मनीष सिसोदिया ने पूछा- जय शाह मामले में महान पत्रकारों की ‘बहादुर पत्रकारिता’ मर गई या बिक गई?

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Sheetal P Singh : मनीष का यह पूछना जायज क्यों नहीं है? वे शिक्षा व्यवस्था संबंधी अध्ययन के सिलसिले में स्कैंडनेवियाई देशों में दौरे पर थे । टाइम्स नाऊ के लिये अरनब गोस्वामी ने एक कैमरामैन किराये पर रक्खा था कि कुछ मसालेदार मिल जाय, आख़िर में आइसक्रीम खाते हुए एक वीडियो दिखाकर मनीष की निंदा स्टोरी चलाई गई थी! आज जय शाह के मामले में ये सारे चैनल सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी के प्रवक्ता के रोल में हैं!

इस बीच, जय शाह राबर्ट वडेरा की तरह मैदान में आ गये हैं. उन्होंने अपने दसतखत से बयान जारी किया है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया. उन्होंने करजा लिया करजा चुकाया. सब कानूनी काम है.  बस यह नहीं बताया कि 2004 से 2014 तक कुल पचास हजार रुपये की कंपनी 2015 से 2016 में एकाएक अस्सी करोड़ तक किस जादू से पहुंच गई? वे क्या बेचते हैं जो देश का कोईदूसरा नौजवान न सोच सकता है न बेच सकता है? और उनके बाप के बीजेपी सुप्रीमो बनते ही उनकी दिव्य व्यावसायिक प्रतिभा में अचानक विस्फोट कैसे हुआ ?

वहीं, जय शाह मामले में पीयूष गोयल एक अपराधी की भूमिका में मिल रहे हैं। कल उनके छटपटाने की वजह मिल गई। जय शाह की कंपनी शेयर दलाल का काम कर रही थी और बुरे हाल में थी। कहीं अनंत में भी पवन ऊर्जा के क्षेत्र में उसका कोई लेना देना नहीं था। पीयूष गोयल ने ऊर्जा मंत्री की हैसियत से इसे पवन ऊर्जा का काम दिया और एक सरकारी ऋणदाता कंपनी और एक नान बैंकिंग फाइनेन्स कंपनी से औकात से कई गुना ज्यादा ऋण दिया / दिलवाया!  पचास हज़ार रुपये का बिज़नेस रातों रात फूलकर अस्सी करोड़ इन्हीं के करकमल से हुआ था इसीलिये कल प्रेसकान्फ्रेन्स में जय शाह के बचाव का ज़िम्मा पीयूष गोयल ने संभाला! आप महाराष्ट्र की नेता प्रीति मेनन ने यह ख़ुलासा करता एक वीडियो बयान जारी किया है।

वरिष्ठ पत्रकार और ‘आप’ नेता शीतल पी सिंह की एफबी वॉल से.

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