..प्रह्लाद गुंजल को नहीं जानते? ये वैसे ही है जैसे पंखा चलाते हैं और पीएसपीए नहीं जानते। बीजेपी के पीएसपीओ। ऊपर से पार्टी सत्ता में है। तो दिसंबर की सर्दी में भी पारा जून की दोपहरी वाला था। सरोकार, संस्कार, धर्म, पूजा, वंदना, आराधना वाली भारतीय जनता पार्टी के विधायक श्री प्रह्लाद गुंजल मां-बहन-बेटियों के साथ ऐसे धारा प्रवाह संबंध बनाए जा रहे थे जैसे सत्यनारायण की कंठस्थ कथा का सस्वर वाचन कर रहे हों। ..
..मुंह मत बिचकाइए। गाली, धमकी, गलीजपन ये सब तो पीएम मोदी वाली पार्टी के विधायक जी ने अमृत समझकर दिल ही में उतार लिया था। एहसान है जो अमरत्व का जल फोकट में सीएमएचओ पर उलीचे जा रहे थे। ऐसा तेज तो पवन पुत्र हनुमान के अंदर भी न रहा होगा। सुमेरू पर्वत उठा लिया था तो क्या हुआ। 6 मिनट में 41 गाली..आप रिकॉर्ड पता कर लीजिएगा। माइकल शुमाकर इतनी तेजी से फॉर्मूला वन की कार नहीं दौड़ा पाता होगा।
..समय समय की बात है। नेता अब विद्वान नहीं पहलवान होना चाहता है। हर जगह की यही कहानी है। सिनेमा के डायलॉग पर हंसी न आए तो ये बात सोलह आने सच है कि थप्पड़ से डर नहीं लगता साहब विधायक से लगता है।..
..भतीजे तो तमाम हुए दुनिया में। आगे भी होंगे। द्वापर में धर्मराज युधिष्ठिर के भतीजे हुए। त्रेता में भरत-शत्रुघ्न के भतीजे हुए। द्रोणाचार्य और यागवल्क्य जैसे मुनियों के भतीजों का भी उल्लेख मिलता है। लेकिन ऐसा भतीजा किसी का नहीं हुआ जैसा समाजवादी पार्टी के विधायक बृजलाल सोनकर का हुआ। सत्ताधारी पार्टी का विधायक का भतीजा होना सारे भतीजो से खास होता है। विधायक का भतीजा भतीजा नहीं होता भगवान हो जाता है। और जैसे भगवान पर कोई सवाल नहीं उठा सकता वैसे विधायक जी के भतीजे पर भी कोई नहीं उठा सकता। ..
न्यूज24 पर रात 7.57 बजे प्रसारित रिपोर्टों के कुछ हिस्से. साभार, नवीन कुमार के फेसबुक वॉल से.