर्माण की तारीख बताने जैसे असहज सवालों पर सरकार के प्रवक्ताओ को घेरने की कोशिश करते हैं तो शायद इन सभी महानुभावों को ये समझ मे नहीं आता कि अगर वाकई में इन्हें तारीख बता दी गयी तो इन्हें न्यूज़रूम से सीधे आईसीयू में भर्ती कराना पड़ेगा।
जयंत सिन्हा, ईबे, पियरे ओमिडयार, नरेंद्र मोदी और बाहरी पूंजी का भारतीय चुनाव में खुला खेल!
ओमिडयार नेटवर्क को लेकर पांडो डॉट कॉम पर प्रकाशित खबर के जयंत सिन्हा वाले हिस्से का पूरा हिंदी अनुवाद वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक संजय कुमार सिंह के सौजन्य से पढ़ें…
केंद्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद pando.com पर Mark Ames ने 26 मई 2014 को लिखा था- “भारत में चुनाव के बाद एक कट्टरपंथी हिन्दू सुपरमैसिस्ट (हिन्दुत्व की सर्वोच्चता चाहने वाले) जिसका नाम नरेन्द्र मोदी है, को सत्ता मिल गई है। इसके साथ ही व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जय कारने (यहां भी जय) ने कहा है कि ओबामा प्रशासन एक ऐसे व्यक्ति के साथ “मिलकर काम करने का इंतजार कर रहा है” जो अल्पसंख्यक मुसलमानों (और अल्पसंख्यक ईसाइयों) के घिनौने जनसंहार में भूमिका के लिए 2005 से अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट (विदेश विभाग) के वीजा ब्लैकलिस्ट में है।
2019 के अंत तक बंद होंगे 90% छोटे और मध्यम अखबार बंद हो जाएंगे!
आज़ादी के 70 साल बाद अभी वर्तमान का यह समय छोटे और मध्यम अखबारो के लिए सबसे कठिन है। यदि सरकार के DAVP पॉलिसी को देखा जाय तो लघु समचार पत्रों को न्यूनतम १५ प्रतिशत रुपये के रूप में तथा मध्यम समाचार पत्रों को न्यूनतम ३५ प्रतिशत रुपये के रूप में विज्ञापन देने का निर्देश है। गौरतलब है कि भारत विविधताओं का देश है यहां विभिन्न भाषाएं हैं। ग्रामीण तथा कस्बाई इलाकों में भिन्न-भिन्न प्रकार के लोग रहते हैं। बड़े अखबार समूह की पहुंच वहां तक नहीं है। यदि विज्ञापन के आवंटन में भाषा और मूल्य वर्ग का ध्यान नहीं रखा गया तो निश्चित ही उस विज्ञापन की पहुंच विस्तृत तथा व्यापक नहीं होगी और विज्ञापन में वर्णित संदेश का प्रसार पूरे देश के समस्त क्षेत्रों तक नहीं हो पायेगा। पूर्व मंत्री द्वारा राज्यसभा में एक प्रश्र के उत्तर में नीति के पालन की बात कही गयी थी। परन्तु आज वह बयान झूठ साबित हो रहा है।
मोदी पर मिमिक्री दिखाने में क्यों फटती है टीवी चैनलों की?
वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्त ने प्रेस क्लब आफ इंडिया में पत्रकार विनोद वर्मा की छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा की गई अवैधानिक गिरफ्तारी के खिलाफ बोलते हुए खुलासा किया कि टीवी चैनलों पर मोदी की मिमिक्री दिखाने पर पाबंदी है. इस वीडियो को सुनिए विस्तार से, जानिए पूरा प्रकरण क्या है… इसे भी देख सकते हैं>>
चार महीने पहले रेल टिकट कटाने वाले इंजीनियर का दिवाली पर घर जाने का सपना ‘वेटिंग’ ही रह गया!
Yashwant Singh : हरिद्वार में कार्यरत इंजीनियर गौरव जून महीने में तीन टिकट कटाए थे, दिल्ली से सहरसा जाने के लिए, अपनी बहनों के साथ। ट्रेन आज है लेकिन टिकट वेटिंग ही रह गया। चार्ट प्रीपेयर्ड। लास्ट मोमेंट में मुझे इत्तिला किया, सो हाथ पांव मारने के बावजूद कुछ कर न पाया। दिवाली अपने होम टाउन में मनाने की उनकी ख्वाहिश धरी रह गई। दिवाली के दिन अपने जिला-जवार में होने की चार महीने पहले से की गई तैयारी काम न आई।
मोदी को भगवान न बनाओ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर मंदिर बनाने की घोषणा क्रांति की जमीन मेरठ में एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने की है। सिचाई विभाग से रिटायर इंजीनियर जेपी सिंह की माने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू लोगों के सिर पर चढ़कर बोल रहा है। ऐसे में उनके नाम का मंदिर बनना चाहिए। ऊपरी तौर पर देखा जाए तो इस ऐलान के पीछे किसी की व्यक्तिगत इच्छा और भावना ही दिखाई देती है। पर रिटायर इंजीनियर की घोषणा एक लोकतांत्रिक देश में किसी नेता को भगवान बनाने की कोशिश भी दिखाई देती है। मामले को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जा सकता।
अमित शाह की ओर से पीयूष गोयल ने ‘द वायर’ पर 100 करोड़ का आपराधिक मुकदमा ठोकने की बात कही
‘द वायर’ की पड़ताल ने कांग्रेस से लेकर बीजेपी तक को हिला दिया है
Nitin Thakur : अमित शाह के बेटे की कमाई का हिसाब किताब जान लीजिए। जब आपकी नौकरियां जा रही थीं, तब कोई घाटे से 16 हज़ार गुना मुनाफे में जा रहा था। द वायर की पड़ताल ने कांग्रेस से लेकर बीजेपी तक को हिला दिया है।
‘भक्तों’ से जान का खतरा बताते हुए पीएम को लिखा गया रवीश कुमार का पत्र फेसबुक पर हुआ वायरल, आप भी पढ़ें
Ravish Kumar : भारत के प्रधानमंत्री को मेरा पत्र…
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी,
आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि आप सकुशल होंगे। मैं हमेशा आपके स्वास्थ्य की मंगल कामना करता हूं। आप असीम ऊर्जा के धनी बने रहें, इसकी दुआ करता हूं। पत्र का प्रयोजन सीमित है। विदित है कि सोशल मीडिया के मंचों पर भाषाई शालीनता कुचली जा रही है। इसमें आपके नेतृत्व में चलने वाले संगठन के सदस्यों, समर्थकों के अलावा विरोधियों के संगठन और सदस्य भी शामिल हैं। इस विचलन और पतन में शामिल लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।
क्या वाकई नरेंद्र मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है?
Dilip Khan : हार्ड वर्क वाले अर्थशास्त्री मोदी जी जब सत्ता में आए तो इन्होंने आर्थिक सलाह परिषद को ख़त्म कर दिया। जब अर्थव्यवस्था की बैंड बजने लगी तो दो दिन पहले यूटर्न लेते हुए परिषद को फिर से बहाल कर दिया। अर्थशास्त्री नरेन्द्र मोदी ने आंकड़ों को ‘खुशनुमा’ बनाने के लिए GDP गणना के पुराने नियम ही ख़त्म कर दिए। लेकिन गणना के नए नियमों के मुताबिक़ भी GDP दर तीन साल के न्यूनतम पर आ गई है। पुराना नियम लागू करे तो 3% का आंकड़ा रह जाता है।
मोदी राज में भी महंगाई डायन बनी हुई है!
अजय कुमार, लखनऊ
2014 के लोकसभा चुनाव समय बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी ने तत्कालीन यूपीए की मनमोहन सरकार के खिलाफ मंहगाई को बड़ा मुद्दा बनाया था। चुनाव प्रचार के दौरान सबसे पहले हिमाचल प्रदेश की रैली में महंगाई का मुद्दा छेड़कर मोदी ने आम जनता की नब्ज टटोली थी। मंहगाई की मार झेल रही जनता को मोदी ने महंगाई के मोर्चे पर अच्छे दिन लाने का भरोसा दिलाया तो मतदाताओे ने मोदी की झोली वोटों से भर दी। आम चुनाव में दस वर्ष पुरानी यूपीए सरकार को जड़ से उखाड़ फेंकने में मंहगाई फैक्टर सबसे मोदी का सबसे कारगर ‘हथियार’ साबित हुआ था, लेकिन आज करीब साढ़े तीन वर्षो के बाद भी मंहगाई डायन ही बनी हुई है।
रिजर्व बैंक के आंकड़े दे रहे गवाही, कालाधन रखना अब ज्यादा आसान हुआ!
Anil Singh : 2000 के नोट 1000 पर भारी, कालाधन रखना आसान! आम धारणा है कि बड़े नोटों में कालाधन रखा जाता है। मोदी सरकार ने इसी तर्क के दम पर 1000 और 500 के पुराने नोट खत्म किए थे। अब रिजर्व बैंक का आंकड़ा कहता है कि मार्च 2017 तक सिस्टम में 2000 रुपए के नोटों में रखे धन की मात्रा 6,57,100 करोड़ रुपए है, जबकि नोटबंदी से पहले 1000 रुपए के नोटों में रखे धन की मात्रा इससे 24,500 करोड़ रुपए कम 6,32,600 करोड़ रुपए थी।
मोदी और जेटली के ‘कुशल’ नेतृत्व के कारण विनिर्माण क्षेत्र भयंकर मंदी का शिकार!
Ashwini Kumar Srivastava : आठ साल पहले…यानी जब दुनियाभर में मंदी के कारण आर्थिक तबाही मची थी और भारत भी मनमोहन सिंह के नेतृत्व में वैश्विक मंदी से जूझ रहा था… हालांकि उस मंदी में कई देश रसातल में पहुंच गए थे लेकिन भारत बड़ी मजबूती से न सिर्फ बाहर आया था बल्कि दुनिया की …
मोदी जी! कब सुनोगे ‘बेरोजगारों’ के मन की बात
बेरोजगारों को रोजगार का सपना दिखाकर भारी बहुमत से सत्ता में आये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अच्छे दिन के वादे शिक्षित बेरोजगारों के लिये शेखचिल्ली के ख्वाब साबित हुए हैं। चपरासी की 5 पास नौकरी के लिये जहां एमबीए, बीटेक, एमटेक, ग्रेजुएट युवा लाइनों में लगे हुए हैं वहीं दूसरी तरफ संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी रिपोर्ट में मोदी सरकार को तो कटघरे में खड़ा ही किया गया है बल्कि भारत में बढ़ती बेरोजगारों की संख्या ने भी भयावह कहानी बयां की है। जो आने वाले दिनों में बड़े विवादों का कारण बन सकती है।
2019 में मोदी के लिए असली सिरदर्द केजरीवाल बनेंगे!
Vikram Singh Chauhan : अरविंद केजरीवाल बहुत बहादुर है, शेर हैं। वे मोदी के सामने झुके नहीं। दिल्ली में रहकर मोदी के 56 इंच के सीने पर मूंग दल रहे हैं। मोदी जहाँ गए वहां जाकर चुनाव लड़ने की चुनौती दी और बिना पहले के जनाधार और संगठन के चुनाव लड़कर मोदी का होश उड़ा दिया, हिंदुत्व ने उसे हरा दिया। वे भारत के एक अकेले ऐसे मुख्यमंत्री होंगे जिसके साथ वर्तमान ने अन्याय किया पर इतिहास न्याय करेगा। मीडिया पहले दिन से उनकी सुपारी ली हुई है।
रामबहादुर राय ने मोदी पर जो कटाक्ष किया है वह विपक्ष आलोचना के 10 संस्करण लिख कर भी नहीं कर सकता!
मैंने राम बहादुर राय के साथ काफी लंबा वक्त बिताया है। वे जनसत्ता में हमारे वरिष्ठ थे और ब्यूरो चीफ भी थे। कुछ लोग कहते थे कि उनके तार संघ के साथ जुड़े हुए हैं। वे आपातकाल की घोषणा होने के बाद मीसा के तहत गिरफ्तार होने वाले पहले व्यक्ति बताए जाते हैं। संघ के लिए उन्होंने उत्तर पूर्व में काफी काम किया और पत्रकारिता में काफी देर से संभवतः 1980 के दशक में आए। इसके बावजूद उनका समाजवादियों के साथ घनिष्ठ संबंध रहा।
मुकेश अंबानी ने अपनी मैग्जीन ‘फोर्ब्स इंडिया’ के जरिए कह दिया- ”मोदी पर भारत की 73% जनता भरोसा करती है”
Dilip Mandal : देश के हर अख़बार और वेबसाइट ने छापा, हर चैनल ने दिखाया कि नरेंद्र मोदी पर भारत की 73% जनता भरोसा करती है। नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे लोकप्रिय राजनेता है। यह ‘खबर’ चूंकि हर जगह छपी और हर चैनल ने दिखाई, जिनमें मोदीभक्त और तथाकथित प्रगतिशील चैनल और साइट भी हैं, तो आपके लिए भी शक करने का कोई कारण नहीं रहा होगा. हर कोई बोल और दिखा रहा है, तो शक कौन करता है? अब आइए इस ख़बर का एक्सरे निकालते हैं।
हिंदू और यहूदी सभ्यताओं ने अपने काम से काम रखने की बहुत कीमत चुकाई है!
Rajeev Mishra : प्रधानमंत्री की इजराइल यात्रा एक सरकारी दौरा नहीं है…एक राष्ट्र प्रमुख की दूसरे राष्ट्राध्यक्ष से मुलाक़ात भर नहीं है…यह दो प्राचीन सभ्यताओं का मिलन है… दो सभ्यताएं जिनमें बहुत कुछ कॉमन है…एक समय, इस्लाम की आपदा से पहले दोनों की सीमाएं मिलती थीं, पर दोनों में किसी तरह के टकराव की कहानी हमने नहीं सुनी. दोनों में से किसी को भी किसी और को अपने धर्म में शामिल करने की, अपने धर्म प्रचार की, मार्केटिंग की खुजली नहीं थी…
पुण्य प्रसून बाजपेयी का सवाल- कोई भारतीय प्रधानमंत्री इससे पहले इजराइल जाने की हिम्मत क्यों नहीं दिखा पाया?
नजदीक होकर भी दूर क्यों रहा इजरायल… दो बरस पहले राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी इजरायल के एयरपोर्ट पर उतरे जरुर लेकिन पहले फिलीस्तीन गए फिर इजरायल दौरे पर गये। पिछले बरस जनवरी में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज फिर पहले फिलिस्तीन गईं उसके बाद इजरायल गईं। लेकिन पीएम मोदी तो तीन दिन इजरायल में ही गुजारेंगे। तो क्या प्रधानमंत्री इजराइल को लेकर संबंधों की नयी इबारत लिखने जा रहे हैं और भारत के उस एतिहासिक रुख को हमेशा के लिए खत्म कर रहे हैं, जिसकी छांव में गांधी से लेकर नेहरु तक की सोच अलग रही। महात्मा गांधी ने 26 नवंबर 1938 को हरिजन पत्रिका में कई यहूदियों को अपना दोस्त बताते हुए लिखा, “यहूदियों के लिए धर्म के आधार पर अलग देश की मांग मुझे ज्यादा अपील नहीं करती। फिलीस्तीन अरबों का है, जिस तरह इंग्लैंड ब्रिटिश का और फ्रांस फ्रेंच लोगों का है और अरबों पर यहूदियों को थोपना गलत और अमानवीय है”।
नोटबंदी, कैसलेश जैसी तमाम नादानियों के बाद भी नरेंद्र मोदी लोगों के दुलारे क्यों बने हुए हैं?
जिस दौर में राजनीति और राजनेताओं के प्रति अनास्था अपने चरम पर हो, उसमें नरेंद्र मोदी का उदय हमें आश्वस्त करता है। नोटबंदी, कैसलेश जैसी तमाम नादानियों के बाद भी नरेंद्र मोदी लोगों के दुलारे बने हुए हैं, तो यह मामला गंभीर हो जाता है। आखिर वे क्या कारण हैं जिसके चलते नरेंद्र मोदी अपनी सत्ता के तीन साल पूरे करने के बाद भी लोकप्रियता के चरम पर हैं। उनका जादू चुनाव दर चुनाव जारी है और वे हैं कि देश-विदेश को मथे जा रहे हैं। इस मंथन से कितना विष और कितना अमृत निकलेगा यह तो वक्त बताएगा, पर यह कहने में संकोच नहीं करना चाहिए वे उम्मीदों को जगाने वाले नेता साबित हुए हैं।
नरेंद्र मोदी कहीं भाजपा के बहादुर शाह जफर यानी अंतिम प्रधानमंत्री तो नहीं साबित होने जा रहे हैं!
Ashwini Kumar Srivastava : देश के तकरीबन हर हिस्से से आ रहीं अराजकता की खबरें अब लोगों के जेहन में यह सवाल उठाने लग गई हैं कि नरेंद्र मोदी कहीं भाजपा के बहादुर शाह जफर यानी अंतिम प्रधानमंत्री तो नहीं साबित होने वाले हैं… जिन्हें इतिहास का ज्ञान होगा, वह जानते होंगे कि साढ़े तीन सौ बरस तक समूचे हिंदुस्तान पर हुकूमत करने वाले मुगल साम्राज्य के अंतिम सम्राट बहादुर शाह जफर के समय में पूरा देश तो बहुत दूर की बात थी, दिल्ली और उसके आसपास ही मुगलिया कानून को मानने वाले नहीं रह गए थे…
पेट्रोल-डीजल को जीएसटी से बाहर रखने की मोदी की दोगली नीति पर भाजपाई चुप क्यों हैं?
Yashwant Singh : ये तो सरासर मोदी की दोगली नीती है. देश को एक कर ढांचे में लाने की वकालत करने वाले मोदी आखिर पेट्रोल डीजल को जीएसटी से क्यों बाहर रखे हुए हैं. ये तर्क बेमानी है कि राज्य सरकारें पेट्रोल-डीजल से भारी टैक्स से काफी पैसा पाती हैं, जिसे वह खोना नहीं चाहतीं.
उप्र के दलित नेता को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर मोदी ने सबको चौंकाया
शायद यही राजनीति की नरेंद्र मोदी शैली है। राष्ट्रपति पद के लिए अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाले श्री रामनाथ कोविंद का चयन कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर बता दिया है कि जहां के कयास लगाने भी मुश्किल हों, वे वहां से भी उम्मीदवार खोज लाते हैं। बिहार के राज्यपाल और अरसे से भाजपा-संघ की राजनीति में सक्रिय रामनाथ कोविंद पार्टी के उन कार्यकर्ताओं में हैं, जिन्होंने खामोशी से काम किया है। यानि जड़ों से जुड़ा एक ऐसा नेता जिसके आसपास चमक-दमक नहीं है, पर पार्टी के अंतरंग में वे सम्मानित व्यक्ति हैं। यहीं नरेंद्र मोदी एक कार्यकर्ता का सम्मान सुरक्षित करते हुए दिखते हैं।
रजत शर्मा, रोहित सरदाना, सुधीर चौधरी, अर्णब गोस्वामी, गौरव सावंत ने उस ‘एकपक्षीय’ मीडिया को ‘बहु-पक्षीय’ बनाया!
Abhinav Shankar : आज जब मोदी सरकार के तीन साल पूरे हुए हैं तो इन तीन सालों में हुए बदलावों पर स्वाभाविक रूप से पूरे देश में चर्चाओं का एक दौर चला है। जाहिर है कई विषयों पर चर्चा होगी। सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सामरिक, रणनीतिक। मैं आज इन विषयों पर बात नहीं करना चाहता। इसके कई कारण हैं। पहला तो ये कि मैं अक्सर इन क्षेत्रों में हो रहे बदलावों पर ब्लॉग वगैरह पर लिखता रहा हूँ। दूसरा, आज इन चीजों पर पहले ही टनों स्याही बहाई जा चुकी होगी और तीसरा जिस विषय पर में बात करना चाहता हूं वो आज शर्तिया नहीं हुई होगी या हुई भी होगी तो उस परिप्रेक्ष्य में नहीं हुई होंगी जिस परिपेक्ष्य में होनी चाहिए।
मौकापरस्त शायर मुनव्वर राणा मिल आए प्रधानमंत्री मोदी से!
Nadeem : तो हारो न खुद को तुम… आज एक नामचीन शायर ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की। प्रधानमंत्री से मुलाक़ात में कोई बुराई नहीं, बस उनकी मुलाकात इस लिये थोड़ा खटकी कि बिहार चुनाव के मौके पर उन्हें सबने टीवी के पर्दे पर देश में बढ़ती अहिष्णुता पर फूट फूट कर रोते देखा था। वह जेब में अपना पुरस्कार और पुरस्कार की राशि लेकर आये थे और उसे टीवी चैनल के जरिये वापस कर गए थे। सुना आज जब वो मोदी जी से मिले तो उनके कंधे पर सर रख कर खूब फफक फफक के रोये गोया बचपन के बिछड़े भाई मिले हों।
किसानों की वायरल हुई ये दो तस्वीरें ‘मोदी गान’ में रत टीवी और अखबार वालों को न दिखेंगी न छपेंगी
Mahendra Mishra : ये तमिलनाडु के किसान हैं। दक्षिण भारत से दिल्ली पीएम मोदी के सामने अपनी फरियाद लेकर आये हैं। इनमें ज्यादातर के हाथों में ख़ुदकुशी कर चुके किसानों की खोपड़ियां हैं। बाकी ने हाथ में भीख का कटोरा ले रखा है। पुरुष नंगे बदन हैं और महिलाओं ने केवल पेटीकोट पहना हुआ है। इसके जरिये ये अपनी माली हालत बयान करना चाहते हैं। इन किसानों के इलाकों में 140 वर्षों बाद सबसे बड़ा सूखा पड़ा है।
सारे न्यूज़ चैनल भाजपा के जरखरीद गुलाम बन गए हैं!
Dayanand Pandey : कि पेड न्यूज़ भी शरमा जाए…. आज का दिन न्यूज़ चैनलों के लिए जैसे काला दिन है, कलंक का दिन है। होली के बहाने जिस तरह हर चैनल पर मनोज तिवारी और रवि किशन की गायकी और अभिनय के बहाने मोदियाना माहौल बना रखा है, वह बहुत ही शर्मनाक है। राजू श्रीवास्तव, सुनील पाल आदि की घटिया कामेडी, कुमार विश्वास की स्तरहीन कविताओं के मार्फ़त जिस तरह कांग्रेस आदि पार्टियों पर तंज इतना घटिया रहा कि अब क्या कहें।
सच ये है कि मोदी अब एक ब्रैंड में बदल गए हैं : राणा यशवंत
उत्तर प्रदेश से जो जनादेश है उसका चाहे जितना पोस्टमार्टम कर लें, खुद बीजेपी के लिये भी ये समझ पाना मुश्किल है कि ऐसा हुआ कैसे! लेकिन सुनामी आई और इसने कई जकड़बंदियों, राजनीतिक रिवाजों, फरेब के हवाईकिलों और बेहूदगियों-बदज़ुबानियों को ध्वस्त कर दिया. सामाजिक न्याय के नाम पर जातियों को अपनी जागीर बनानेवाले नेताओं …
राहुल गांधी की ‘पप्पू’ छवि बनाने वाली भाषण कला के माहिर खिलाड़ी हैं मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में कभी मजाकिया लहजे में तो कभी आक्रामक अंदाज में राहुल गांधी को हमेशा निशाने पर रखते हैं। दरअसल, राहुल गांधी के मामले में अपने भाषणों में मोदी इन दिनों बहुत आक्रामक दिख रहे हैं। मतलब साफ है कि माफ करना उनकी फितरत में नहीं है। और बात जब कांग्रेस और राहुल गांधी की हो, तो वे कुछ ज्यादा ही सख्त हो जाते हैं।
राजनीतिक दलों के खाते में पड़े काले धन का क्या कर रहे हैं प्रधानमंत्री जी!
यह देश का दुर्भाग्य ही है कि काले धन के लिए सड़क से लेकर संसद तक बवाल काटने वाले राजनीतिक दलों के खाते में पड़े काले धन का कुछ बिगड़ता नहीं दिख रहा है। सरकार हर जगह बिना हिसाब-किताब वाले धन पर जुर्माना लगाने की बात कर रही है पर राजनीतिक दलों के खाते में 500 और 1, 000 रुपये के पुराने नोटों में जमा राशि पर आयकर नहीं लगाएगी। इसका मतलब है कि आप किसी भी नाम से राजनीतिक दल का रजिस्ट्रेसन करा लीजिये और फिर इसके खाते में चाहे कितना काला धन दाल दीजिए। कोई पूछने वाला नहीं है। देश में हजारों राजनीतिक दल हैं। कितने दल चुनाव लड़ते हैं, बस नाम मात्र के। अधिकतर दल तो काले धन का सफेद करने तक सीमित हैं। ऐसा नहीं कि चुनाव लड़ने वाले दलों के खाते में काला धन नहीं हैं। आज की तारीख में तो राजनीतिक दलों के खाते में अधिकतर धन तो काला ही है। चाहे किसी कारपोरेट घराने ने दिया हो या फिर किसी प्रॉपर्टी डीलर ने या फिर किसी अधिकारी ने। यही हाल देश में कुकुरमुत्तों की तरह खुले पड़े एनजीओ का है।
मोदी जी, आप 8 नवम्बर को सही थे या अब 29 नवम्बर को?
कालेधन के रद्दी कागज को नोटों के रूप में फिर जिंदा क्यों किया… प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी आपने कालेधन के खिलाफ जो सर्जिकल स्ट्राइक की उसे देश की अधिकांश जनता ने तमाम दिक्कतों के बावजूद सराहा। 8 नवम्बर को रात 8 बजे आपने देश के नाम अपने संदेश में नोटबंदी की घोषणा करते हुए कहा कि आज आधी रात यानि 12 बजे के बाद 1000 और 500 रुपए के चल रहे नोट अवैध हो जाएंगे। इससे ईमानदार जनता, कारोबारी, करदाता, गृहणियां कतई न घबराए और वे अपने पुराने नोट दो दिन बाद से 30 दिसम्बर तक बैंकों और डाक घरों में जाकर जमा कर दें और बदले में 500 और 2000 के नए नोट पा लें।
प्रचार-प्रशंसा के भूखे मोदी ने ढाई साल में 1100 करोड़ रुपये विज्ञापनों पर फूंक डाला
केंद्र सरकार ने पिछले ढाई साल के कार्यकाल में पीएम मोदी पर केंद्रित विज्ञापनों पर 1100 करोड़ रुपए ख़र्च किए हैं. आरटीआई कार्यकर्ता रामवीर सिंह के सवालों पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने यह जानकारी दी है. यह खर्च एक जून 2014 से 31 अगस्त 2016 के बीच किया गया. हिसाब लगाया जाए तो इसका मतलब है कि सिर्फ विज्ञापनों पर सरकार ने 1.4 करोड़ रूपए रोज़ाना खर्च किए हैं. देखा जाए तो यह भारत के मंगल अभियान मंगल यान के खर्च से दोगुना है. इसे दुनिया का सबसे कम खर्चीला अंतरग्रहीय अभियान माना जाता है, जिसकी कीमत सिर्फ 450 करोड़ रुपए है.
सहारा-बिड़ला से मोदी द्वारा घूस लेने के मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार
नई दिल्ली : सहारा और बिड़ला से नरेन्द्र मोदी द्वारा घूस लिए जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. इस मामले में अगली सुनवाई शुक्रवार को है. सहारा और बिड़ला ग्रुप की ओर से राजनेताओं को फंड देने के आरोप की याचिका सुनने के लिए सुप्रीम कोर्ट का तैयार हो जाना एक बड़ा घटनाक्रम है. दरअसल इन दो बड़ी कंपनियों पर पड़े छापों में बरामद दस्तावेजों की जांच के लिए गैर-सरकारी संगठन कॉमन कॉज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
पीएम मोदी ने सीएम रहते सहारा समूह और बिड़ला ग्रुप से रिश्वत लिया! (देखें दस्तावेज)
सहारा और बिड़ला द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को 55 करोड़ रिश्वत देने की संपूर्ण कथा
प्रधानमंत्री मोदी जब 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने की देश को सूचना दे रहे थे, उससे बहुत पहले सु्प्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण देश की प्रमुख आधा दर्जन से अधिक सरकारी जांच एजेंसियों को लिखकर बता चुके थे कि न सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी ने बल्कि देश के अन्य तीन और मुख्यमंत्रियों ने करोड़ों का कैश उद्योगपतियों से वसूला है… प्रशांत भूषण ने जिन एजेंसियों को डाक्यूमेंट्स भेजे हैं, उनमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा कालेधन को लेकर बनाई गई दो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम, निदेशक सीबीआई, निदेशक ईडी, निदेशक सीबीडीटी और निदेशक सीवीसी शामिल हैं…
मोदी के ‘जय श्री राम’ कहने का रवीश वैसे ही मज़ाक उड़ाएंगे जैसे वरुण गांधी का मज़ाक बनाया था?
Abhishek Srivastava : हां जी, तो दशहरा बीत गया। एक झंझट खत्म हुआ। आइए अब मुहर्रम मनाते हैं, कि दुनिया के सबसे बड़े संसदीय लोकतंत्र के सबसे ऊंचे संवैधानिक पद पर बैठे शख्स ने त्योहार के बहाने पांच बार ”जय श्रीराम” का नारा लगाया और यह कह कर कि आवाज़ दूर तक पहुंचनी चाहिए, जनता को भी ललकार दिया। ‘अपने’ रवीश कुमार कहां हैं भाई? जब प्रधानजी नारा लगा रहे थे, तब मैं सोच रहा था कि क्या रवीश कुमार अपने प्राइम टाइम में वैसे ही उनका मज़ाक उड़ाएंगे जैसे 2009 में पीलीभीत में वरुण गांधी द्वारा चुनावी रैली में यह नारा लगाने पर उन्होंने उनका मज़ाक बनाया था?
मोदी को मैदान में उतार बीजेपी ने जो रामबाण चलाया वह कितना कारगर साबित होगा
पिछले कुछ हफ़्तों में केंद्र सरकार की कई मोर्चों पर किरकिरी हुई है. पहला मामला बीजेपी की आतंरिक कलह से जुड़ा है. सुब्रमण्यम स्वामी ने अरुण जेटली पर अप्रत्यक्ष रूप से हमले किये हैं. रघुराम राजन से लेकर वित्त मंत्रालय से जुड़े अन्य अधिकारियों तक उनके लगातार हमले बीजेपी को परेशान किये हुए हैं. मीडिया में इस मामले को जोरशोर से उछाला गया है. बीजेपी बैकफुट पर है. दूसरा मामला है भारत की अंतर्राष्ट्रीय नीति से संबंधित. भारत को NSG की सदस्यता की कितनी आवश्यकता थी, थी भी कि नहीं, ये शायद हम अच्छे से नहीं जानते, पर ये अवश्य जानते हैं कि चीन ने हमारा खेल बिगाड़ दिया. यहाँ भी भारत सरकार की किरकिरी हुई. नरेन्द्र मोदी की एग्रेसिव अंतर्राष्ट्रीय छवि को धक्का पहुंचा है.
पूंजीपतियों पर रहम, मध्यवर्ग पर सितम, ए मोदिया ये जुल्म न कर…
Yashwant Singh : आज गुस्सा आ रहा है। टैक्स टैक्स टैक्स। रेल टिकट ऑनलाइन बुक करने पर। बैंक में अकाउंट रखने पर। अकाउंट में पैसा कम रखने पर। रेस्टोरेंट में खाने पर। गूगल से पैसा कमाने पर। सर्वर की सेवा लेने पर। तीर्थ यात्रा के लिए जाने पर। UFFFFFFFF…..
मोदी सरकार पहली ऐसी सरकार है जो विपक्ष के विरोध की दशा-दिशा तय कर देती है!
Ajay Prakash : भाजपा सरकार के दो साल पूरे होने पर खूब आकलन हो रहा है। होना भी चाहिए। पर लोकतंत्र में बिना विपक्ष के क्या आकलन। इसलिए देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस की भी इन दो वर्षों में बनी भूमिका का विश्लेषण होना चाहिए। मैं पहले भी कहता रहा हूं और फिर कह रहा हूं कि संसद में भारी बहुमत वाली मोदी सरकार देश की पहली सरकार है जो विपक्ष के विरोध को तय करती है। लगभग डिक्टेट करती है। विपक्षी क्या विरोध करेंगे, कैसा विरोध करेंगे और कितना करेंगे, इसकी दिशा संघ और सरकार तय करती है। समझने के लिए लव जेहाद से लेकर देशद्रोह तक के मसले को आप याद कर सकते हैं।
मोदी जी के पास डिग्री है तो सत्यमेव जयते के साथ ट्वीट क्यों नहीं कर दे रहे?
Sanjaya Kumar Singh : मोदी जी के पास डिग्री है तो सत्यमेव जयते के साथ ट्वीट क्यों नहीं कर दे रहे हैं। और नहीं कर रहे हैं तो भक्तों ने जैसे कन्हैया को नेता बनाया वैसे ही अरविन्द केजरीवाल की पार्टी को पंजाब चुनाव जीतने का मौका क्यों दे रहे हैं। भक्तों के उछलकूद का लाभ अरविन्द केजरीवाल को मिल रहा है। अलमारी में रखी डिग्री अंडा-बच्चा तो देती नहीं। ना बीमार होकर अस्पताल जाती है। आमलोगों की डिग्री तो पत्नी कहीं रख देगी, चूल्हा जला चुकी होगी या बच्चों के टिफिन पैक करके दे देगी। मोदी जी के साथ तो ये सब लफड़ा भी नहीं है। फिर इतनी देर?
देश भक्त मोदी के कारिंदो का काला चिट्ठा आरटीआई के जरिए हुआ उजागर
Vishwanath Chaturvedi : देश भक्त मोदी के कारिंदो का काला चिट्ठा जानिये…. पूँजीपतियों की किस किस कम्पनी ने लगाया चूना, देश और देशभक्ति के नाम पर : आर टी आई से हुआ खुलासा… आप एक विजय माल्या की बात करते हैं.. मैं आपको बता दूँ अभी हाल में एक आरटीआई आवेदन के ज़रिये इस बात का खुलासा हुआ कि 2013 से 2015 के बीच देश के सरकारी बैंकों ने एक लाख 14 हज़ार करोड़ रुपये के कर्जे माफ़ कर दिये। इनमें से 95 प्रतिशत कर्जे बड़े और मझोले उद्योगों के करोड़पति मालिकों को दिये गये थे। यह रकम कितनी बड़ी है इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि अगर ये सारे कर्ज़दार अपना कर्ज़ा लौटा देते तो 2015 में देश में रक्षा, शिक्षा, हाईवे और स्वास्थ्य पर खर्च हुई पूरी राशि का खर्च इसी से निकल आती।
चीन के दबाव में झुकी 56 इंच के सीने वाली सरकार!
Priyabhanshu Ranjan : तो क्या वाकई चीन के दबाव में झुक गई 56 इंच के सीने वाली मोदी सरकार? पिछले दिनों खबर आई कि UN में आतंकवादी मसूद अजहर पर पाबंदी लगाने के भारत के प्रस्ताव पर चीन की ओर से अड़ंगा (Veto) लगाए जाने के जवाब में मोदी सरकार ने चीन के विद्रोही उइगुर नेता Dolkun Isa को भारत आने का वीजा दिया है ताकि वो यहां चीन के विद्रोही नेताओं (Dissident Leaders) की बैठक में शिरकत कर सके।
आईसीयू में भर्ती सियाचिन के शेर हनुमनथप्पा को देखने पीएम और कैमरामैन को जाने देना निश्चित रूप से राजनीति है
Sadhvi Meenu Jain : प्रचार की इतनी भूख कि आईसीयू (ICU) के नियम-कायदों को ताक़ पर रखकर ज़िंदगी और मौत की जंग लड़ रहे सियाचिन के जांबाज का हालचाल पूछने पहुंच गए. बिना मास्क लगाए आपको और सेना के इन अफसरों को भीतर जाने किसने दिया? सेना के जवान की फ़िक्र कम, फोटो खिंचवाने की फ़िक्र ज्यादा है आपको. वाकई देश के प्रधानमंत्री का सुशिक्षित होना निहायत ज़रूरी है. यह फ़ोटो प्रेस इन्फार्मेशन ब्यूरो Press Information Bureau ने जारी किया है.
मोदी की झुंझलाहट का असली कारण कांग्रेस नहीं खुद मोदी ही हैं
-डॉ. वेदप्रताप वैदिक-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरोप लगाया है कि ‘एक परिवार’ उनके काम में बाधा डाल रहा है। वह अपनी पराजय का बदला ले रहा है। वह राज्यसभा में कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित नहीं होने दे रहा है। यदि वे विधेयक कानून बन जाते तो लाखों मजदूरों को बोनस मिलने लगता, सारे देश में एक रूप सेवा कर प्रणाली लागू हो जाती, जल यातायात कानून बनने पर दर्जनों नदियां सड़कों की तरह उपयोगी बन जातीं, किसानों के हितों की रक्षा होती।
मोदी का जादू चुक गया, चैनल अब नहीं दिखा रहे लाइव कवरेज
मोदी के भाषण अब चुक गए हैं. उनका जादू खत्म हो चुका है. इसलिए उनकी अब टीवी चैनलों को जरूरत नहीं. एक दौर था जब मोदी के भाषण को घंटों दिखाने के कारण टीवी चैनलों की टीआरपी आसमान पर थी. तब मोदी खुद को नंबर वन होने का दावा कर रहे थे. लोकसभा चुनाव के दौरान तो प्रधानमंत्री का इंटरव्यू लेने की प्रतिस्पर्धा चल पड़ी थी. मोदी भी अपने अनुसार चैनलों को चुनकर उनको खूब टीआरपी दिलवा रहे थे. शायद इसी का असर रहा कि कुछ टीवी चैनलों को इसका खूब लाभ मिला. मोदी अपने भाषणों से चैनलों को टीआरपी देते चले गए और मोदी चैनलों के मुनाफे के धंधे में तब्दील हो गए.
व्यापारी संगठन के इन सवालों के क्रमवार जवाब कोई भाजपाई या मोदी भक्त दे तो अच्छा रहेगा
Yashwant Singh : भड़ास के पास ALL DELHI COMPUTER TRADERS ASSOCIATION (ADCTA) की तरफ से एक ईपत्र आया है, adcta.nehruplace@gmail.com मेल आईडी और Modi Ji, Vyapari ke Man ki Baat bhi suniye शीर्षक से. इसमें जो कुछ कहा गया है, उसका बिंदुवार जवाब कोई भाजपाई या मोदी भक्त दे तो अच्छा रहेगा… पढ़िए व्यापारी संगठन की मेल में कहा क्या गया है.
बादशाह का शाह उर्फ पंचिंग बैग : इस ताजपोशी पर पुराने अध्यक्षों ने कसीदे क्यों काढ़े?
अमित शाह को दुबारा भाजपा अध्यक्ष बना दिया गया। यह क्या है? यह नरेंद्र मोदी की बादशाहत है। मोदी के बाद शाह और शाह के बाद मोदी याने मोदी की बादशाहत! अब सरकार और पार्टी, दोनों पर मोदी का एकाधिकार है। पार्टी-अध्यक्ष का चुनाव था, यह! कैसा चुनाव था, यह? सर्वसम्मत! याने कोई एक भी प्रतिद्वंद्वी नही। जब कोई प्रतिद्वंद्वी ही नहीं तो वोट क्यों पड़ते? यह बिना वोट का चुनाव है। देश की सारी पार्टियों को भाजपा से सबक लेना चाहिए। याने कांग्रेस-जैसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों को भी! अभी तो अमित शाह अधूरे अध्यक्ष थे। देर से बने थे। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद बने थे। उस समय के अध्यक्ष थे, राजनाथसिंह, जिनके नेतृत्व में मोदी जीते और प्रधानमंत्री बने।
जब नीतीश के कंधे पर हाथ रखने वाले पत्रकार की कलाई को सेक्युरिटी वाले ने जमकर मरोड़ा!
Gunjan Sinha : मोदी जी को बहुत धन्यवाद, उन्होंने धीरुभाई अम्बानी (जिनकी जीवन-गाथा और चालाकियों पर ‘गुरु’ जैसी फिल्म बनी) को भी मरणोपरांत पद्म विभूषण देकर अपना कर्ज एक पुश्त ऊपर तक उतार दिया है. अब भले बेवकूफ कहते रहें कि रतन टाटा को क्यों नहीं? बीडी शर्मा साहब को क्यों नहीं? उस भले अनजान …
अगले लोकसभा चुनाव तक मोदी की मार खा खा के केजरी देशव्यापी हैसियत हासिल कर लेंगे : यशवंत सिंह
Yashwant Singh : इस देश के जन-मानस में पीड़ित या प्रताड़ित के प्रति सिंपैथी रखने की प्रवृत्ति बहुत भयंकर है. इमोशनल देश जो ठहरा. एक जमाने में मोदी जी इसी टाइप सिंपैथी गेन कर कर के इतने मजबूत हुए कि अब पीएम हैं. पीएम पद ने मोदी का दिमाग घुमा दिया है. या यूं कहिए …
वाशिंगटन पोस्ट की महिला पत्रकार का खुलासा- मोदी सरकार ने विदेशी मीडिया को पटाने के लिए पीआर कंपनियों को पीछे लगाया
वाशिंगटन पोस्ट की इंडिया ब्यूरो चीफ Annie Gowen ने एक बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने ट्वीट करके जानकारी दी कि पिछले कुछ सप्ताह में दो बार उनसे प्राइवेट पीआर कंपनियों ने सरकारी अफसरों के प्रतिनिधि के बतौर संपर्क करने की कोशिश की. जनता के धन का क्या खूब इस्तेमाल हो रहा है. इस ट्वीट में उन्होंने पीएमओ इंडिया को टैग भी किया है. ((Annie Gowen- “We have been contacted twice in recent weeks by private PR companies representing Indian govt. officials. Good use of govt funds? @PMOIndia))
इंग्लैंड में मोदी : भारतीय मीडिया कुछ तो छुपा रहा है…
वैसे तो मोदी जी की विदेश यात्रायें आपका सुख चैन खबर बाखबर सब नियंत्रित कर लेती हैं, आप चाह कर भी मोदीमय होने से बच ही नहीं सकते। सारे चैनल उनका ही मुखड़ा दिखाते मिलते हैं और सारे अख़बार उन्हीं पर न्योछावर। सोशल मीडिया पर भी वही छाये रहते हैं पक्ष हो या विपक्ष! पर इस बार यह सब होते हुए भी कुछ और भी है जिसकी परदेदारी तो है पर वह परदे में समा नहीं रहा! इस बार लंदन में मोदी का भारी विरोध हुआ और अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया में और सोशल मीडिया में उसने खासी हलचल पैदा की।
पुण्य प्रूसन बाजपेयी का विश्लेषण : बीजेपी के भीतर नरेंद्र मोदी और अमित शाह को मुश्किल होने वाली है…
बीजेपी का यह भ्रम भी टूट गया कि कि बिना उसे नीतीश कुमार जीत नहीं सकते हैं। और नीतिश कुमार की यह विचारधारा भी जीत गई कि नरेन्द्र मोदी के साथ खड़े होने पर उनकी सियासत ही धीरे धीरे खत्म हो जाती। तो क्या बिहार के वोटरों ने पहली बार चुनावी राजनीति में उस मिथ को तोड़ दिया है, जहां विचारधारा पर टिकी राजनीति खत्म हो रही है।
सीएनएन-आईबीएन ने बिहार पर अपना सर्वे अपने आकाओं अंबानी व मोदी की नाराजगी की आशंका के चलते नहीं दिखाया?
गुरुवार की शाम से देश के सभी न्यूज चैनल बिहार चुनाव में एक्जिट पोल दिखाने में जुटे हुए थे, लेकिन देश का एक नामी अंग्रेजी चैनल सीएनएन-आईबीएन दूसरों के सर्वे चला-दिखा कर काम चला रहा था। ऐसा नहीं था कि चैनल ने सर्वे नहीं कराया था। अंदर की खबर ये है कि सीएनएन-आईबीएन ने सर्वे एजेंसी एक्सिस से बिहार चुनाव में एक्जिट पोल का सर्वे करवाया था।
Modi and his diplomacy
By Prasoon Shukla (CEO & Editor-in-Chief, News Express)
The diplomacy of Prime Minister Narendra Modi is paying dividends. Increasingly ostracized leader, Russian President Vladimir Putin met Modi at Hyderabad House, Thursday, marking the beginning of Annual India-Russia Summit. United States President Barrack Obama is arriving New Delhi on the occasion of Republic Day. In fact, both Moscow and the United States are looking to revitalize relations and foster economic ties with India. This is the Modi’s diplomatic success and such enthusiasm has probably never been witnessed earlier.
भाजपाई कब तक मुसलमानों और दलितों के लिए कुत्ता और कुत्ते के बच्चे जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते रहेंगे?
(मोहम्मद अनस)
Mohammad Anas : हरियाणा में दो दलित बच्चों को जिंदा जलाए जाने पर रक्षा राज्य मंत्री वीके सिंह ने कहा, ‘कोई कुत्ते को पत्थर मार दे तो सरकार ज़िम्मेदार नहीं होती।’ मंत्री जी कुत्ते के मारने पर किसी ने सरकार को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया, हम सब तो इंसानियत की हिफाजत करने में जानबूझ कर पीछे रहने वाली सरकार से सवाल कर रहे हैं कि आखिर कब खत्म होगा हिंसा का सिलसिला। आखिर कब तक मुसलमानों और दलितों के लिए कुत्ता और कुत्ते के बच्चे का शब्द इस्तेमाल करते रहेंगे भाजपाई?
मोदी और केजरी स्टाइल का ‘आदर्श’ मीडिया… जो पक्ष में लिखे-बोले वही सच्चा पत्रकार!
: मीडिया समझ ले, सत्ता ही है पूर्ण लोकतंत्र और पूर्ण स्वराज! : मौजूदा दौर में मीडिया हर धंधे का सिरमौर है। चाहे वह धंधा सियासत ही क्यों न हो। सत्ता जब जनता के भरोसे पर चूकने लगे तो उसे भरोसा प्रचार के भोंपू तंत्र पर होता है। प्रचार का भोंपू तंत्र कभी एक राह नहीं देखता। वह ललचाता है। डराता है। साथ खड़े होने को कहता है। साथ खड़े होकर सहलाता है और सिय़ासत की उन तमाम चालों को भी चलता है, जिससे समाज में यह संदेश जाये कि जनता तो हर पांच बरस के बाद सत्ता बदल सकती है। लेकिन मीडिया को कौन बदलेगा? तो अगर मीडिया की इतनी ही साख है तो वह भी चुनाव लड़ ले… राजनीतिक सत्ता से जनता के बीच दो-दो हाथ कर ले… जो जीतेगा, उसी की जनता मानेगी!
भूमि अधिग्रहण पर मोदी सरकार का पीछे हटना किसानों की जीत
: समग्र भूमि व किसान नीति बनने तक संघर्ष अपरिहार्य : प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने रविवार 29 अगस्त को आकाशवाणी के कार्यक्रम ‘मन की बात’ में यह घोषणा की कि भूमि अधिग्रहण संशोधन अध्यादेश को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा तथा वह किसानों का हर सुझाव मानने को तैयार हैं। यह घोषणा देश भर के किसानों और जनता के प्रतिरोध की जीत है, जिसकी वजह से ही मोदी सरकार को अपने पांव पीछे खींचने पर मजबूर होना पड़ा है। नहीं तो चंद रोज पहले तक श्रीमान मोदी, उनकी पार्टी भाजपा और उनके रणनीतिकार जिस तरह से इसे किसानों और देश के हित में बताकर शोर मचा रहे थे और इसे हर हाल में लागू करने के लिए ताल ठोंक रहे थे, यह बात किसी से छिपी नहीं है। भाजपा-विरोधी शासकवर्गीय पार्टियां इसका श्रेय लेने का चाहे जितना ढिंढोरा पीटें लेकिन आज जब मोदी सरकार ने अध्यादेश को आगे न बढ़ाने का फैसला ले लिया है तब एक राजनीतिक मुद्दा, जिसके नाम पर वे अपनी खोयी जमीन को वापस पाने के प्रयास में थे, उनके हाथ से चला गया है।
हिंदी सम्मेलन और भोपाल के अखबारों का मोदीकरण शर्मनाक है : ओम थानवी
Om Thanvi : भोपाल पहुँच कर देखा – हवाई अड्डे से शहर तक चप्पे-चप्पे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तसवीरों वाले विशाल पोस्टर लगे हैं, खम्भों पर भी मोदीजी के पोस्टर हैं। इनकी तादाद सैकड़ों में होगी। यह विश्व हिंदी सम्मलेन हो रहा है या भाजपा का कोई अधिवेशन? अधिकांश पोस्टर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से हैं – शहर में मोदीजी के स्वागत वाले। अनेक में चौहान की अपनी छवि भी अंकित है।
पत्रकार वेद प्रताप वैदिक भी धुर मोदी विरोधी हो गए… पढ़िए उनका ताजा लेख
देश में मोहभंग का वातावरण जितनी तेज़ी से अब बढ़ता जा रहा है, उतनी तेज़ी से कभी नहीं बढ़ा। इंदिरा गाँधी से मोहभंग होने में जनता को 8-9 साल लगे,राजीव गाँधी के बोफोर्स का पिटारा ढाई साल बाद खुला और मनमोहन सिंह को इस बिंदु तक पहुँचने में 6-7 साल लगे लेकिन हमारे “प्रधान–सेवक” का क्या हाल है? प्रचंड बहुमत से जीतनेवाले जन—नायक का क्या हाल है? उसका नशा तो दिल्ली की हार ने एक झटके में ही उतार दिया था,और अब वसुंधरा राजे की रोचक कथाओं और सुषमा स्वराज की भूल ने सम्पूर्ण भाजपा नेतृत्व और संघ परिवार को भी कटघरे में ला खड़ा किया है।
विदेश दौरों में खोए प्रधानमंत्री मोदी के नाम एक भारत वासी की चिट्ठी
सेवा में आदरणीय नरेंद्र मोदी जी,
प्रधान सेवक / चौकीदार / चीफ ट्रस्टी
भारत सरकार, नई दिल्ली,
विषय :- भारत के नागरिकों की समस्याओं के समाधान के बावत ।
महोदय,
आप दुनिया के जिस भी देश में जाते हैं वहां कुछ न कुछ भारत के खजाने से देते हैं जो कि हम भारतीयों की खून पसीने की कमाई से इकठ्ठा किया गया धन है, आप उसे इस तरह बाँट रहे हैं जैसे आपको ये धन पारिवारिक बंटवारे में मिला हो । आपने चुनाव के समय कहा था मुझे एक मौका दीजिये मैं भारत की संपत्ति दुनिया के लुटने नहीं दूंगा और उसकी चौकीदारी करूँगा,पर ये क्या आपको मौका मिलते ही अरबों खरबों डालर ऐसे बाँट डाले जैसे भारत को अब इस धन की जरूरत ही नहीं है। आपने तो सत्ता मिलते ही कहा था कि पूर्ववर्ती सरकार ने देश का खज़ाना खाली कर दिया है फिर इतना पैसा जो आपने भूटान नेपाल श्रीलंका मंगोलिया सहित दर्जन भर देशों को दिया है ये कहाँ से आया या आपने रातों रात कमा लिए।
पंजाब केसरी के मालिक का हाल देखिए, मोदी के सामने हाथ बांधे डरते कांपते खड़े हैं!
ये हैं बीजेपी के सांसद और पंजाब केसरी अखबार के मालिक. क्या हाल है बिकी हुई मीडिया का, खुद ही देखिये. जब अख़बारों / चैनलों के मालिक / संपादक लोग अपनी पूरी उर्जा लोकसभा / राज्यसभा की सीट और पद्मभूषण आदि के लिये खर्च करते हुए इस चित्र में दिखाई मुद्रा में जा पहुंचें हों तब मीडिया को लोकतंत्र का चौथा खम्भा कैसे माना जा सकता है? ये तो सत्ता के चारणों की मुद्रा है.
महंगाई के मोर्चे पर मोदी का झूठ उन्हें दीमक की तरह खत्म कर देगा
Dayanand Pandey : एक बात तो है कि मोदी विरोधियों का विरोध अब पूरी तरह मिमियाहट में बदल गया है। ऐसे जैसे विरोधियों के पास मुंह ही नहीं रह गया हो। रस्मी रायता की भी आख़िर एक मियाद होती है । एक बात और मोदी यह कतई गलत नहीं कह रहे कि कुछ लोगों के लिए बुरे दिन आ गए हैं। घोटाले में आकंठ डूबी कांग्रेस से अब सेक्यूलरिज्म की लफ्फाज़ी वाली कागज़ी तलवार भी कहीं गुम हो गई है। बाक़ी तो सब ठीक है पर मंहगाई के मोर्चे पर मोदी का झूठ उन्हें दीमक की तरह खत्म कर देगा, यह मोदी को अपनी तमाम बाजीगिरी के बावजूद जान ही लेना चाहिए।
मोदी और केजरी : आइए, दो नए नेताओं के शीघ्र पतन पर मातम मनाएं…
Yashwant Singh : यथास्थितिवाद और कदाचार से उबी जनता ने दो नए लोगों को गद्दी पर बिठाया, मोदी को देश दिया और केजरीवाल को दिल्ली राज्य. दोनों ने निराश किया. दोनों बेहद बौने साबित हुए. दोनों परम अहंकारी निकले. पूंजीपति यानि देश के असल शासक जो पर्दे के पीछे से राज करते हैं, टटोलते रहते हैं ऐसे लोग जिनमें छिछोरी नारेबाजी और अवसरवादी किस्म की क्रांतिकारिता भरी बसी हो, उन्हें प्रोजेक्ट करते हैं, उन्हें जनता के गुस्से को शांत कराने के लिए बतौर समाधान पेश करते हैं. लेकिन होता वही है जो वे चाहते हैं.
नसीबलाल, पेट्रोल मूल्यवृद्धि, विकसवा, काशी, संघ, शक्ति प्रदर्शन और जॉम (देखें वीडियो)
Yashwant Singh : पिछले दिनों मैं बनारस गया हुआ था तो दिल्ली वापसी के वास्ते ट्रेन पकड़ने के लिए एक मित्र की बाइक पर सवार होकर स्टेशन की तरफ जा रहा था. भेलूपुर और रथयात्रा चौराहे के बीच पहुंचा तो देखा कि अचानक सड़क पर जाम लगने लगा है. थोड़ा आगे बढ़ने पर पता चला कि तंग गलियों-पतली सड़कों के लिए कुख्यात बनारस की इस मुख्य सड़क के दाहिने हिस्से पर संघियों का कब्जा हो चुका था. यूं लंबा रेला था. लाठी कंधे पर रखे संघी कार्यकर्ता पथ संचलन या पद संचलन, जो भी होता हो, कर रहे थे. लंबी लाइन और यूं सड़क कब्जा कर शक्ति प्रदर्शन करते देखकर अचानक मेरे मुंह से निकल गया- वाह… क्या बात है, ग़ज़ब. अगर दिल्ली या किसी शहर में किसान मजूर अपनी बात रखने के लिए प्रदर्शन करने आते हैं और सड़क जाम हो जाता है तो यही संघी कहते फिरते हैं कि ऐसे जनजीवन ठप कर देना ठीक नहीं होता, कितनी परेशानी होती है सबको, कोई बीमार व्यक्ति जाम में फंस जाएगा तो क्या करेगा.. ब्ला ब्ला ब्ला.
यशवंत सिंह
फेकू मोदी का एक नया झूठ सोशल मीडिया पर हुआ वायरल…
पीएम नरेंद्र मोदी का एक नया झूठ सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. उन्होंने कहा हुआ है कि सीमेंट की एक बोरी 120 रुपये में मिल रही है. एबीपी न्यूज द्वारा चलाई गई ऐसी खबर का स्क्रीनशाट लगाकर लोग लिख रहे हैं कि अब मोदी जी ही बता दें कि वो दुकान कहां है जहां पर इतने सस्ते रेट पर सीमेंट की बोरी मिल रही है.
शॉल पर नमो नाम मामले में फ्रेंच कंपनी की सफाई के बाद पत्रकार सागरिका घोष ने माफी मांगी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पेरिस यात्रा के दौरान जिस शाल को ओढ़ा था उस पर उनका नाम प्रिंट है. चर्चा है कि यह शाल फ्रेंच की प्रसिद्ध कंपनी लुई वितां ने बनाया है. इसके पहले मोदी का सूट विवादों में आया था जिस पर उनका नाम लिखा था. उन्होंने वह सूट अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के दौरान पहना था. सोशल मीडिया पर नरेन्द्र मोदी के नाम लिखी शाल को लेकर चर्चा छिड़ी हुई है. मीडिया ने भी शाल के मुद्दे को प्रमुखता के साथ उछालना शुरू कर दिया है.
मोदी जी, आम आदमी के साथ इत्ता बड़ा “ब्लंडर” तो AAP वालों ने भी नही किया था जैसे आप कर रहे हो..
परम आदरणीय मोदी जी..
प्रणाम
ये आपको क्या हो गया है…
चुनाव के पहले और चुनाव के बाद आपकी स्थिति तो सस्ते अखबार में आने वाले
“शादी के पहले और शादी के बाद”
वाले विज्ञापन जैसी हो गयी है..
केजरीवाल पर संपादक ओम थानवी और नरेंद्र मोदी पर पत्रकार दयानंद पांडेय भड़के
Om Thanvi : लोकपाल को वह क्या नाम दिया था अरविन्द केजरीवाल ने? जी, जी – जोकपाल! और जोकपाल पैदा नहीं होते, अपने ही हाथों बना दिए जाते हैं। मुबारक बंधु, आपके सबसे बड़े अभियान की यह सबसे टुच्ची सफलता। अगर आपसी अविश्वास इतने भीतर मैल की तरह जम गया है तो मेल-जोल की कोई राह निकल आएगी यह सोचना मुझ जैसे सठियाते खैरख्वाहों की अब खुशफहमी भर रह गई है। ‘साले’, ‘कमीने’ और पिछवाड़े की ‘लात’ के पात्र पार्टी के संस्थापक लोग ही? प्रो आनंद कुमार तक? षड्यंत्र के आरोपों में सच्चाई कितनी है, मुझे नहीं पता – पर यह रवैया केजरीवाल को धैर्यहीन और आत्मकेंद्रित जाहिर करता है, कुछ कान का कच्चा भी।
पलटीमार मोदी सरकार : करप्शन घपले घोटाले की गुमनाम शिकायतों की जांच नहीं की जाएगी
ये लीजिए…. मोदी सरकार की एक और पलटी. दरअसल, पलटी तो महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने मारी है, लेकिन अगर तकनीकी तौर पर मुखिया यानी मुख्यमंत्री को साइड कर दें तो सरकार एक तरह से मोदी की ही है और उन्हीं के नाम पर चुन कर आई है. उन्हीं का चेहरा देखकर राज्य के लोगों ने भाजपा को वोट दिया था. इसलिए इस पलटी को मोदी की पलटी कहना गलत नहीं होगा. मोदी ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान चीख-चीख कर कहा था कि उनकी सरकार आई, तो भ्रष्टाचार की गुमनाम शिकायतों पर भी कार्रवाई की जाएगी.
भारत को अपना 21वीं सदी का सबसे बड़ा झुट्ठा और सबसे बड़ा झूठ मिल गया है!
Yashwant Singh : भारत को अपना 21वीं सदी का सबसे बड़ा झुट्ठा मिल गया है. वह हैं माननीय नरेंद्र मोदी. जाहिर है, जब झुट्ठा मिल गया तो सबसे बड़ा झूठ भी खोज निकाला गया है. वह है- ‘अच्छे दिन आएंगे’ का नारा. नरेंद्र आम बजट में चंदा देने वाले खास लोगों को दी गयी 5% टैक्स की छूट… इसकी भरपाई वोट देने वाले आम लोगों से 2% सर्विस टैक्स बढा कर की जाएगी.. मोदी सरकार पर यूं ही नहीं लग रहा गरीब विरोधी और कारपोरेट परस्त होने के आरोप. खुद मोदी के कुकर्मों ने यह साबित किया है कि उनकी दशा-दिशा क्या है. इन तुलनात्मक आंकड़ों को कैसे झूठा करार दोगे भक्तों… अगर अब भी मोदी भक्ति से मोहभंग न हुआ तो समझ लो तुम्हारा एंटीना गड़बड़ है और तुम फिजूल के हिंदू मुस्लिम के चक्कर में मोदी भक्त बने हुए हो. तुम्हारी ये धर्मांधता जब तुम्हारे ही घर के चूल्हे एक दिन बुझा देगी शायद तब तुम्हें समझ में आए. कांग्रेस की मनमोहन सरकार से भी गई गुजरी मोदी सरकार के खिलाफ हल्ला बोलने का वक्त आ गया है… असल में संघ और भाजपा असल में हिंदुत्व की आड़ में धनिकों प्रभुओं एलीटों पूंजीपतियों कार्पोरेट्स कंपनियों मुनाफाखोरों की ही पार्टी है। धर्म से इनका इतना भर मतलब है कि जनता को अल्पसंख्यक बहुसंख्यक में बाँट कर इलेक्शन में बहुमत भर सीट्स हासिल कर सकें। दवा से लेकर मोबाइल इंटरनेट घर यात्रा तक महंगा कर देना कहाँ के अच्छे दिन हैं मोदी जी। कुछ तो अपने भासड़ों वादों का लिहाज करो मोदी जी। आप तो मनमोहन सोनिया राहुल से भी चिरकुट निकले मोदी जी।
प्रधानमंत्री मोदी भूमि अधिग्रहण मामले में रणनीतिक चूक के शिकार हुए
भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने आते ही जिस तरह भूमि अधिग्रहण को लेकर एक अध्यादेश प्रस्तुत कर स्वयं को विवादों में डाल दिया है, वह बात चौंकाने वाली है। यहां तक कि भाजपा और संघ परिवार के तमाम संगठन भी इस बात को समझ पाने में असफल हैं कि जिस कानून को लम्बी चर्चा और विवादों के बाद सबकी सहमति से 2013 में पास किया गया, उस पर बिना किसी संवाद के एक नया अध्यादेश और फिर कानून लाने की जरूरत क्या थी? इस पूरे प्रसंग में साफ दिखता है कि केन्द्र सरकार के अलावा कोई भी पक्ष इस विधेयक के साथ नहीं है।
Modi’s claim of being a ‘chaiwala’ may be a stretch : Social Activist
New Delhi, 21 February 2015 : There is no record available that shows Prime Minister Narendra Modi was selling tea on railway platforms or trains in his childhood, claims social activist and congress supporter Tehseen Poonawalla on the basis of a RTI reply by the Modi government’s own Railway Ministry.
मोदी राज का सच : अडाणी का मुनाफा छह गुना और वोडाफोन पर सरकारी खजाने का 3000 करोड़ रुपये उड़ा
Navin Kumar : इस तिमाही में अडाणी का मुनाफा छह गुना हो जाना, वोडाफोन पर सरकारी खजाने का 3 हजार करोड़ रुपया उड़ा दिया जाना और परधान जी के नौलखे कोट के बीच क्या कोई रिश्ता है? गौर कीजिएगा जेटली जी ने कहा है कि हमने भारत की गरीब जनता के 3 हजार करोड़ से जो वोडाफोन की आरती उतारी है उससे ‘निवेश’ का माहौल बेहतर होगा.. पूछना चाहता हूं कि नौलखा ‘कोट’ को निवेश मान सकते हैं कि नहीं?
जानिए, उन वजहों को जिसके कारण दिल्ली में किरण बेदी फैक्टर अरविंद केजरीवाल को बहुमत दिला रहा है
Yashwant Singh : भाजपाई दिल्ली में गड़बड़ा गए हैं. जैसे भांग खाए लोगों की हालत होती है, वही हो चुकी है. समझ नहीं पा रहे कि ऐसा करें क्या जिससे केजरीवाल का टेंपो पंचर हो जाए, हवा निकल जाए… रही सही कसर किरण बेदी को लाकर पूरा कर दिया.. बेचारी बेदी जितना बोल कह रही हैं, उतना भाजपा के उलटे जा रहा है… आखिरकार आलाकमान ने कह दिया है कि बेदी जी, गला खराब का बहाना करके चुनाव भर तक चुप्पी साध लो वरना आप तो नाश कर दोगी…
जशोदा बेन की खबर दिखाने वाले डीडी अफसर को मिली ‘कालापानी’ की सजा, अंडमान द्वीप हुआ तबादला
इस देश में प्रेस आजाद है, शर्त बस यह है कि आप दूरदर्शन में काम न करते हों. और हां, खबर जशोदा बेन के बारे में न हो. अगर ये दोनों संयोग मिल जाएं तो फिर कोई गारंटी नहीं है. आपको पलक झपकते ‘कालापानी’ भेज दिया जाए तो भी कोई बड़ी बात नहीं. अहमदाबाद में तैनात दूरदर्शन अधिकारियों ने यही बात समझने में थोड़ी देर कर दी. जशोदा बेन की खबर दिखाने का नतीजा एक डीडी अधिकारी के तत्काल तबादले के रूप में सामने आ गया. बाकी अधिकारी भी सफाई देने में जुटे हैं.
एक दूसरे के लिए “सरकार” हैं मोदी और भागवत!
संघ परिवार से जो गलती वाजपेयी सरकार के दौर में हुई, वह गलती मोदी सरकार के दौर में नहीं होगी। जिन आर्थिक नीतियो को लेकर वाजपेयी सरकार को कठघरे में खड़ा किया गया, उनसे कई कदम आगे मोदी सरकार बढ़ रही है लेकिन उसे कठघरे में खड़ा नहीं किया जायेगा। लेकिन मोदी सरकार का विरोध होगा। नीतियां राष्ट्रीय स्तर पर नहीं राज्य दर राज्य के तौर पर लागू होंगी। यानी सरकार और संघ परिवार के विरोधाभास को नियंत्रण करना ही आरएसएस का काम होगा। तो क्या मोदी सरकार के लिये संघ परिवार खुद को बदल रहा है। यह सवाल संघ के भीतर ही नहीं बीजेपी के भीतर के उन कार्यकर्ताओ का भी है, जिन्हें अभी तक लगता रहा कि आगे बढने का नियम सभी के लिये एक सरीखा होता है। एक तरफ संघ की विचारधारा दूसरी तरफ बीजेपी की राजनीतिक जीत और दोनों के बीच खड़े प्रधानमंत्री मोदी। और सवाल सिर्फ इतना कि राजनीतिक जीत जहां थमी वहां बीजेपी के भीतर के उबाल को थामेगा कौन। और जहां आर्थिक नीतियों ने संघ के संगठनों का जनाधार खत्म करना शुरु किया, वहां संघ की फिलासफी यानी “रबर को इतना मत खींचो की वह टूट जाये”, यह समझेगा कौन।
एनडीटीवी प्राइम टाइम में Ravish Kumar और अभय दुबे ने भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली को पूरी तरह घेर लिया
Shambhunath Shukla : एक अच्छा पत्रकार वही है जो नेता को अपने बोल-बचन से घेर ले। बेचारा नेता तर्क ही न दे पाए और हताशा में अंट-शंट बकने लगे। खासकर टीवी पत्रकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। बीस जनवरी को एनडीटीवी पर प्राइम टाइम में Ravish Kumar और अभय दुबे ने भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली को ऐसा घेरा कि उन्हें जवाब तक नहीं सूझ सका। अकेले कोहली ही नहीं कांग्रेस के प्रवक्ता जय प्रकाश अग्रवाल भी लडख़ड़ा गए। नौसिखुआ पत्रकारों को इन दिग्गजों से सीखना चाहिए कि कैसे टीवी पत्रकारिता की जाए और कैसे डिबेट में शामिल वरिष्ठ पत्रकार संचालन कर रहे पत्रकार के साथ सही और तार्किक मुद्दे पर एकजुटता दिखाएं। पत्रकार इसी समाज का हिस्सा है। राजनीति, अर्थनीति और समाजनीति उसे भी प्रभावित करेगी। निष्पक्ष तो कोई बेजान चीज ही हो सकती है। मगर एक चेतन प्राणी को पक्षकार तो बनना ही पड़ेगा। अब देखना यह है कि यह पक्षधरता किसके साथ है। जो पत्रकार जनता के साथ हैं, वे निश्चय ही सम्मान के काबिल हैं।
किसान मर रहे हैं, मोदी सपने दिखाते जा रहे हैं, मीडिया के पास सत्ता की दलाली से फुर्सत नहीं
Deepak Singh : प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री बनने के बाद कौन सुध लेता हैं किसानों की? महाराष्ट्र में और केंद्र में दोनों जगह भाजपा की सरकार पर हालत जस के तस। यह हाल तब हैं जब नरेंद्र मोदी को किसानों का मसीहा बता कर प्रचार किया गया। आखिर क्यों नई सरकार जो दावा कर रही हैं की दुनिया में देश का डंका बज रहा हैं पर उस डंके की गूंज गाँव में बैठे और कर्ज के तले दबे गरीब और हताश किसान तक नहीं पहुँच पाई? क्यों यह किसान आत्महत्या करने से पहले अपनी राज्य सरकार और केंद्र सरकार पर भरोसा नहीं कर पाया की सरकार आगे आएगी और कुछ मदद करेगी?
मोदी रैली : दिल्ली में भाजपा को 22 से 24 सीटें मिल जाएं तो बहुत है
Anil Singh : झूठ में पीएचडी तुम्हारी तो नसीहत किसको! महामना मोदी जी ने रामलीला मैदान की रैली में कहा कि वे देश में पहली बार बिजली में सर्विस प्रोवाइडर चुनने का विकल्प देने जा रहे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री जी, यह सुविधा तो मुंबई में पिछले कई सालों से उपलब्ध हैं। खुद मैंने उसी फ्लैट में रहते हुए रिलायंस इंफ्रा को छोड़कर सवा साल पहले टाटा पावर की सेवा ली है। आपने कहा कि जनधन योजना में पहली बार गरीबों के बैंक खाते खोले गए। महोदय, आपको इतना तो पता ही होगा कि वर्तमान राष्ट्रपति और तब के वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने 10 फरवरी 2011 को स्वाभिमान योजना के तहत वित्तीय समावेशन कार्यक्रम की घोषणा की थी, जिसका नाम अब आपने बदलकर जनधन योजना कर दिया है।
गुजरात मॉडल : करो जितना भी, नगाड़ा बजाओ जमकर
Anil Singh : यूपी व बंगाल में भी गुजरात मॉडल! गुजरात मॉडल का ‘चमत्कार’ दूसरे राज्यों की सरकारों को भी समझ में आ गया है तो वे भी इसे अपनाने लगी है। खासकर हाल में ही पश्चिम बंगाल की ममता सरकार और अब उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार ने इसे अपना लिया है। असल में कुछ दिनों पहले गुजरात सरकार के एक रसूखदार आला अफसर से मुंबई में मुलाकात हो गई तो कई घंटे की अंतरंग बातचीत से पता चला कि गुजरात का मॉडल यह है कि करो जितना भी, नगाड़ा बजाओ जमकर।
मोदी जी, आप देश के प्रधानमंत्री हैं, दिल्ली के लिए कोई और देखिए
Sanjaya Kumar Singh : दिल्ली में सत्ता पाने के लिए भारतीय जनता पार्टी 24 घंटे बिजली, गरीबों को घर, झुग्गी-झोपड़ी खत्म करना, अवैध कॉलोनी को नियमित करने जैसी सुविधाओं का चारा फेंक रही है। दिल्ली में वैसे भी प्रति व्यक्ति आय देश के कई शहरों के मुकाबले ज्यादा है। स्कूल, अस्पताल, गैस कनेक्शन जैसी सुविधाएं तो हैं ही।
पेट्रोल खोर मोदी : पेट्रो प्रोडेक्ट्स प्राइस के मामले में जनता को बुरी तरह ठग रही है केंद्र सरकार
नरेंद्र मोदी : कब तक टोपी पहनाएंगे जनता को?
कच्चे तेल की कीमत ने जिस तरह से 50 डॉलर तक गोता लगाया है, उसके बाद तो अपने देश में पेट्रोल की कीमत बहुत कम यानी ज्यादा से ज्यादा 25 रुपए सभी करों सहित होनी चाहिए, लेकिन केंद्र सरकार ऐसा न करके जनता को ठगने का काम कर रही है। आज कच्चे तेल की कीमत उस स्तर पर पहुंच गई है जहां छह साल पहले थी। हम याद करें केंद्र में मोदी सरकार के आने से पहले का वह वक्त जब देश में पेट्र्रोल की कीमत 78 रुपए के आस-पास थी। उस समय कच्चे तेल की कीमत 165 डालर प्रति बैरल थी।
मोदी नाखुश, सुषमा कैंप पर आरोप- मीडिया तक पहुंचाया नये विदेश सचिव की नियुक्ति का मामला !!!
भारत की सत्ता के साउथ ब्लाक में कानाफूसी है कि मोदी अपनी विदेश मंत्री सुषमा से नाराज़ है. उनकी नाराजगी नये विदेश सचिव की नियुक्ति पर उठे सवालों को मीडिया तक पहुंचाने पर है. मोदी और उनके सलाहकार चाहते हैं कि विदेश सचिव के पद पर सुब्रहमण्यम जयशंकर को नियुक्त किया जाये.
पूंजीपतियों की पक्षधरता के मामले में कांग्रेसी ममो के बाप निकले भाजपाई नमो!
: इसीलिए संघ और सरकार ने मिलजुल कर खेला है आक्रामक धर्म और कड़े आर्थिक सुधार का खेल : जनविरोधी और पूंजीपतियों की पक्षधर आर्थिक नीतियों को तेजी से लागू कराने के लिए धर्म पर बहस को केंद्रित कराने की रणनीति ताकि जनता इसी में उलझ कर रह जाए : सुधार की रफ्तार मनमोहन सरकार से कही ज्यादा तेज है। संघ के तेवर वाजपेयी सरकार के दौर से कहीं ज्यादा तीखे है । तो क्या मोदी सरकार के दौर में दोनों रास्ते एक दूसरे को साध रहे हैं या फिर पूर्ण सत्ता का सुख एक दूसरे को इसका एहसास करा रहा है कि पहले उसका विस्तार हो जाये फिर एक दूसरे को देख लेंगे।
ABP न्यूज ने ‘तर्क’ से जिताया मोदी को
पाठकों की राय को दरकिनार कर ABP न्यूज ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साल 2014 का व्यक्ति विशेष बना डाला। ABP न्यूज ने अपनी वेबसाइट ABP live पर साल 2014 के व्यक्ति विशेष का पोल करवाया। इस पोल में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुरी तरह पछाड़ दिया। मगर, ABP न्यूज ने निम्न तर्क देते हुए अरविंद केजरीवाल को हरा दिया।
पहले प्रधानमंत्री मौनी था, अब ढोंगी है!
Anil Singh : देश ने दस साल तक मनमोहन सिंह जैसे मौनी प्रधानमंत्री को झेला। अब मोदी के रूप में उसे ढोंगी प्रधानमंत्री को झेलना पड़ रहा है। मन की बात में मोदी ने कहा था कि ड्रग्स का धन आतंकवादियो को जाता है। अब पता चला है कि पंजाब में उनकी ही साझा सरकार के मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ड्रग्स के धंधे में लिप्त हैं। यही नहीं, मजीठिया मोदी सरकार की मंत्री हरसिमरत कौर के छोटे भाई हैं। ड्रग्स रैकेट के मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है जो केवल मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर सकता है, इस मामले की सही जांच सीबीआई ही कर सकती है। हर जगह बातों की तोप दागनेवाले प्रधानमंत्री आखिर धर्म-परिवर्तन पर संसद में आकर बयान क्यों नहीं दे रहे! क्या यह देश के सर्वोच्च सदन की अवमानना नहीं है? कहीं ऐसा तो नहीं कि जनता से झूठ बोलकर सत्ता में पहुंचे नमो को अपने बेनकाब होने का डर सताने लगा है! दिक्कत यह है कि विकल्पहीनता के चक्कर में अवाम के सामने इस ढोंगी और वाचाल को चुनने के अलावा कोई विकल्प भी तो नहीं है। दिल्ली में यकीनन विकल्प है, लेकिन उसे भी सर्वे का शंख बजाकर दबाने की कोशिश की जा रही है।
ताऊ बोल्या, ये तो मने शकल से ही स्मगलर लागे से…
सब्जियों के दाम आसमान पर, पेट्रो पदार्थों के गिरे दाम नहीं पहुंचे आम जन तक…
Dayanand Pandey : सब्जी के दाम तो फिर आसमान पर पहुंच गए। चालीस रुपए मटर, टमाटर है। गोभी भी जून जुलाई के भाव पर है। तीस से चालीस-पचास रुपए, प्याज तीस रुपए। दाल के दाम में भी आग लगी हुई है। कश्मीर सीमा और पाकिस्तान के मसले भी जस के तस। नरेंद्र मोदी की माऊथ कमिश्नरी भी जस की तस है। टीवी चैनलों और उन पर अवतरित होने वाले लोगों की लफ्फाज़ी भी जस की तस। गरज यह कि सीमा से लगायत बाज़ार तक बिचौलियों के पौ अभी भी बारह हैं। जय हो!
भागवत ने बढ़ाया मोदी का धर्म संकट
नरेंद्र मोदी ने आरएसएस के अनुषांगिक संगठनों, हिंदूवादी संगठनों के नेताओ और सरकार के मंत्रियों व सांसदों के हिन्दू एजेंडे को बढ़ावा देने वाले बयानों से आजिज़ आकर प्रधानमंत्री पद छोड़ने की धमकी दी है। परन्तु लगता है कि मोदी की इस धमकी का आरएसएस पर कोई भी फर्क नहीं पड़ा है। यह बात आरएसएस मोहन भागवत के कलकत्ता में दिए गए उस ताजा बयान से साबित होती है जिसमें उन्होंने कहा है कि वे भारत को हिन्दू राष्ट्र के रूप में खड़ा करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वे भूले भटकों को हिन्दू धर्म में वापस लाते रहेंगे और इस पर अगर किसी को आपत्ति है तो कानून बनाये। मोहन भागवत का यह ताजा बयान सीधे तौर से धर्म जागरण मंच के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रमुख राजेश्वर सिंह के उस बयान का समर्थन करता है जिसमे उन्होंने कहा था कि “2021 के अंत तक वे भारत को हिन्दू राष्ट्र बना देंगे और 31 दिसंबर 2021 तक भारत के मुस्लिमों और ईसाइयों को हिन्दू बना दिया जायेगा।”
रजत शर्मा पत्रकार नहीं, एक सफल एंटरटेनर हैं… (संदर्भ: आपकी अदालत के 21 साल)
‘आपकी अदालत’ के 21 साल पूरे होने पर रजत शर्मा द्वारा आयोजित महामहोत्सव पर मैंने कुछ नहीं लिखा, इस बात की कई लोगों ने मेल करके शिकायत की है. कुछ साथियों ने फैक्टशीट भी भेजी है इस महाउत्सव को लेकर. आज सोच रहा हूं लिख ही डालूं क्योंकि न लिखने के पीछे जो मूल कारण था, इस महाउत्सव की कवरेज को न देख पाना, उससे कल निजात पा गया. कल एक साथी के घर पर इंडिया टीवी खुला तो वहां पर महाउत्सव की पुरानी रिकार्डिंग आ रही थी, कुछ उसी तरह जैसे कभी एक खास एंटरटेनमेंट चैनल खोल लो तो कामेडी विथ कपिल का पुराना एपिसोड चालू दिखेगा, या कोई दूसरा एंटरटेनमेंट चैनल खोल लो तो सावधान इंडिया की साजिशें उदघाटित होती मिलेंगी.
जब रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा को प्रधानमंत्री मोदी ने ‘कड़वी दवा’ पिला दी!
खर्चे कम करने के लिए नसीहत देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक जब रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा द्वारा फिजूलखर्ची किए जाने का मामला पहुंचा तो उन्होंने मनोज सिन्हा को ‘कड़वी दवा’ पिलाने में देर नहीं की. कहा जा रहा है कि इस दवा के पीने के बाद मनोज सिन्हा आगे से आइंदा ऐसी हरकत नहीं करेंगे. पूरा मामला क्या है, इसके बारे में विस्तार से आउटलुक हिंदी मैग्जीन में खबर का प्रकाशन किया गया है. वहीं की खबर की कटिंग करके यहां प्रकाशित किया जा रहा है… पढ़ें….
मोदी के ‘हनुमान’ ने तेवर दिखाए तो अंग्रेजी अखबार यूं बन बैठा केजरीवाल विरोधी!
: कानाफूसी : जी हां. ये गासिप यानि कानाफूसी कैटगरी की खबर जरूर है, लेकिन है सोलह आने सच. देश का एक बहुत बड़ा अंग्रेजी अखबार इन दिनों मोदी के ‘हनुमान’ के इशारों पर नाचता है. आप गौर करिए. पिछले कई महीने से अंग्रेजी का यह बड़ा अखबार आम आदमी पार्टी और अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ एक कैंपेन छेड़े हुए है. क्यों? कभी सोचा आपने? अंदर की खबर ये है कि इस अखबार के सीईओ को जनवरी माह में मोदी के ‘हनुमान’ ने फोन कर बुलाया. तब सीईओ ने बताया कि वो तो इंदौर में हैं.
इनामी बदमाश और पुलिस का भगोड़ा मोदी राज में बन गया न्यूज चैनल का डायरेक्टर!
माननीय प्रधानमंत्री जी, आपसे कुछ सवाल पूछना चाहता हूं. कुछ बताना भी चाहता हूं. सवाल ये है कि एक पत्रकार और प्रबंधन में सूचना प्रसारण मंत्रालय कितना भेदभाव करता है? क्या आपको इसकी जानकारी है? मैं जानता हूं कि आपको नहीं होगी, क्योंकि आपने इस मंत्रालय को गंभीरता से लिया ही नहीं… यही वजह है कि केंद्र कि ये पहली सरकार है जिसने सूचना प्रसारण मंत्रालय को फुल टाइम मंत्री तक नहीं दिया है…
मोदी सरकार पर अपने पहले ऑपरेशन से आजतक ने किया खुलासा- सारी तरक्की सिर्फ कागजों पर
Vineet Kumar : कल मध्यप्रदेश सरकार ने देश के प्रमुख राष्ट्रीय अखबार में करोड़ों रुपये के विज्ञापन देकर घोषित किया कि जन-धन योजना के तहत मध्यप्रदेश के सारे लोगों के खाते खुल गये..एक भी नहीं बचा है. विज्ञापन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बड़ी-बड़ी तस्वीरें छपी है. ऐसे विज्ञापन छपवाने के लिये एक की कीमत 8 से 80 लाख तक होती है..यानी करोड़ों रुपये के विज्ञापन..
मोदी जी! इसके लिए ऑस्ट्रेलिया मत जाइए, महाराष्ट्र के डॉ. श्रीपाद दाभोलकर से मिलिए
Anil Singh : ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक क्यों, डॉ. दाभोलकर क्यों नहीं? प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं, “मैं ऑस्ट्रेलिया गया। वहां की यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों से मिला। किस काम के लिए मिला। मैंने कहा कि हमारे किसान खेती करते हैं, मूंग, अरहर और चने की खेती करते हैं, लेकिन एक एकड़ भूमि में जितनी पैदावार होनी चाहिए, उतनी नहीं होती।”
इतनी खुली दलाली 56 इंच के सीने से ही मुमकिन है…
Sheetal P Singh : देखिये ब्रिटिश कंपनी वोडाफ़ोन को कौन मदद कर रहा है 4000 करोड़ गपकने में. इतनी खुली दलाली 56 इंच के सीने से ही मुमकिन है.
मेरे साथ न्याय नहीं हुआ, बुलाया गया तो मोदी के साथ रहने दिल्ली जाऊंगी : जसोदा बेन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पत्नी जसोदाबेन का कहना है कि उनके साथ न्याय नहीं हुआ है और उन्हें वे सुविधाएं नहीं मिली हैं, जो एक पीएम की पत्नी होने के नाते उन्हें मिलनी चाहिए थीं। यदि उन्हें बुलाया जाता है तो वह दिल्ली मोदी के साथ रहने जाएंगी। सोमवार को मेहसाणा में स्कूटर की पिछली सीट पर बैठकर घर लौट रहीं जसोदाबेन से जब एक न्यूज चैनल के पत्रकार ने पूछा कि उन्होंने आरटीआई आवेदन क्यों दिया है, तो उन्होंने कहा कि उन्हें न्याय नहीं मिला है और कोई सुविधा भी नहीं मिल रही है।
मोदी सरकार ने जनता के हिस्से के 6000 करोड़ रुपये हड़प लिए!
Anil Singh : बेशर्मी की हद है…. इस सरकार ने एक झटके में लूट लिए 6000 करोड़ रुपये… महंगाई खत्म करने के वादे के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार को इतनी भी शर्म नहीं है कि अंतरराष्ट्रीय वजहों से सस्ते हुए पेट्रोल व डीजल का पूरा लाभ अवाम तक पहुंचने दे। मौका ताड़कर उसने अनब्रांडेड पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 1.20 से बढ़ाकर 2.70 रुपए, ब्रांडेड पेट्रोल पर 2.35 से बढ़ाकर 3.85 रुपए, अनब्रांडेड डीजल पर 1.46 रुपए से बढ़ाकर 2.96 रुपए और ब्रांडेड डीजल पर 3.75 से बढ़ाकर 5.25 रुपए कर दिया। इससे उसे अभी से लेकर मार्च 2015 तक के साढ़े चार महीनों में ही 6000 करोड़ रुपए मिल जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिर साबित हुए झूठे, जीवित लोगों को मरा बता संवेदना भी जता दी
आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत वाराणसी के जयापुर गांव को गोद लेने की जो वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी थी वह गलत निकली है। प्रधानमंत्री ने जयापुर गांव में बोलते वक्त कहा था कि इस गांव को गोद लेने के मेरे फैसले के पीछे मीडिया ने कई मनगढ़ंत वजहें गिनायी थी। लेकिन इस गांव को गोद लेने की जो वजहें मीडिया ने बतायी वह सब गलत है। लेकिन बड़ी बात यह है कि जो वजह पीएम मोदी ने बतायी वह भी गलत निकली है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि जयापुर गांव में बिजली हादसे की वजह से पांच लोगों की मौत हो गयी थी। इस वजह से उन्होंने बुरे वक्त से गुजर रहे इस गांव को गोद लेने का फैसला लिया था। पीएम ने अपने भाषण के दौरान इमोशनल अपील करते हुए कहा था कि बुरे वक्त में वो आपके साथ है। साथ ही उन परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त भी की थी।
गैंग रेप के आरोपी निहालचंद को मोदी ने मंत्रिपद पर कायम रखकर क्या संदेश दिया है?
Om Thanvi : नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल फैलाव में स्वागतयोग्य बातें हैं: पर्रीकर और सुरेश प्रभु जैसे काबिल लोग शामिल किए गए हैं। बीरेंद्र सिंह, जयप्रकाश नड्डा, राजीवप्रताप रूडी और राज्यवर्धन सिंह भी अच्छे नाम हैं। सदानंद गौड़ा से रेलगाड़ी छीनकर उचित ही सुरेश प्रभु को दे दी गई है। लेकिन स्मृति ईरानी का विभाग उनके पास कायम है। गैंग रेप के आरोपी निहालचंद भी मंत्रिपद पर काबिज हैं। अल्पसंख्यकों को लेकर प्रधानमंत्री की गाँठ कुछ खुली है, मगर मामूली; मुख़्तार अब्बास नक़वी को महज राज्यमंत्री बनाया है। वे वाजपेयी मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री रह चुके हैं, जैसे रूडी भी।
मोदी की बनारस यात्रा : स्मृति ईरानी से मात खाकर हर्षवर्धन को औकात बोध हो गया!
Sheetal P Singh : प्रधानमंत्री की आज होने वाली बनारस यात्रा से “ट्रामा सेन्टर” के शिलान्यास कार्यक्रम को रद्द कराने में मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी कामयाब हो गईं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन अपनी सारी कोशिशों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मनाने में नाकामयाब साबित हुए। उन्होंने पिछले कार्यक्रम (जो टल गया था, अब हो रहा है) में इसे सबसे प्रमुख कार्यक्रम तय कराया था। क़रीब २०० करोड़ की लागत से बीएचयू में बना ट्रामा सेंटर पिछले डेढ़ साल से उद्घाटक की प्रतीक्षा कर रहा है।
तो क्या मोदी ने संविधान के अनुच्छेद 51A(h) का उल्लंघन किया है!
Virendra Yadav : ‘दि हिन्दू ‘ (1 नवंबर) में प्रकाशित अपने इस महत्वपूर्ण लेख में करण थापर ने ध्यान आकर्षित किया है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51A(h) में वैज्ञानिक समझ को विकसित करना हर नागरिक का कर्तव्य बताया गया है. करण थापर का प्रश्न है कि क्या एक चिकित्सालय का उदघाटन करते हुए प्रधानमंत्री का मिथकों के हवाले से यह कहना उचित है कि भारत में महाभारत काल में ही जेनेटिक साईंस थी क्योंकि कर्ण कुंती के गर्भ से नही पैदा हुए थे और यह भी कि यदि उस काल में प्लास्टिक सर्जरी न होती तो गणेश का मस्तक हाथी का क्यों होता?
मोदी ने बढ़ा दिया दूरदर्शन का कद
: पांच महीनों में दूरदर्शन की बढ़ी पूछ : टीवी दर्शक सबसे ज्यादा कौन सा चैनल देखते हैं? इसका खुलासा करने वाले टीआरपी यानी टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट चाहे जो कहते हों लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद सत्ता के गलियारों में अब देश के सार्वजनिक टीवी चैनल दूरदर्शन की बढ़ती धमक साफ देखने को मिल रही है। सरकार ,संचालन के केंद्र नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में दूरदर्शन की पूछ पिछले पांच महीनों में तेजी से बढ़ी है। मंत्री और अफसरों से लेकर देशी-विदेशी राजनयिक और कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक दल सरकार के हरेक कदम की जानकारी के लिए दूरदर्शन के समाचार चैनल पर खुद को अपडेट रख रहे हैं।
जो सौ दिन में काल धन लाने का सपना दिखा रहे थे वो बेइमानों के साथ खड़े हो गए
Sanjay Sharma : जो सौ दिन में काल धन लाने का सपना दिखा रहे थे वो बेईमानों के साथ खड़े हो गए. कह रहे थे संधि के मुताबिक सूची नहीं दी जा सकती … सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा तो नानी याद आई.. आज 627 लोगों की सूची दी.. लिफाफा बंद है तो भक्त लोग इतना खुश हो रहे हैं मानो किला ही फतह कर लिया.. बात सही भी है… लिफाफा खुल जाता तो भक्तों और उनके आकाओं को मुंह दिखने लायक कुछ भी नहीं बचता… जिन तीन नाम को बता कर सरकार बहुत खुश हो रही थी उनमें से 2 नामों का खुलासा अरविन्द केजरीवाल एक साल पहले ही कर चुके थे… वैसे मोदी सरकार की भी मज़बूरी है और अब समझ आ रहा है कि नामों का खुलासा क्यों नहीं कर रही थी सरकार… दरअसल जिन तीन नामों का पता चला उनमें एक राधा ने कांग्रेस को पैसठ लाख और बीजेपी को एक करोड़ अठारह लाख रुपया का चंदा दिया था… इन बेशर्मों को शर्म भी नहीं आती ऐसे कालाबाजारियों से पैसा लेकर जनता को मूर्ख बनाते हुए…
‘द गार्जियन’ अखबार ने मोदी के बड़बोलेपन की खिल्ली उड़ाई
Balendu Swami : दुनिया के प्रतिष्ठित अखबारों में से एक “द गार्जियन” ने खिल्ली उड़ाने वाले अंदाज में लिखा है कि भारत के प्रधानमंत्री ने दावे किये है कि हजारों साल पहले भी भारत में कृत्रिम गर्भाधान और कॉस्मेटिक सर्जरी इत्यादि उपलब्ध थी! सबूत के रूप में उन्होंने महाभारत के मिथक कर्ण की उत्पत्ति और गणेश को हाथी का सिर लगाए जाने की घटना का उदाहरण दिया! उन्होंने कहा कि हमें गर्व होना चाहिए कि चिकित्सा विज्ञान में हम कितनी तरक्की कर चुके थे! नरेन्द्र मोदी ने कहा कि प्लास्टिक सर्जरी की शुरुआत ही वहीँ से हुई जब एक मनुष्य के धड़ पर हाथी का सिर लगाया गया!
मोदी पुराणों की धूम : गिनती करिए, मोदी पर हिंदी अंग्रेजी में कुल कितनी किताबें आ गईं!
Arvind Mohan
अब यह समझना कुछ मुश्किल है कि नरेन्द्र मोदी व्यक्ति भर हैं या कोई परिघटना हैं. उनकी राजनीति, उनकी कार्यशैली, उनकी सोच और इन सबके बीच उनकी सफलताएं जरूर उन्हें सामान्यजन से ऊपर पहुंचाती हैं. और उनकी ही भाषा में कहें तो उन्हें इसका एहसास है कि उन्हें प्रधानमंत्री बनने के लिए ही बनाया गया है. चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कमल के निशान पर पड़े वोट सीधे उनको मिलने (उम्मीदवार, पार्टी और ग्ठबन्धन नहीं) और ईश्वर द्वारा इस काम अर्थात प्रधानमंत्री बनने के लिए चुने जाने की बात खुले तौर पर कही. कहना न होगा काफी कुछ उनकी इच्छा के अनुरूप ही हुआ. अब हम आप इसके अनेक कारण और उनके विरोधियों की कमजोरी या सीधापन को जिम्मेवार मानते रहें पर मोदी ने अपनी बड़ी इच्छा पूरी कर ली. हमें देवता के आशीर्वाद और आदेश की जगह उनकी तैयारियां, उनको उपलब्ध साधन, उनका अपूर्व प्रचार वगैरह-वगैरह नजर आता हो तो इसमें भी कोई हर्ज नहीं है. पर यह तो मानना ही पड़ेगा कि मोदी को चन्दा देने वालों ने चन्दे से ज्यादा हासिल किया होगा, उनका प्रचार करने वालों ने खर्च से ज्यादा पैसे निकाल लिए होंगे, उनका गुणगान करने वालों ने अपने-अपने यहां काफी कुछ हासिल कर लिया होगा- और यह सब इसी दरिद्रता के, इसी कमजोरी-बीमारी के, इसी पिछड़ेपन वाले भारत से निकाल लिया गया है. पर असली हिसाब यही है कि सबने छोटे-छोटे धन्धे करते हुए मोदी का मुख्य काम आसान कर दिया.
मोदी सरकार ब्लैकमनी वालों को बचाने के लिए हर (गैर)कानूनी हथकंडा इस्तेमाल कर रही है!
Vinod Sharma : The NDA seems to be be running it’s black money narrative as a television serial. It cannot script a single shot show for the climax it promised the people is a long distance away. In communication terms, it is called the teasing effect. But can boomerang if overused. The downside of it is that you keep reminding people of your inability to meet your own deadlines.
वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा के फेसबुक वॉल से.
आज के टाइम्स ऑफ इंडिया में वित्त मंत्री का इंटरव्यू पढ़कर बहुत दुखी हूं…
Prem Chand Gandhi : लगता है महंगाई तो 16 मई के बाद गायब ही हो गई! आज के टाइम्स ऑफ इंडिया में वित्त मंत्री का इंटरव्यू पढ़कर बहुत दुखी हूं। विकास की चिंता में वे भूल ही गए कि इस देश में महंगाई को लेकर आदमी की भी कोई चिंता है। सारा एजेंडा उदारीकरण, डी-लाईसेंसिंग, भूमि अधिग्रहण, होम लोन की ब्याज दर में कटौती, कोल सेक्टर और कई कई सेक्टरों के नवीनीकरण यानी बेचान को लेकर है। एक बार भी नहीं कहा कि आम आदमी को राहत किससे मिलेगी…
पांच महीने में मोदी के रेल मंत्री सदानंद गौड़ा की संपत्ति दोगुनी हो गई
नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार के मंत्रियों ने अपनी संपत्ति का जो ब्योरा पीएमओ में जमा किया है, उसमें चुनाव के वक्त से अब तक में कुछ मंत्रियों की संपत्ति बढ़ गई है, तो कई की घट भी गई है। इलेक्शन वॉच की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, रेल मंत्री सदानंद गौड़ा की संपत्ति पांच महीने में 10 करोड़ से ज़्यादा बढ़ गई है। हालांकि रेल मंत्री सदानंद गौड़ा ने सफ़ाई दी है कि लोकसभा चुनावों के नतीजों से पहले उन्होंने लोन लेकर जो संपत्ति ख़रीदी उससे ये भ्रम हो रहा है। लोकसभा चुनावों के दौरान रेलमंत्री ने घोषणा की थी कि उनके पास कुल 9.88 करोड़ की संपत्ति है और अब पीएमओ को दिए ब्योरे में उनकी संपत्ति अब 20.35 करोड़ हो गई है। यानी पिछले पांच महीने में उनकी संपत्ति में 10.46 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है।
पारदर्शिता का जमाना : संपादकों की पीठ पर मोदी का हाथ और मोदी की पीठ पर अंबानी का…
Om Thanvi : यह पारदर्शिता का जमाना है साहब। पत्रकार नेताओं के प्रति अपनी आसक्ति नहीं छुपाते, नेता पूंजीपतियों के प्रति। इनको उनका हाथ अपने सर पर चाहिए, उनको उनका हाथ अपने काँधे पर।
ब्रेकिंग न्यूज… सुधीर चौधरी की सेल्फी… ब्रेकिंग न्यूज… दीपक चौरसिया का हालचाल …
मैं आज के दिन को मीडिया के लिहाज से शर्मनाक दिन कहूंगा. पत्रकारिता के छात्रों को कभी पढ़ाया जाएगा कि 25 अक्टूबर 2014 के दिन एक बार फिर भारतीय राजनीति के आगे पत्रकारिता चरणों में लोट गई. धनिकों की सत्ता भारी पड़ गई जनता की आवाज पर. कभी इंदिरा ने भय और आतंक के बल पर मीडिया को रेंगने को मजबूर कर दिया था. आज मोदी ने अपनी ‘रणनीति’ के दम पर मीडिया को छिछोरा साबित कर दिया. दिवाली मिलन के बहाने मीडिया के मालिकों, संपादकों और रिपोर्टरों के एक आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आए. देश, विदेश, समाज और नीतियों पर कोई बातचीत नहीं हुई. सिर्फ मोदी बोले. कलम को झाड़ू में तब्दील हो जाने की बात कही. और, फिर सबसे मिलने लगे. जिन मसलों, मुद्दों, नारों, आश्वासनों, बातों, घोषणापत्रों, दावों के नाम पर सत्ता में आए उसमें से किसी एक पर भी कोई बात नहीं की.
रेल में खेल (2) : बैकडोर से पैसे लेकर पैन्ट्रीकार तक में ठूंसने का जो काम हो रहा है वो किस अच्छे दिन का नमूना है?
Vineet Kumar : स्लीपर की टॉयलेट में 12-14 लोग घुसे हैं… पैंट्री कार में 1500-2000 रुपए लेकर घुसाया जा रहा है…. आप कह सकते हैं कि इतनी भीड़ में क्या व्यवस्था होगी भला? लेकिन जिनकी टिकट बहुत पहले से कन्फर्म है, वो अन्दर तक नहीं जा सके और ट्रेन गुजर गयी? ये सिर्फ भीड़ है फिर इसमें भ्रष्टाचार के भी अंश घुले हैं? मोदी सरकार क्या, इससे पहले की भी सरकार नागरिक सुविधाओं में तेजी से कटौती करती आयी है. लेकिन ये मौजूदा सरकार जो नागरिक को ग्राहक मानती है, उनके बीच प्रशासन नहीं मार्केटिंग के जाल बिछाना चाहती है लेकिन ग्राहकों को चूसने के मामले में धंधेबाजों और कार्पोरेट से भी दो कदम आगे निकल जाए तो उसे आप क्या कहेंगे?
दिवाली की पूर्व संध्या पर विदर्भ के छह किसानों ने आत्महत्या की.. कहां है नेशनल मीडिया.. किधर हैं राष्ट्रीय नेता…
विदर्भ (महाराष्ट्र) में किसानों की आत्महत्याओं का दौर जारी है. कांग्रेस की सरकार से विदर्भ के लोग नाराज थे क्योंकि वह किसानों के राहत के लिए कुछ नहीं कर रही थी और ऋण जाल में फंसकर किसान लगातार आत्महत्याएं करते जा रहे थे. लोगों ने बड़ी उम्मीद से बीजेपी और नरेंद्र मोदी को वोट दिया था. लेकिन किसानों की समस्या जस की तस है. भाजपा और नरेंद्र मोदी को अभी बड़े-बड़े मुद्दों और बड़ी-बड़ी बातों से फुरसत नहीं है कि वे किसानों की तरफ झांकें. काटन और सोयाबनी की खेती-किसानी से जुड़े छह किसानों ने दिवाली की पूर्व संध्या पर खुदकुशी की है. कार्पोरेट मीडिया को नमो नमो करने से फुरसत नहीं है कि वह आम जन और आम किसान की खबरें दिखाए. किसी इलाके में खेती के संकट के कारण छह किसानों की आत्महत्या बड़ी खबर है और देश को हिलाने वाली है. लेकिन कोई मीडिया हाउस इन किसानों के घरों तक नहीं पहुंचा और न ही इनकी दिक्कतों पर खबरें दिखाईं. जिन घरों के मुखियाओं ने दिवाली से ठीक पहले आत्महत्या कर ली हो, उन घरों में दिवाली कैसी रही होगी, इसकी बस कल्पना की जा सकती है. विदर्भ खबर नामक एक ब्लाग पर विदर्भ जन आंदोलन समिति के अध्यक्ष किशोर तिवारी ने किसान आत्महत्याओं के बारे में विस्तार से लिखा है. इसे पढ़िए और सोचिए कि नेता जो बोलता है, मीडिया जो दिखाता है, क्या उतना ही देश है, क्या उतनी ही खबरें हैं, या बातें-खबरें और भी हैं जिन्हें लगातार दबाया, छुपाया, टरकाया जा रहा है.
-यशवंत, एडिटर, भड़ास4मीडिया
‘Is it Vibrant Gujarat or Violent Gujarat’
“We are sensing an ‘Era of Terror’ coming back to Gujarat” feel Muslim professionals
“Is it Vibrant Gujarat or Violent Gujarat”
“Are we re-entering into the era of terror? Whether things are going out of control by Chief Minister Anandiben Patel? Why VHP is being given free hand and why is it that Gujarat police has started sheer discrimination against Muslims and turning a blind eye towards their pleas”?
370 एकड़ वन जमीन सौंपकर उद्योगपति अडानी का कुछ एहसान चुका दिया मोदी जी ने
Yashwant Singh : मुंबई मिरर में आज खबर है कि मोदी की सरकार ने अपने प्रिय उद्योगपति मिस्टर अदानी के गोंडिया पावर प्रोजेक्ट के लिए 370 एकड़ वन जमीन की स्वीकृति दे दी है. यानि 370 एकड़ जंगल की जमीन पर अब अदानी का अधिकार होगा और उनका पावर प्रोजेक्ट चलेगा. अदानी को इस प्रस्ताव पर स्वीकृति पूरे छह साल तक इंतजार के बाद मिली है. यानि जब मोदी जी केंद्र में आए हैं तभी अदानी के प्रस्ताव पर ओके की मुहर लग गई है. और, इस प्रकार अदानी साब ने मोदी के लिए चुनाव में जो जो किया, उसका छोटा सा एहसान मोदी जी ने चुका दिया है. पावर प्रोजेक्ट चले, बिजली बढ़े, इस पर किसी को एतराज न होगा. लेकिन सवाल वही है कि आम जन का भला करने के नाम पर आई मोदी सरकार सबसे तेजी से उद्योगपतियों की जेब भरने में लगी है.
रेल में खेल (1) : मोदी सरकार को इस ब्लंडर की बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी
Priyanka Dubey : हम फ्रीलांसर होकर भी हर छोटी से छोटी पेमेंट का एक चौथाई टैक्स भरते हैं. आम लोगों के टैक्स से सरकार काम करती है. हमारे खून पसीने की कमाई से ट्रेन चलाएंगे. और बैठेंगे उसमें प्रीमियम लोग? पहले ही जनरल डब्बे कम कर दिए गए हैं. अब सरकार यह चाहती है की गरीब अपने घर पैदाइश और मौत में न जा पाए? धीरे धीरे जनरल डब्बे खत्म कर दिए जाएंगे और स्लीपर में तत्काल का टिकट आम इंसान खरीद नहीं पाएगा. पूरा भारत व्यापारियों और उद्योगपतियों से भरा गुजरात नहीं है जो जन सुविधा के हर साधन के निजीकरण पर तुले हुए हैं. उम्मीद है कि मोदी सरकार को अपने इस पोलिटिकल और स्ट्रेटेजिक ब्लंडर की बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी.
पत्रकार प्रियंका दुबे के फेसबुक वॉल से.
इत्ता सारा सफ़ेद धन आवे कहाँ से जो हर अख़बार टीवी ख़रीद लेवे?
Om Thanvi : इसके बावजूद समर्थन के लिए दोस्तों और दुश्मनों के सामने याचक बने बैठे हैं? … और मितरो, इतना (सफेद) धन आवे कहाँ से है?
रजत शर्मा को मोदी सरकार ने दिया दीपावली से पहले ही तोहफा
मोदी सरकार ने देश के पहले प्रधानमंत्री पं0 जवाहरलाल नेहरू की 125वीं जयंती को सरकारी जयंती मनाने का निर्णय किया है। इसके लिए एक आयोजन समिति का गठन किया है। समिति में इंडिया टीवी के प्रमुख रजत शर्मा को भी शामिल किया गया है। उनका चैनल लोकसभा चुनावों से ही मोदी की खबरें प्रमुखता से दिखा रहा था। उसका ही उनको इनाम दिया गया है। रजत शर्मा द्वारा संचालित इंडिया टीवी को लोग मोदीमय न्यूज चैनल भी कहने लगे थे।
ब्लैकमनी पर मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना कांग्रेसी चरित्र दिखा दिया
Mukesh Yadav : कौन करेगा इस न्यूज़ को ब्रेक? क्या कोई करेगा? ब्लैकमनी पर मोदी सरकार ने भी आज सुप्रीम कोर्ट में अपना कांग्रेसी चरित्र दिखा ही दिया!! सरकार कहती है कि काला धन रखने वालो के नाम उजागर नहीं कर सकते!! वही कांग्रेसी जवाब और वजह! हालांकि जांच एजेंसियों के रिकॉर्ड में इन धनपशुओं के नाम उपलब्ध होंगे!..इतना ही काफी होता; अगर मीडिया स्वतंत्र होता!! इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म शायद इन नामों को जनता तक पहुँचाने की जुर्रत करता! लेकिन आज ऐसा मीडिया समूह खोजना मुश्किल है, जो मोदी के नाम से खौफ न खाता हो? रही बात पत्रकारों की तो उनकी सीमाएं जग जाहिर हैं। नौकरी से निकाल दिए जाओगे- वाले जुमले का खौफ ही उनके लिए काफी है, नहीं? ऐसे में कौन जोखिम उठाए?
चाहे जो कहो… सड़ी हुई कांग्रेसी सरकारों से ज्यादा सक्रिय है भाजपा की मोदी सरकार…
Yashwant Singh : चाहे जो कहो… सड़ी हुई कांग्रेसी सरकारों से ज्यादा सक्रिय है भाजपा की मोदी सरकार… कांग्रेसी सरकारों में वामपंथियों और सोशलिस्टों को अच्छी खासी नौकरी, लाटरी, मदद, अनुदान, पद, प्रतिष्ठा टाइप की चीजें मिल जाया करती थी… अब नहीं मिल रही है तो साले ये हल्ला कर रहे हैं … पर तुलनात्मक रूप से निष्पक्ष होकर देखो तो भाजपा की मोदी सरकार जनादेश के दबाव में है और बेहतर करने की कोशिश करती हुई दिख रही है… हां, अगर जनता ने भाजपा को जिताया है तो भाजपा अपने एजेंडे को लागू करेगी ही.. वो एजेंडा हमको आपको पसंद आता हो या न आता हो, ये अलग बात है… पर सक्रियता और जनपक्षधरता को लेकर कांग्रेस व भाजपा में से किसी एक की बात करनी हो तो कहना पड़ेगा कि भाजपा सरकार ज्यादा सक्रिय और ज्यादा सकारात्मक है.
मोदी सरकार को कुंभकर्ण कहकर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार
खुद को काफी मेहनती और सक्षम समझने वाली नरेंद्र मोदी की सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने मिथकीय पात्र कुंभकर्ण और 19वीं सदी की एक कहानी के चर्चित कामचोर पात्र ‘रिप वान विंकल’ से की है। सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा है कि केंद्र सरकार इन दोनों पात्रों की तरह ही बर्ताव कर रही है। जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस आरएफ नरीमन की बेंच ने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को डांट लगाने की दौरान केंद्र सरकार को भी इन दोनों विशेषणों से नवाजते हुए फटकारा। सुप्रीम कोर्ट की त्यौरियां केंद्र सरकार और पर्यावरण मंत्रालय की लापरवाहियों पर चढ़ी हुई हैं। गुरुवार का मामला एक रिपोर्ट से जुड़ा है, जिसे पर्यावरण मंत्रालय को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश करना था।