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मजीठिया मामले में प्रबंधन से मोटी फीस लेकर बिना तैयारी के सुनवाई में आ रहे वकील

मुम्बई में डीबी कार्प के खिलाफ मजीठिया मामले में दैनिक भास्कर के प्रिंसपल करस्पांडेंट धर्मेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा 17 (1) के तहत दायर की गयी शिकायत के मामले में शनिवार को श्रम आयुक्त कार्यालय मुम्बई शहर में सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान प्रबंधन की तरफ से अधिवक्ता बिना किसी कागजात के चले आये और ऐसा उन्होंने दूसरी बार किया। इस मामले में अब तक तीन तारीख लग चुकी है लेकिन भास्कर प्रबंधन अब तक कोई कागजात उपस्थित नहीं कर पाया और न ही वकील की तरफ से वकालतनामा ही दाखिल किया गया है। इस पर सहायक कामगार आयुक्त सीए राउत ने कड़ा एतराज जताया।

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मुम्बई में डीबी कार्प के खिलाफ मजीठिया मामले में दैनिक भास्कर के प्रिंसपल करस्पांडेंट धर्मेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा 17 (1) के तहत दायर की गयी शिकायत के मामले में शनिवार को श्रम आयुक्त कार्यालय मुम्बई शहर में सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान प्रबंधन की तरफ से अधिवक्ता बिना किसी कागजात के चले आये और ऐसा उन्होंने दूसरी बार किया। इस मामले में अब तक तीन तारीख लग चुकी है लेकिन भास्कर प्रबंधन अब तक कोई कागजात उपस्थित नहीं कर पाया और न ही वकील की तरफ से वकालतनामा ही दाखिल किया गया है। इस पर सहायक कामगार आयुक्त सीए राउत ने कड़ा एतराज जताया।

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शनिवार की तारीख पर गजब नजारा देखने को मिला। सहायक कामगार आयुक्त सीए राउत  ने डी. बी. कॉर्प के वकील से स्पष्ट कहा कि आपको मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक बकाया तो देना ही पड़ेगा, इसके लिए आप चाहें तो मिल-बैठकर बीच का रास्ता निकालें। मतलब- समझौता कर लीजिए। लेकिन यदि आपको कुछ कहना है तो हमेशा तारीख देने की मांग मत कीजिए, बल्कि लिखकर दीजिए।

इस पर झल्लाए डी बी कार्प के वकील ने मैनेजमेंट के व्यक्ति की ओर मुखातिब होकर अजीब-सा दुखड़ा सुनाना शुरू कर दिया- “कागजात तो आप ही लोग उपलब्ध कराएंगे न… आप नहीं करेंगे तो मैं क्या करूंगा?”

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अरे भई, यह बात आपको लेबर कमिश्नर के कार्यालय में आकर कहने के बजाय तभी कह देनी चाहिए थी, जब डी. बी. कॉर्प मैनेजमेंट के सामने बड़ी-बड़ी फेंक कर आपने मोटी फीस वसूली होगी। मजीठिया मामले में ही एक अन्य मामले की सुनवाई के दौरान महिला वकील ने 2010 में नौकरी छोड़ने वाले एक कर्मचारी के खिलाफ यह बयान दे दिया कि इस कर्मचारी ने खुद नौकरी छोड़ी है और वह भी 2010 में, इसलिए इसको अंतरिम लाभ पाने का अधिकार नहीं है। बाद में सीए राउत ने इस महिला वकील का ध्यान उनकी गलती पर दिलाया और कहा कि इसे अंतरिम पाने का अधिकार है। साफ़ कहें तो प्रबंधन से फ़ीस लेकर बिना तैयारी के प्रबंधन की तरफ से ये वकील मजीठिया वेज बोर्ड मामले में केस लड़ने आ रहे हैं।

शशिकांत सिंह
पत्रकार और आर टी आई एक्टिविस्ट
9322411335

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0 Comments

  1. satish yadav

    August 2, 2016 at 12:10 pm

    अरे भई, यह बात आपको लेबर कमिश्नर के कार्यालय में आकर कहने के बजाय तभी कह देनी चाहिए थी, जब डी. बी. कॉर्प मैनेजमेंट के सामने बड़ी-बड़ी फेंक कर आपने मोटी फीस वसूली होगी।

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