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दैनिक भास्कर भागलपुर से फिर कई गए, नहीं मिल रहे भास्कर को रिपोर्टर

दैनिक भास्कर भागलपुर संस्करण से रिपोर्टरों का जाना लगा हुआ है। सैटेलाइट एडिशन में 18 लोगों की टीम में महज 8 लोग ही बचे हुए हैं। इससे अखबार को समय पर निकालना और क्वालिटी मेंटेन करना दोनों मुश्किल हो गया है। अब ऋतुराज , पंकज और राधे कृष्णा ने भास्कर को छोड़ दिया है। इससे भास्कर में डेस्क पर लोगों की संख्या बहुत कम हो गई है।

<p>दैनिक भास्कर भागलपुर संस्करण से रिपोर्टरों का जाना लगा हुआ है। सैटेलाइट एडिशन में 18 लोगों की टीम में महज 8 लोग ही बचे हुए हैं। इससे अखबार को समय पर निकालना और क्वालिटी मेंटेन करना दोनों मुश्किल हो गया है। अब ऋतुराज , पंकज और राधे कृष्णा ने भास्कर को छोड़ दिया है। इससे भास्कर में डेस्क पर लोगों की संख्या बहुत कम हो गई है।</p><script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-7095147807319647", enable_page_level_ads: true }); </script>

दैनिक भास्कर भागलपुर संस्करण से रिपोर्टरों का जाना लगा हुआ है। सैटेलाइट एडिशन में 18 लोगों की टीम में महज 8 लोग ही बचे हुए हैं। इससे अखबार को समय पर निकालना और क्वालिटी मेंटेन करना दोनों मुश्किल हो गया है। अब ऋतुराज , पंकज और राधे कृष्णा ने भास्कर को छोड़ दिया है। इससे भास्कर में डेस्क पर लोगों की संख्या बहुत कम हो गई है।

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अधिकांश लोग सैटेलाइट एडिटर सुनील शुक्ला के व्यवहार से परेशान होकर गए हैं। एक तो उनका अमर्यादित व्यवहार और दूसरा सैलरी में अपने मर्जी से सब के साथ दो-दो तीन-तीन हजार की कमी किए जाने से नाराजगी चरम पर है।  वैकल्पिक व्यवस्था के तहत सैटेलाइट एडिटर ने ब्यूरो से दो दो लोगों को बुलाकर डेस्क पर बिठाया है ताकि किसी तरह से एडिशन निकल सके।

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उधर सैटेलाइट एडिटर को बिहार में डेस्क कर्मी या रिपोर्टर नहीं मिल रहे हैं। वह वैकल्पिक व्यवस्था के तहत मध्य प्रदेश,  उत्तर प्रदेश और दूर-दूर जगह से डेस्क पर लोग रख रहे हैं लेकिन वह भी सफल नहीं हो पा रहा है। इधर ऐसी सूचना है कि दो-तीन दिन में भास्कर से कम से कम और तीन लोग छोड़कर दूसरे संस्थान जा सकते हैं।  भास्कर में अंदरूनी राजनीति अपने चरम पर है।

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