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उत्तर प्रदेश

यूपी में जंगलराज : दबंगों की मार और पुलिस की फटकार से गांव छोड़ शहर भागा पूरा परिवार

वाराणसी : उत्तर-प्रदेश सरकार के हर गरीब को न्याय की इससे बेहतर मिसाल क्या हो सकती है। पहले दंबगों की मार, फिर खाकी की फटकार से बेहाल परिवार जान बचाने के लिए गांव छोड़कर बनारस की सड़कों पर  मारा-मारा फिर रहा है। परिवार को डर है कि गांव लौटे तो परिवार में से किसी की जान भी जा सकती है।

दबंगों की मार और पुलिस की फटकार से डरे सहमे नंदलाल और उनका परिवार

वाराणसी : उत्तर-प्रदेश सरकार के हर गरीब को न्याय की इससे बेहतर मिसाल क्या हो सकती है। पहले दंबगों की मार, फिर खाकी की फटकार से बेहाल परिवार जान बचाने के लिए गांव छोड़कर बनारस की सड़कों पर  मारा-मारा फिर रहा है। परिवार को डर है कि गांव लौटे तो परिवार में से किसी की जान भी जा सकती है।

दबंगों की मार और पुलिस की फटकार से डरे सहमे नंदलाल और उनका परिवार

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मामला भदोही के चैरी थाना क्षेत्र के संवरपुर गांव का है। जहां मेहनत-मजदूरी कर जिंदगी बसर करने वाले नंदलाल गौड़ को गांव प्रधान और दंबगों की मिली-भगत से मरनेगा में हुए लाखों के घोटाले की शिकायत करना मंहगा पड़ गया। बीते शनिवार को घोटाले की जांच करने टीम गांव क्या पहुंची, दबंगों का सारा गुस्सा नंदलाल और उसके पूरे परिवार पर फूट पड़ा। दंबगों ने पूरे परिवार को जमकर पीटा, महिलाओं और बच्चों को भी नहीं छोड़ा। 

आरोप है कि महिलाओं के कपड़े फाड़ दिए, बच्चों को मारा। दबंगों से जान-बचाकर परिवार न्याय के लिए थाने पहुंचा तो उल्टे थानेदार ने पीड़ित परिवार को ही गलत ठहराकर नेतागिरी न करने की नसीहत दे डाली। नंदलाल की मानें तो थानेदार ने कहा कि जिदंगी गुजर जायेगी कचहरी के चक्कर लगाते हुए, बेहतर है कि चुपचाप रहो। 

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परिवार की महिलाओं ने जब रोते हुए आपबीती सुनानी चाही तो पुलिसवालो ने कहा कि नौटंकी मत करो और यहां से खिसक लो। मेडिकल करवाने पहुंचे पीड़ित परिवार को मेडिकल की कापी तक नहीं दी गई। महिलाओं से मारपीट, छेड़खानी की तहरीर पर गांव के अखिलेश मिश्र, अवधेश मिश्र पर पुलिस ने मामूली छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज कर पीड़ित परिवार को चलता कर दिया। 

इसके बाद भी पीड़ितों को दबंग धमकाते रहे, रविवार की सुबह पूरा परिवार गांव छोड़कर जान बचाने के लिए भागा। रविवार की दोपहर परिवार के बुजुर्ग नन्दलाल मौर्य ने बताया कि गांव में एक परिवार की दबंगई चलती चली आ रही है। यहां तक कि गांव प्रधान भी इस परिवार के हाथो रबर स्टंप बना हुआ है। पुष्टि के लिए जब गांव प्रधान सभाजीत के मोबाइल पर फोन किया गया तो फोन किसी मिश्रा ने उठाते हुए खुद को प्रधान बताया।

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इस हादसे से पूरा परिवार इतना डरा-सहमा है कि वापस गांव का रुख नहीं करना चाहता। नंदलाल का कहना है कि सोमवार की सुबह वो पुलिस के उच्च अधिकारियों से मिलकर अपनी आपबीती सुनायेंगे। फिलहाल पूरा परिवार अपना घर होने के बाद भी दंबगों के भय से विस्थापित होकर शहर की सड़कों की खाक छान रहा है।

युवा पत्रकार एवं लेखक भाष्कर गुहा नियोगी, फोन संपर्क : 9415354828

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0 Comments

  1. राम पाल श्रीवास्तव

    April 20, 2015 at 9:10 am

    बहुत – बहुत बधाई आपको ….. आपने पत्रकारिता का दायित्व निभाया ….. हम सब पीड़ितों के साथ हैं …. देश में दबंगों द्वारा कानून को हाथ में लेने की प्रवृत्ति बहुत अफसोसनाक – निंदनीय है |

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