Dilip Khan : तुम्हें याद हो कि न याद हो… 2014 में एक ख़बर ख़ूब उड़ी थी कि राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह घूस लेकर पुलिस पोस्टिंग करवाते हैं और लोकसभा का टिकट बेचते हैं. ख़बर जब चौतरफ़ा फैल गई तो फॉलोअप ख़बर आई कि राजनाथ सिंह की मौजूदगी में नरेन्द्र मोदी ने पंकज सिंह को फटकार लगाई। बदनामी इससे भी हुई। लोगों का शक और गहरा हुआ।
फिर तीसरी ख़बर आई जिसमें राजनाथ सिंह ने अपनी पार्टी के ही किसी ‘राइवल’ पर आरोप लगाया कि वो उनकी छवि ख़राब करने की कोशिश कर रहे हैं। राजनाथ सिंह ने RSS से भी राइवल की शिकायत की।
बात बनने की बजाए जब बिगड़ने लगी तो फिर चौथी ख़बर आई जिसमें PMO ने इस बात से ही इनकार कर दिया कि नरेन्द्र मोदी ने पंकज सिंह को डांटा है। फिर आई पांचवीं और आख़िरी ख़बर जिसमें बीजेपी ने पहली से लेकर चौथी ख़बर तक सबको फेक बता दिया। और इस तरह राजनाथ सिंह की इज़्ज़त बची, राइवल बचे, पार्टी में तोड़-फोड़ बची और ऑफ कोर्स पंकज सिंह बचे।
जय शाह में तो पहले ही दिन बीजेपी मैदान में उतर आई है। सीधे पांचवीं ख़बर से शुरू किया है खेल। आजकल, राजनाथ सिंह और अमित शाह में बड़ा फर्क है भई!! राजनाथ-गडकरी खेमे की चले तो गुज्जू खेमा को दो दिन में साइड कर दे, लेकिन मोदी-शाह के आगे किसी की नहीं चल रही।
अब ताजा मामले पर आते हैं. द वायर ने ये तो नहीं कहा कि जय शाह ने भ्रष्टाचार किया. वायर ने तो सिर्फ़ बिजनेस का ब्यौरा दिया है. इससे रॉबर्ट वाड्रा को गरियाने वाला भक्त खेमा क्यों डिफेंसिव हो गया है? बीजेपी को नींद क्यों नहीं आ रही? इससे हम जैसे मासूमों के मन में भ्रष्टाचार का शक पैदा हुआ है.
राज्यसभा टीवी में कार्यरत युवा पत्रकार दिलीप खान की एफबी वॉल से.
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