शीतल पी सिंह-
पिछले कई महीनों से दैनिक भास्कर के तेवर बदले हुए थे, वह अकेला हिंदी महासागर में पत्रकारिता कर रहा था। गंगा किनारे बनी क़ब्रों का सच दिखा रहा था, टीकाकरण की सुस्त रफ़्तार की बात कर रहा था- यानी सरकार की दी हुई स्क्रिप्ट नहीं पढ़ रहा था। आज वहां इनकम टैक्स के छापे पड़ गए।
मोदी सरकार को किसी किस्म की लाज शर्म या पर्दा नहीं है, जहां चुनाव होंगे वहां के प्रमुख विपक्षी दल के नेताओं पर छापे पड़ेंगे, पोर्टलों पर चूड़ी कसी जायेगी। हर तरह के मेसेज व्हाट्सएप चैट्स को Pegasus खंगालेगा और जजों को धमका कर या पटा कर फैसले लिखवाए जाएंगे।
मंहगाई आसमान पर रहेगी और आवाज उठाने वाले NSA/UAPA में जेल में। यही रामराज्य है।
विश्व दीपक-
सुबह सुबह ख़बर मिली की इनकम टैक्स ने “दैनिक भास्कर” के सभी प्रमुख कार्यालयों में धावा बोल दिया है. रात से छापेमारी जारी है. पिछले कुछ वक्त से “भास्कर” सरकार को खटक रहा था. महामारी के दौर में “टेलीग्राफ” की नकल ने इस अखबार को लोकप्रियता तो दिलाई लेकिन अग्रवाल बंधु यह भूल गए कि उनके पांव व्यस्था में काफी गहरे धंसे हैं.
जिन राज्यों में यह अख़बार पिछले कुछ सालों में आक्रामक प्रचार और वितरण की वजह से नंबर एक बना, तकरीबन उन सभी राज्यों में बीजेपी पिछले कम से कम दो दशकों से सत्ता में है. उदारीकरण के बाद से ही हिंदी क्षेत्र को “गोबर पट्टी” बनाए रखने में इस अख़बार ने अहम भूमिका निभाई है. फिर भी इनकम टैक्स की रेड का विरोध किया जाना चाहिए.
यह बदले की कार्रवाई और झल्लाहट का नतीजा है. इससे यह भी पता चलता है कि सरकार बहादुर अंग्रेजी अख़बार से नहीं डरते. “टेलीग्राफ” जो हेडलाइन लगाना चाहे, लगता रहे. असर तभी होगा जब “भास्कर” रूख बदलेगा.